राजीव गांधी की बायोग्राफी | Rajiv Gandhi ki Biography in Hindi
राजीव गांधी की बायोग्राफी | Rajiv Gandhi ki Biography in Hindi
राजीव गांधी भारत के 9वें प्रधानमंत्री थे। उनका व्यक्तित्व बहुत ही सरल स्वभाव का था और वे धैर्यवान व्यक्ति थे। राजीव गांधी भारत के पहले युवा प्रधानमंत्री थे, और वे केवल 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे। वे अपनी पार्टी को सदैव साथ लेकर चलते थे और अहम निर्णय सदैव पार्टी के लोगों के परामर्श से ही लिया करते थे।
राजीव भारत के लिए एक नये अनुभव की छवि रखते थे और ये बहुत ही सहनशील व्यक्ति थे। इन्होंने देश को आधुनिकता के पथ पर अग्रसर किया और युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए उनके हित में कई महत्वपुर्ण निर्णय एवं बदलाव किए।
वर्ष 1991 मे, राजीव गांधी को उनके मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। वह सरलता से पार्टी को चलाना जानते थे, और राजनीति को सरलता से चलाने में उनकी कोई सानी नहीं थी।
राजीव गांधी का जीवन परिचय एक नजर में
नाम : राजीव गांधी
जन्म : 20 अगस्त 1944
जन्म स्थान : मुंबई, महाराष्ट्र
माता : इंदिरा गांधी
पिता : फिरोज गांधी
भाई : संजय गांधी
नाना : जवाहरलाल नेहरू
नानी : कमला नेहरू
राष्ट्रीयता : भारतीय
पत्नी : सोनिया गांधी
बच्चे : प्रियंका गांधी, राहुल गांधी
पद : भारत के 9वें प्रधानमंत्री (List Of All Prime Ministers Of India (1947-2021)
राजनीतिक पार्टी : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
प्रधानमंत्री पद का कार्यकाल : 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसंबर 1989 तक
मृत्यु : 21 मई 1991 में
मृत्यु का कारण : हत्या
प्रारंभिक जीवन ।
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई, महाराष्ट्र (भारत) में हुआ। राजीव गांधी की मां का नाम इंदिरा गांधी है और इनके पिता फिरोज गांधी मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी में अलगाव होने के बाद से इंदिरा गांधी अपने पिता जवाहरलाल नेहरू के साथ रहने लगी। अपने पिता के साथ रहते हुए उन्होंने भी राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा।
इंदिरा गांधी राजनीतिक परिवार से रही थी, इसलिए उन्होंने राजनीति को बहुत ही करीब से देखा और जाना था। क्योंकि इंदिरा गांधी के पिता और राजीव गांधी के नाना जवाहरलाल नेहरू भी उस समय भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। जिसकी वजह से उनके घर में राजनीति का माहौल रहा। और इसलिए इंदिरा गांधी भी राजनीति के क्षेत्र में आ गई।
राजीव गांधी का एक भाई भी है, जिनका नाम संजय गांधी है। और वह भी राजनीति में अपनी मां के साथ राजनीति के गुर सीख रहे थे।
राजीव गांधी की शिक्षा ।
राजीव गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के एक प्रतिष्ठित विद्यालय से पूरी की। जहां महानायक अमिताभ बच्चन भी पढ़ा करते थे, और वही राजीव कि दोस्ती अमिताभ बच्चन से हुई।
अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद, आगे की पढ़ाई के लिए राजीव ने लंदन के ‘इंपीरियल कॉलेज’ में दाखिला लिया। वहां से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग करने का ऑफर मिला, और उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय मे अपना दाखिला ले लिया। लेकिन राजीव ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और 1966 में भारत वापस आ गए।
जब वे भारत लौटे तो उस समय उनकी मां इंदिरा गांधी देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बन चुकी थी। भारत आने के बाद, राजीव गांधी ने दिल्ली की फ्लाइंग क्लब से पायलट की ट्रेनिंग ली और 1970 में एक पायलट के तौर पर इंडियन एयरलाइंस में काम भी किया।
जब राजीव भारत आए, तो उस समय उनके भाई संजय गांधी अपनी मां के साथ भारत की राजनीति में उतर चुके थे।
राजीव गांधी का निजी जीवन ।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई के दौरान राजीव की मुलाकात एंटोनियो मैनो से हुई, और दोनों में दोस्ती हो गई। यह दोस्ती समय के साथ, धीरे-धीरे प्यार में बदल ग और वर्ष 1969 में उन्होंने एक-दूसरे के साथ शादी कर ली।
विवाह के बाद एंटोनियो मैनो, राजीव गांधी के साथ भारत आ गई और राजनीतिक पार्टी में होने के कारण सोनिया गांधी का नाम अपना नाम एंटोनियो मैनो से बदलकर सोनिया गांधी कर दिया गया।
राजीव गांधी की दो संतानें भी हैं, जिनमें एक बेटा राहुल गांधी और एक बेटी प्रियंका गांधी हैं।
शुरू से ही राजीव के घर में राजनीति का माहौल रहा था और उनका पूरा परिवार राजनीति से प्रेरित रहा। लेकिन राजीव को इन्हें राजनीति से लगाव नहीं था। लेकिन समय के साथ-साथ उन्होंने भी राजनीति के क्षेत्र में कदम रख ही लिया था।
आज भी उनकी पत्नी सोनिया गांधी, कांग्रेस की अध्यक्ष है और बेटा राहुल गांधी सांसद के रूप में कार्यरत है। वही बेटी प्रियंका गांधी भी उनकी पार्टी द्वारा राजनीतिक संगठन से जुड़ी हुई है।
