अजीम प्रेमजी की जीवनी
“जिंदगी में कभी जीत मिलती है, तो कभी हार। सबसे जरूरी बात यह है कि, जब आप हार जाएं तो, हार से मिला सबक ना भूलें।”
– अजीम प्रेमजी ।
अजीम प्रेमजी की जीवनी
अजीम प्रेमजी भारत के जाने-माने उद्योगपति, निवेशक हैं। अजीम प्रेमजी ‘विप्रो लिमिटेड‘ के अध्यक्ष भी हैं। अनौपचारिक रूप से उन्हें भारतीय आईटी उद्योग के क्षेत्र में बादशाह के रूप में जाना जाता है। अपने पिता के बाद उन्होंने ‘विप्रो’
वर्ष 2010 में उन्हें पहली बार एशिया वीक के द्वारा दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली पुरुषों में शामिल किया गया था। टाइम्स मैगजीन ने दो बार, पहली बार 2004 में और दूसरी बार 2011 में, सबसे अधिक प्रभावशाली लोगों की सूची में सूचीबद्ध किया है।
अजीम प्रेमजी का विप्रो में 73% की हिस्सेदारी है और निजी प्राइवेट इक्विटी फंड भी है।
अजीम प्रेमजी ने अपने प्रॉपर्टी का लगभग 75% हिस्सा दान कर दिया है। और अगर उन्होंने वह दान नहीं किया होता तो शायद आज वह भारत के दूसरे सबसे अमीर इंसान होते।
परोपकारीता के क्षेत्र में काम करने के लिए इन्होंने ‘अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ की स्थापना 2.2 बिलियन डॉलर के साथ शुरू किया, जो रूरल इंडिया के लिए (ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए) काम करती है।
हाल ही में जारी एडिलगिव फाउंडेशन (EdelGive Foundation) और हुरून इंडिया (Hurun India) की एक ताजा रिपोर्ट में, अजीम प्रेमजी को 100 लोगों कि सुची में दुनिया का 12वां सबसे बड़ा दानवीर माना गया है।
वर्ष 2017 के नवंबर माह मे 19.5 अरब अमेरिकी डॉलर के अनुमानित शुद्ध मूल्य के साथ वे भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति भी रह चुके हैं।
वर्तमान में (सितंबर 2021) भारत के साथ-साथ एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन की सूची में गौतम अडानी दूसरे स्थान पर हैं और पहले स्थान पर मुकेश अंबानी का नाम आता है।
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अजीम प्रेमजी की जीवनी
अजीम हाशिम प्रेमजी का जीवन परिचय : एक नजर में ।
नाम : अजीम हाशिम प्रेमजी
जन्म : 24 जुलाई 1945
जन्म स्थान : मुंबई, महाराष्ट्र (भारत)
पिता : मोहम्मद हाशिम प्रेमजी
राष्ट्रीयता : भारतीय
धर्म : मुस्लिम (शिया समुदाय)
शिक्षा : स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मे स्नातक
पत्नी : यासमीन
बच्चे : दो पुत्र, रिषद और तारीक
पेशा : उद्योगपति
क्षेत्र : कंज्यूमर गुड्स, इन्फ्राट्रक्चर इंजीनियरिंग और मेडिकल डिवाइसेज बिजनेस के क्षेत्र मे।
कंपनी : विप्रो के चेयरमैन
पुरस्कार : ‘पद्म भूषण’ (2005 मे),’पद्म विभूषण’ (2011 में)
कुल संपत्ति (नेटवर्थ) : $32.8 billion US dollars (USD)
अजीम प्रेमजी का प्रारंभिक जीवन ।
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई के एक निजारी, शिया मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पूर्वज मुख्यतः गुजरात मे स्थित कच्छ जिले के निवासी थे। उनके पिता का नाम हाशिम प्रेमजी है। वह एक प्रसिद्ध चावल व्यवसायी थे, और ‘राइस किंग ऑफ बर्मा’ (Rice king of Burma) के नाम से जाने जाते थे।
भारत और पाकिस्तान विभाजन के बाद मोहम्मद अली जिन्ना ने उनके पिता हाशिम प्रेम जी को पाकिस्तान आने और वहां पर अपना व्यापार करने का प्रस्ताव दिया पर उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और भारत में ही रहकर व्यापार करने का फैसला किया।