राजीव गांधी का राजनीतिक सफर ।
राजीव गांधी को राजनीति से कोई लगाव नहीं था। लेकिन वक्त के बदलने के साथ-साथ उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा।
23 जून 1980 में संजय गांधी कि विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। जिसकी वजह से राजीव गांधी को अपनी मां कि मदद के लिए उनके साथ खड़े होने के लिए राजनीति में आना पड़ा।
राजनीति में कदम रखने के बाद, राजीव ने अमेठी से लोकसभा चुनाव जीता और संसद के सदस्य बने। वर्ष 1981 में राजीव को भारत के युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया।
राजीव गांधी का राजनीति में प्रधानमंत्री तक का सफर ।
31 अक्टूबर 1984 में राजीव गांधी की मां इंदिरा गांधी को उनके ही सीख बॉडीगार्ड द्वारा गोली मार कर उनकी हत्या कर दि गई। मौत के कुछ घंटों बाद ही कांग्रेस के सदस्यों कि सहमति द्वारा कांग्रेस की पूरी बागडोर राजीव गांधी के कंधों पर डाल दी गई।
1984 में आम चुनाव हुए जिसमें राजीव गांधी ने 80% सीट प्राप्त करते हुए जीत हासिल की और 40 साल की उम्र में वे देश के 9वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उस समय राजीव गांधी एक युवा प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राजीव गांधी ने देश में संचार क्रांति और कंप्यूटर विज्ञान को भारत में आरंभ किया। राजीव ने शिक्षा को हर तरफ से बढ़ाने का काम किया। उन्होंने 18 वर्ष के युवाओं को वोट देने का अधिकार और पंचायती राज को भी शामिल किया।
राजीव ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिसमें श्रीलंका में शांति सेना भेजना, असम-मिजोरम एवं पंजाब समझौता आदि शामिल था। उन्होंने कश्मीर और पंजाब में हो रहे आंतरिक लड़ाई को भी काबू करने का भरसक प्रयास किया। राजीव देश की युवा शक्ति को बहुत बढ़ावा देते थे। उनका मानना था कि, ‘देश का विकास युवाओं के द्वारा ही हो सकता है।’
देश के युवाओं को भरपूर रोजगार मिल सके, इसके लिए राजीव हमेशा प्रयासरत रहते थे। इसके लिए राजीव गांधी ने ‘जवाहर रोजगार योजना’ कि भी शुरूआत की थी। जिसकी मदद से ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सके।
राजीव गांधी पर लगे आरोप ।
राजीव गांधी स्वयं एक भ्रष्टाचार विरोधी थे। परंतु
राजीव गांधी पर सबसे बड़ा आरोप ₹64 करोड़ के बोफोर्स घोटाले में संलिप्त होने का लगा था। उन पर यह आरोप तब लगाया गया जब वह भारत के प्रधानमंत्री पद पर कार्यरत थे। इसका असर 1989 मे हुए चुनाव में भी देखने को मिला। इस चुनाव में राजीव गांधी को हार मिली और उनकी पार्टी विपक्ष में बैठने को मजबूर हो गई ।
राजीव गांधी पर दूसरा आरोप ‘शाहबानो प्रकरण’ में लगा था, जब उन्होंने संसद में कांग्रेस के प्रचंड बहुमत का दुरुपयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध एक विधेयक पारित करवा लिया।
1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के बारे में राजीव द्वारा दिए गए वक्तव्य की भी बड़ी आलोचना हुई थी। राजीव कहा था कि, ‘जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती तो हिलती ही है।’
1991 में ‘Switzerland in history Illustrate’ स्वीटजरलैंड इन हिस्ट्री इलस्ट्रेट हिस्ट्री इलस्ट्रेट नाम कि एक पत्रिका ने राजीव गांधी पर स्विस बैंकों में 2.5 बिलियन स्विस फ्रैंक (काले धन) रखने का आरोप लगाया था और यह आरोप भी सत्य साबित हुआ था।
1993 में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा गया था कि, सोवियत संघ की गुप्तचर संस्था के जीबी (GB) ने राजीव को धन मुहैया कराया था।
इसके अलावा, राजीव गांधी पर भोपाल गैस कांड के आरोपी वारेन एंडरसन को रिश्वत लेकर देश से भगाने का भी आरोप लगाया गया है।
1980 और 1990 के बीच कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाया गया था। इस घटना में सरकार पर घूसखोर होने का आरोप लगाया गया था जिसके कारण राजीव के राजनीतिक जीवन पर गहरा असर पड़ा।
राजीव गांधी की मृत्यु ।
श्रीलंका में हो रहे आतंकी मसलों को निपटाने के लिए राजीव गांधी ने अहम कदम उठाए थे। जिस कारण इन पर 1991 में हमला किया गया। इस हमले में उनकी मृत्यु हो गई और इस तरह से भारत ने राजीव गांधी जैसे एक महान युवा नेता को खो दिया।
21 मई 1991 को राजीव गांधी की मानव बम द्वारा हत्या कर दी गई। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था जब भारत के किसी बड़े नेता कि हत्या आतंकियों द्वारा कर दिया गया हो। इसके पहले भी तमिलनाडु में प्रचार करने के दौरान एक घटना हुई थी, जिसमें उनपर जानलेवा हमला किया गया था।
उनके परिवार में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की आतंकियों के द्वारा हत्या कर दी गई थी, जबकि संजय गांधी की मृत्यु आज भी एक सवाल बनी हुई है।
खबरों कि माने तो, संजय गांधी कि मृत्यु के पीछे इंदिरा का नाम सामने आता है। परंतु इस बात का कोई साक्ष्य नहीं मिलता है।
जबकि राजीव गांधी की मृत्यु से जनता को गहरा आघात पहुंचा था।