सन् 1945 में अजीम प्रेमजी के पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी ने महाराष्ट्र के जलगांव में ‘वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड’ की स्थापना की। यह कंपनी सनफ्लावर वनस्पति और कपड़े धोने के साबुन ‘787’ का निर्माण करती थी।
अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए उन्होने अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय मे दाखिला लिया। लेकिन दुर्भाग्यवश इस बीच 1966 में उनके पिता की मृत्यु हो गई और अजीम प्रेमजी को इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर भारत वापस आना पड़ा। उस समय उनकी उम्र मात्र 21 वर्ष की थी।
विप्रो की स्थापना ।
भारत वापस आकर उन्होंने अपने पिता का कारोबार संभाला और इसका विस्तार कई क्षेत्रों में किया। उस समय उन्होंने पश्चिमी भारत के सब्जी उत्पाद कहे जाने वाली कंपनी को हाइड्रोजनीकृत तेल निर्माण में बदला। इसके बाद अजीम प्रेमजी ने बेकरी वसा, जातीय घटक आधारित टॉयलटरीज, हेयर केयर साबुन, बेबी टॉयलेटरिज, लाइटिंग उत्पाद और हाइड्रोलिक सिलेंडर के क्षेत्र में अपने बिजनेस का विस्तार किया।
1980 के दशक में उभरते आईटी क्षेत्र के महत्व को पहचानने वाले युवा उद्यमी अजीम प्रेमजी ने कंपनी का नाम बदलकर ‘विप्रो’ कर दिया। आईबीएम के निष्कासन के बाद देश के आर्थिक क्षेत्र में एक खालीपन आ गया था, जिसका प्रेमजी ने भरपूर फायदा उठाया। उन्होंने अमेरिकी कंपनी सेंटिनल कंप्यूटर कॉरपोरेशन के साथ मिलकर मिनी कंप्यूटर बनाना प्रारंभ कर दिया।
इस प्रकार उन्होंने साबुन के स्थान पर आईटी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया जिसके बाद ‘विप्रो’ इस क्षेत्र में प्रतिष्ठित कंपनी बनकर उभरी।
अपने बिजनेस के करियर में अजीम प्रेमजी ने बहुत से उतार-चढ़ाव देखे। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने हमेशा अपने साथियों पर भरोसा रखा।
‘अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ के सीईओ दिलीप करंजेकर कहते हैं कि, “वह कभी हार नहीं मानने वाले व्यक्ति हैं, दूसरी बड़ी चीज यह है कि, वे जबरदस्त पेशेवर व्यक्ति हैं। उन्होंने इतनी बड़ी कंपनी को हमेशा ईमानदारी और तथ्यों के आधार पर चलाया है।”
अजीम हाशिम प्रेमजी का निजी जीवन ।
अजीम प्रेमजी का विवाह यासमीन के साथ हुआ। इस दंपति के दो पुत्र हैं, जिनका नाम रिषद और तारीक है। वर्तमान में रिषद ‘विप्रो’ के आईटी बिजनेस के मुख्य रणनीति अधिकारी के तौर पर काम कर रहे हैं।
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना ।
वर्ष 2001 में, अजीम प्रेमजी ने ‘अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ की स्थापना की। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका लक्ष्य है गुणवत्तायुक्त, सार्वभौमिक शिक्षा जो एक न्याय संगत, निष्पक्ष मानवीय समाज समाज की स्थापना में मददगार साबित हो। यह फाउंडेशन भारत के लगभग 13 लाख सरकारी स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति के लिए काम कर रही है।
वर्ष 2001 में स्थापित यह संगठन वर्तमान में कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पांडिचेरी, आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों के साथ मिलकर कार्य कर रही है।
वर्ष 2010 में अजीम प्रेमजी ने देश में स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए लगभग 2 अरब डॉलर की राशि दान देने का फेसला किया। कर्नाटक विधानसभा अधिनियम के तहत अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की भी स्थापना की गई।
‘The Giving Pledge’ के बारे में ।
अजीम प्रेमजी कहते हैं कि ‘अमीर होने से उन्हें रोमांच नहीं मिला।’
वारेन बफेट और बिल गेट्स के द्वारा प्रारंभ किए गए अभियान ‘द गिविंग प्लेज (The giving pledge)’ हिस्सा बनने वाले वे पहले भारतीय हैं और रिचर्ड ब्रेंनसन और डेविड सेंसबरी के बाद वे तीसरे गैर अमेरिकी हैं।
वारेन बफेट और बिल गेट्स द्वारा स्थापित किया गया यह अभियान दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों को अपनी संपत्ति का ज्यादातर भाग समाज के हित और परोपकारीता के लिए दान करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
अजीम प्रेमजी कहते हैं कि “मुझे दृढ़ विश्वास है कि, हममें से जिन्हें भी धन रखने का विशेषाधिकार है, उन्हें उन लाखों लोगों के लिए बेहतर दुनिया बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए जो बहुत कम विशेषाधिकार प्राप्त करते हैं।”
सन् 2013 में उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने अपनी कुल संपत्ति का लगभग 25% दान दे दिया है और 25% अगले 5 साल में दान करेंगे।
अजीम प्रेमजी की यही बात उन्हें दूसरे उद्योगपतियों से अलग करती है।
अजीम प्रेमजी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ।
2020 में आई उनकी एक किताब ‘अजीम प्रेमजी : The man beyond the Bellions’ में इस बात का जिक्र किया गया है कि, अजीम प्रेमजी कितनी सिंपलीसिटी के साथ रहते हैं।
- इस किताब में यह बताया गया है कि वह साधारण कपड़े पहनना पसंद करते हैं, और उन्होंने सबसे महंगा कपड़ा पेरिस में बारिश से बचने के लिए एक ओवरकोट खरीदा और इस ओवरकोट की कीमत ₹3000 थी।
- अजीम प्रेमजी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जब वह फॉरेन टूर पर जाते हैं तो, वह अपने कपड़े खुद ही साफ करते थे और साबुन अपने कूलिग से ले लिया करते थे।
- एक बार विप्रो के प्रेसिडेंट सुदीप नंदी ने उनसे पूछा कि, “सर, आप इतने बड़े बिजनेसमैन हैं, और इतनी ऊंचाई पर हैं, फिर भी आप अपने कपड़े खुद खुद ही साफ करते हैं। ऐसा क्यों? तब अजीम प्रेमजी ने जवाब देते हुए कहा था कि, “मैं अपने कपड़ों को लॉन्ड्री में तो धुलवा सकता हूं, पर लॉन्ड्री का जो बिल आएगा वह मेरे कपड़ों की कीमत से ज्यादा होगा। इसलिए मुझे अपने कपड़े खुद ही धूलना पसंद है, और मैं हमेशा जीवन भर जमीन से जुड़ा रहना पसंद करता हूं।
- अजीम प्रेमजी के लिए हर एक आदमी एक समान है। उनके जीवन की एक घटना है कि एक बार जब अजीम प्रेमजी अपने ऑफिस विप्रो पहुंचे तो जहां उनके पार्किंग में उनकी गाड़ी पार्क होती थी, वहां उनके कंपनी के ही एक दूसरे कर्मचारी ने अपनी गाड़ी पार्क कर दी थी।
यह बात जब कंपनी के अधिकारियों को पता चली तो उन्होंने एक सिस्टम बनाया कि, यह पार्किंग कि जगह अजीम प्रेमजी की है और यहां कोई दूसरी गाड़ी पार्क नहीं होगी। यह बात पूरे कंपनी के अधिकारियों से लेकर सभी कर्मचारियों को पता चल गई।
परंतु जब अजीम प्रेमजी को यह बात पता चली तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि “हमारी कंपनी के पार्किंग स्पेस में अगर जगह खाली है तो कोई भी कहीं भी अपनी गाड़ी पार्क कर सकता है। मुझे अगर जगह चाहिए या मुझे अगर वही जगह चाहिए तो मुझे अपने ऑफिस जल्दी आना होगा। उनके लिए उनकी कंपनी का हर एक कर्मचारी समान है।”
- अजीम प्रेमजी के पिताजी मोहम्मद हाशिम प्रेमजी को भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद पाकिस्तान से मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा प्रस्ताव भेजा गया था। इस प्रस्ताव में उन्होंने हाशिम प्रेमजी को पाकिस्तान के ‘फाइनेंस मिनिस्टर’ के पद का प्रस्ताव भेजा था, पर मोहम्मद हाशिम प्रेमजी ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा कि, “नहीं, मैं भारत में अपनी मिट्टी के साथ जुड़ा रहना चाहता हूं। मैं यहीं रहूंगा और यहां के लोगों के लिए काम करता रहूंगा।
- भारत में जब कोरोनावायरस तेजी से फैल रहा था, तब 2019-20 के वित्तीय वर्ष में अजीम प्रेमजी ने 7904 करोड रुपए दान किए थे। और दिन के हिसाब से देखा जाए तो एक वर्ष के कुल 365 दिनो मैं उन्होंने हर दिन लगभग 22 करोड़ रुपए समाज की भलाई के लिए दान दिया है। और यह काम वे ‘अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ के जरिए कर रहे है।
- इस फाउंडेशन का मकसद यह है कि, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों तक अच्छी शिक्षा पहुंच सके।
- इस फाउंडेशन ने 1000 करोड रुपए का पहले भी योगदान दिया था, जब कोविड-19 भारत में आया, और वैक्सीनेशन के समय में भी इस संस्था ने ₹1000 का दान दिया था।
- अजीम प्रेमजी की संपत्ति लगभग छह अरब डॉलर (अगस्त 2021 तक) है। एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर अजीम प्रेमजी ने अपनी संपत्ति का 75% हिस्सा दान नहीं किया होता, तो आज वह भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति होते।
- वह जब भी फ्लाइट में सफर करते हैं तो इकोनामी क्लास में ही सफर करते हैं।
पुरस्कार एवं सम्मान ।
2000 – मणिपाल अकादमी आफ हायर एजुकेशन द्वारा मानव डायरेक्टरेट प्रदान किया गया।
2005 – भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित।
2006 – नेशनल इंस्टीट्यूट आफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, मुंबई द्वारा लक्ष्मी बिजनेस विजनरी से सम्मानित।
2009 – मिडलटाउन, कनेक्टिकट मे वेस्लेयन विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट से सम्मानित
2011 – भारत सरकार द्वारा दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित
2013 – ईटी लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित।
2015 – मैसूर विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित।
2017 – इंडिया टुडे पत्रिका द्वारा, भारत के 50 सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में नौवां स्थान दिया।
अजीम प्रेमजी के कुछ अनमोल विचार ।
- यदि कोई आपके लक्ष्य पर नहीं हंस रहा है तो आप समझ लीजिए कि आपका लक्ष्य बहुत ही छोटा है।
- हर इंसान को दो बार सफलता पानी होती है, पहली बार अपने मन में और दूसरी बार वास्तविक जीवन में।
- कभी-कभी आप जीवन में इतना अधिक हासिल कर लेते हैं, कि आपको यह लगने लगता है कि, क्या मैं इसके काबिल हूं भी नहीं या नहीं।
- नेतृत्व अपने से अधिक कुशल व्यक्ति के साथ कार्य करने का आत्मविश्वास है।
- जिंदगी में कभी जीत मिलती है, तो कभी हार। सबसे जरूरी बात यह है कि, जब आप हार जाएं तो, हार से मिला सबक ना भूलें।
- मैं अपने काम करने के तरीकों में विनम्रता और ईमानदारी को अधिक महत्व देता हूं।
- अगर बाहर के बदलाव की दर आपके अंदर के बदलाव से अधिक है, तो आपका अंत निकट है।
- शिक्षा ही भारत में आगे बढ़ने का रास्ता है।
- जीत उन्हीं लोगों के भाग्य में होती है, जिन्हें अपने जीतने का विश्वास होता है।
- लोग अपनी सफलता की चाबी खुद ही होते हैं।
- मुझे लगता है कि, लोकतंत्र का लाभ यह है कि हम ‘नेताओं के समूह’ पर कम निर्भर होते हैं।
- भारत को आगे ले जाने का एकमात्र तरीका शिक्षा है। हालांकि आज भी लाखों बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं।