मिल्खा सिंह की बायोग्राफी | Milkha Singh Biography in Hindi
मिल्खा सिंह की बायोग्राफी | Milkha Singh Biography in Hindi
फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का जीवन परिचय (मिल्खा सिंह कि बायोग्राफी, मिल्खा सिंह कौन थे, उम्र, परिवार, शिक्षा, करियर, रिकॉर्ड, शादी, बच्चे, मृत्यु) | (Milkha Singh Biography in Hindi [ Milkha Singh, Age, Family, Education, Career, Record, Marriage, Children, Death]
अपनी पत्नी निर्मल कौर के साथ मिल्खा सिंह ।
फरहान अख्तर मिल्खा सिंह के साथ।
मिल्खा सिंह
(Milkha Singh)
पुर्व भारतीय एथलीट
मिल्खा सिंह एक भारतीय धावक थे, जिन्होंने रोम मे आयोजित 1960 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों मे और टोक्यो के 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। मिल्खा सिंह को ‘उड़न सिख’ यानि कि ‘फ्लाइंग सिख
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मिल्खा सिंह की बायोग्राफी | Milkha Singh Biography in Hindi
मिल्खा सिंह देश के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में से एक थे, जिन्होंने अपनी अद्वितीय स्पीड के कारण कई रिकॉर्ड दर्ज किए हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने भी मिल्खा सिंह की असाधारण खेल प्रतिभा की प्रशंसा की थी। जबकि भारत सरकार ने 1959 में उन्हें पद्म श्री सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
भले ही मिल्खा सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन मिल्खा सिंह आज भी युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं। तो आइए जानते हैं, मिल्खा सिंह जी के गौरवपूर्ण जीवन परिचय, उनके संघर्ष से लेकर सफल करियर और उनके सफर के बारे में :
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मिल्खा सिंह का जीवन परिचय : एक नजर में ।
नाम : मिल्खा सिंह (Milkha Singh)
उपनाम (Nickname) : ‘फ्लाइंग सिख’ (Flying Sikh)
जन्म : 20 नवंबर 1929
जन्म स्थान : गोविन्दपुरा, पंजाब (वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा)
धर्म : सिख
जाति : जाट
राष्ट्रीयता : भारतीय
पेशा (Profession) : भारतीय धावक (एथलिट) एवं पूर्व भारतीय सैनिक
पत्नी : निर्मला कौर
संतान : चार बच्चे
मृत्यु : 18 जून 2021 (उम्र 91)
सम्मान : पद्म श्री
मिल्खा सिंह का प्रारंभिक जीवन (Early Life) ।
मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को पंजाब के गोविन्दपुर (वर्तमान मे पाकिस्तान का पंजाब प्रान्त) में एक सिख जाट परिवार में हुआ था। परिवारिक हंसता खेलता परिवार था। लेकिन वर्ष 1947 मे, भारत के विभाजन के बाद मची अफ़रा तफ़री में मिल्खा सिंह ने अपने माँ-बाप को खो दिया। वे शरणार्थी बनकर ट्रेन से पाकिस्तान से भारत आ गए। इसके बाद उनका बचपन बहुत ही विकट परिस्थितियों मे गुजरा, और उन्हें बचपन से ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
बचपन में ही सिर से मां-बाप का साया उठ जाने के बाद, उन्होंने अपना जीवन कठिन परिस्थितियों में बिताया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बचपन में ही कुछ बड़ा करने फैसला किया। इसके बाद वे, भारतीय सेना में भर्ती होने की कोशिश करते रहे और आखिरकार, वर्ष 1952 में वह भारतीय सेना की विद्युत मैकेनिकल इंजीनियरिंग शाखा में शामिल होने में सफल हो गये।
शारीरिक संरचना (Body Measurement) ।
लंबाई |
से० मी०- 178
मी०- 1.78 फीट इंच- 5’10” |
वजन |
76 Kg |
आंखों का रंग |
काला |
बालों का रंग |
भुरा |
मिल्खा सिंह के करियर की शुरुआत | Milkha Singh Career
वर्ष 1952 में मिल्खा सिंह, भारतीय सेना की विद्युत मैकेनिकल इंजीनियरिंग शाखा में शामिल हुए। उस दौरान एक बार सशस्त्र बल के उनके कोच हवलदार गुरुदेव सिंह ने ट्रेनिंग के दौरान उन्हें दौड़ते हुए देखा। तब उनके कोच हवलदार गुरुदेव सिंह ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें दौड़ने (रेस) के लिए प्रेरित किया। उसके बाद मिल्खा सिंह ने कड़ी मेहनत के साथ अपना अभ्यास करना शुरू कर दिया।
सेना में ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने कड़ी मेहनत की और 200 मीटर और 400 मीटर में अपने आप को स्थापित किया। वह वर्ष 1956 में पटियाला में हुए राष्ट्रीय खेलों के समय से सुर्खियों में आये।
इसके बाद उन्होंने कई प्रतियोगिताओं मे हिस्सा लिया और सफलता हासिल की। वर्ष 1956 के मेलबर्न ओलिंपिक गेम्स में 200 मीटर और 400 मीटर की प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। लेकिन मिल्खा सिंह को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुभव न होने के कारण वे इस ओलंपिक में सफल नहीं हो पाए। लेकिन 400 मीटर प्रतियोगिता के विजेता रहे चार्ल्स जेंकिंस के साथ हुई उनकी मुलाकात से वे काफी प्रभावित हुए। चार्ल्स जेंकिंस से हुई इस मुलाकात मे उन्होंने ट्रेनिंग के नए तरीकों के बारे मे सीखा।
इसके बाद मिल्खा सिंह ने वर्ष 1957 में 400 मीटर की दौड़ को 50 सैकेंड में पूरा करते हुए एक नया राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाया था। वर्ष 1958 में कटक में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में मिल्खा सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर प्रतियोगिता में राष्ट्रीय कीर्तिमान रचने के बाद, एशियन गेम्स में भी उन्होंने अपना परचम लहराया। इन दोनों प्रतियोगिताओं में उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भारत को स्वर्ण पदक दिलाया।
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मिल्खा सिंह | Milkha Singh
इसके बाद मिल्खा सिंह को एक और सफलता तब मिली जब वर्ष 1958 में उन्होंने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस जीत के साथ ही मिल्खा सिंह, राष्ट्रमंडल खेलों के व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले स्वतंत्र भारत के पहले खिलाड़ी बन गए।
वर्ष 1958 के एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भारतीय सेना ने मिल्खा सिंह को जूनियर कमीशंड ऑफिसर के पद पर प्रमोशन देते हुए सम्मानित किया। बाद मे, मिल्खा सिंह को पंजाब के शिक्षा विभाग में खेल निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया। इस पद पर मिल्खा सिंह ने कई सालों तक अपनी सेवाएं दी, और वर्ष 1998 में रिटायर हो गए।
वर्ष 1960 में रोम में आयोजित ओलंपिक गेम्स में मिल्खा सिंह ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, 400 मीटर कि रेस में 40 साल के रिकॉर्ड को तो तोड़ा, लेकिन वे भारत के लिए कोई पदक जीत न सके, और इस प्रतियोगिता में वे चौथे स्थान पर रहे।
रोम ओलंपिक में, अपनी असफलता के बाद मिल्खा सिंह इतने निराश हो गए थे कि, उन्होंने दौड़ से संयास लेने का मन बना लिया था। लेकिन बाद में उनके प्रशंसकों और दिग्गज एथलीटों के द्वारा समझाने के बाद मिल्खा सिंह ने सन्यास लेने के अपने इस फैसले को टाल दिया।
इसके बाद वर्ष 1962 में शानदार वापसी करते हुए मिल्खा सिंह ने जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में 400 मीटर और 4 X 400 मीटर रिले दौड़ में गोल्ड मैडल जीतकर भारत को गौरवान्वित किया।
इसी दौरान, उन्हें पाकिस्तान में दौड़ने का न्यौता मिला, लेकिन मिल्खा सिंह अपने बचपन की घटनाओं को याद करते हुए, वे वहाँ जाने से हिचक रहे थे। लेकिन उनके वहां न जाने पर राजनैतिक उथल-पुथल की भी आशंका थी इसलिए राजनीतिक दलों द्वारा उन्हें पाकिस्तान जाने को कहा गया। जिसके बाद, उन्होंने दौड़ने का यह न्यौता स्वीकार कर लिया। पाकिस्तान में आयोजित इस दौड़ में मिल्खा सिंह ने आसानी से अपने प्रतिद्वन्द्वियों को हरा दिया। वहां मौजूद ज्यादातर मुस्लिम दर्शक मिल्खा सिंह से इतने प्रभावित हुए कि, पूरी तरह बुर्का पहनी औरतों ने भी भारत के महान धावक मिल्खा सिंह को दौड़ते हुए देखने के लिए अपने नक़ाब उतार लिए थे। इस प्रतियोगिता में, मिल्खा सिंह ने अब्दुल खालिक को पराजित किया था, जो पाकिस्तान का सबसे तेज़ धावक था। जिसके बाद पाकिस्तानी जनरल अयूब खान ने उन्हें ‘उड़न सिख’ (Flying Sikh) कह कर पुकारा था। जिसके बाद मिल्खा सिंह को ‘उड़न सिख’ का उपनाम दिया गया।
मिल्खा सिंह ने बाद में खेल से सन्यास ले लिया, और भारत सरकार के साथ मिलकर खेलकूद के प्रोत्साहन के लिए काम करना शुरू कर दिया। वर्ष 1960 में रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह के द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड को 38 सालों बाद, वर्ष 1998 में धावक परमजीत सिंह ने तोड़ा था।
‘उड़न सिख’ के उपनाम से प्रसिद्ध मिल्खा सिंह सेना पद से सेवानिवृत्त होने के बाद, देश में होने वाले कई अलग-अलग खेल आयोजनों में शिरकत करते रहते थे। 30 नवंबर,2014 को हैदराबाद में हुए 10 किलोमीटर के ‘जियो मैराथन-2014’ को मिल्खा सिंह ने झंड़ा दिखाकर रवाना किया था।
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मिल्खा सिंह पर बनी फिल्म | Milkha Singh Movie
भारत के महान एथलीट कहे जाने वाले मिल्खा सिंह ने अपनी बेटी सोनिया संवलका के साथ मिलकर अपनी जीवनी (Biography) लिखा था। इस पुस्तक का नाम ‘The Race Of My Life’ है। उन्होंने अपनी जीवनी बॉलीवुड के प्रसिद्द निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा को बेच दिया था, जिसके बाद फिल्म निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने मिल्खा सिंह के प्रेरणादायी जीवन से प्रभावित होकर उनपर एक फिल्म बनाई। इस फिल्म का नाम था ‘भाग मिल्खा भाग’।
यह फिल्म 12 जुलाई 2013 को सिनेमाघरों में आई। इस फिल्म में मिल्खा सिंह का किरदार फरहान अख्तर ने निभाया था। यह फिल्म दर्शकों को बहुत पसंद आई और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। वर्ष 2014 में इस फिल्म को ‘बेस्ट एंटरटेनमेंट फिल्म’ का पुरस्कार भी दिया गया था।
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फरहान अख्तर मिल्खा सिंह के साथ।
यह फिल्म देखने के बाद मिल्खा सिंह की आंखों में आंसू आ गए थे। इस फिल्म में फरहान अख्तर ने बेहतरीन भूमिका निभाया था और मिल्खा सिंह, फरहान अख्तर के अभिनय से काफी खुश भी थे।
निजी जीवन (Personal Life)
वर्ष 1955 में चंडीगढ़ में मिल्खा सिंह की मुलाकात निर्मल कौर से हुई। उस समय निर्मल कौर, भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान थी। इस छोटी सी मुलाकात में उन दोनों के बीच दोस्ती हुई, और इसके बाद वर्ष 1962 में दोनों ने शादी कर ली।
![मिल्खा सिंह की बायोग्राफी | Milkha Singh Biography in Hindi 4 अपनी पत्नी निर्मल कौर के साथ मिल्खा सिंह ।](https://i0.wp.com/biographybooks.in/wp-content/uploads/2022/03/milkha02.jpg?resize=635%2C404)
अपनी पत्नी निर्मल कौर के साथ मिल्खा सिंह ।
शादी के बाद, उन्हें चार बच्चे हुए, जिनमें 3 बेटियाँ और एक बेटा है। बेटे का नाम जीव मिल्खा सिंह (Jeev Milkha Singh) है। वर्तमान में जीव मिलखा सिंह एक मशहूर गोल्फ़ खिलाड़ी हैं।
साल 1999 में उन्होंने सात साल के एक बच्चे को गोद लिया था, जिसका नाम हवलदार बिक्रम सिंह था। जो कि टाइगर हिल के युद्ध (Battle of Tiger Hill) में शहीद हो गया था।
मिल्खा सिंह कि मृत्यु | Milkha Singh Death
18 जून, 2021 को 91 वर्ष की उम्र में मिल्खा सिंह का निधन हो गया। उन्होंने चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर (PGIMER) अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे ‘कोविड-19’ से ग्रस्त थे। मिल्खा सिंह मई 2021 को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, जिसके बाद में अस्पताल में भर्ती किया गया था। इलाज के दौरान उनकी सेहत में काफी सुधार देखा गया था, जून माह के मध्य में अचानक से उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ती गयी और आखिरकार, 18 जून 2021 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया|
मिल्खा सिंह कि मृत्यु के चार दिन पहले ही उनकी पत्नी का देहान्त भी ‘कोविड-19’ कि वजह से ही हो गया था।
![मिल्खा सिंह की बायोग्राफी | Milkha Singh Biography in Hindi 5 अपनी पत्नी निर्मल कौर के साथ मिल्खा सिंह।](https://i0.wp.com/biographybooks.in/wp-content/uploads/2022/03/milkha-singh.jpg?resize=875%2C635)
अपनी पत्नी निर्मल कौर के साथ मिल्खा सिंह।
मिल्खा सिंह द्वारा बनाए गए कुछ रिकॉर्ड
- वर्ष 1957 में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की दौड़ को महज 47.5 सेकंड मे पुरा करते हुए, एक नया रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया।
- वर्ष 1958 में मिल्खा सिंह ने टोकियो जापान में आयोजित तीसरे एशियाई खेलो मे 400 और 200 मीटर की दौड़ में दो नए रिकॉर्ड स्थापित किए और गोल्ड मैडल जीता।
- वर्ष 1958 में ही ब्रिटेन के कार्डिफ में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मैडल जीता।
- वर्ष 1958 के एशियाई खेलों में 200 मीटर व 400 मी में स्वर्ण पदक जीता।वर्ष 1958 के राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
- वर्ष 1958 के एशियाई खेलों की 400 मीटर रेस में प्रथम स्थान पर रहे।
- वर्ष 1959 में इंडोनेशिया में आयोजित चौथे एशियाई खेलो में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मैडल जीतकर नया कीर्तमान स्थापनित किया।
- वर्ष 1960 में रोम ओलिंपिक खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की दौड़ का रिकॉर्ड तोड़कर एक राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया था।
- वर्ष 1962 के एशियाई खेलों मे 400 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान पर रहे।
- वर्ष 1962 के एशियाई खेलों की 4*400 रिले रेस में प्रथम स्थान मिला।
- वर्ष 1964 के कलकत्ता राष्ट्रीय खेलों की 400 मीटर रेस में द्वितीय स्थान पर रहे।
- 1 जुलाई 2012 को, मिल्खा सिंह को भारत का सबसे सफल धावक माना गया था। उन्होंने ओलंपिक गेम्स में लगभग 20 पदक अपने नाम किये है। जो कि अपने आप में ही एक रिकॉर्ड है।
मिल्खा सिंह को मिले पुरस्कार और सम्मान (Awards and Rewards) |
1959 : भारत सरकार द्वारा मिल्खा सिंह को उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
- वर्ष 2001 में, मिल्खा सिंह को भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा था। लेकिन मिल्खा सिंह ने यह पुरस्कार लेने से मना करते हुए कहा था कि, यह पुरस्कार उन्हें 40 साल देरी से दिया जा रहा था।
मिल्खा सिंह से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Some Interesting Facts) ।
- मिल्खा सिंह का जन्म पंजाब के गोविंदपुर में हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा है।
- भारत पाक विभाजन के समय मिल्खा के माता पिता की मृत्यु हो गई थी। उस समय मिल्खा सिंह मित्र 12 साल के थे। इसके बाद वे ट्रेन से भारत आ गए।
- मिल्खा सिंह स्कूल जाने के लिए रोज पैदल 10 किलोमीटर का सफ़र तय करते थे।
- बचपन से ही वे भारतीय सेना में जाना चाहते थे, लेकिन इसमे वे तीन बार असफल हुए। लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी, प्रयास करते रहे और चौथी बार मे वे सफल रहे।
- जब सैनिक अपने दूसरे कामों में व्यस्त रहते थे, तब मिल्खा सिंह ट्रेन के साथ दौड़ा करते थे।
- वर्ष 1958 के एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह की उपलब्धियों को देखते हुए भारतीय थल सेना ने उन्हें आर्मी में जूनियर कमीशन का पद पर नियुक्त किया।
- वर्ष 1962 में, मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान मे अब्दुल खालिक को हराया था। जो पाकिस्तान का सबसे तेज़ धावक था। जिसके बाद पाकिस्तानी जनरल अयूब खान ने उन्हें ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से पुकारा था।
- 1999 में, मिल्खा ने सात साल के बहादुर लड़के हवलदार सिंह को गोद लिया था। जो कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल में मारा गया था।
- वर्ष 2001 में, मिल्खा सिंह ने ‘अर्जुन पुरस्कार’ लेने से मना कर दिया था। इस बारे में उन्होंने कहा कि, यह पुरस्कार उन्हें 40 साल देर से दिया गया है।
- वर्ष 2012 में आयोजित रोम ओलंपिक के 400 मीटर की दौड़ मे मिल्खा सिंह ने, जो जूते पहने थे, उसे एक चैरिटी संस्था को नीलामी में दे दिया था।
- मिल्खा सिंह ने अपने द्वारा जीते गए सभी पदकों को देश के नाम समर्पित कर दिया था। पहले उनके मैडल्स को जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में रखा गया था। लेकिन बाद में इसे पटियाला के ‘पटियाला गेम्स म्यूजियम’ में स्थानांतरित कर दिया गया।
मिल्खा सिंह के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर (FAQ)।
प्रश्न : मिल्खा सिंह कौन थे ?
उत्तर : मिल्खा सिंह एक भारतीय धावक थे। मिल्खा सिंह को ‘उड़न सिख’ यानि कि ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से भी जाना जाता है। वे कॉमनवेल्थ खेलो में भारत को स्वर्ण पदक दिलवाने वाले पहले एथलीट थे। वे भारत के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स में से एक थे। वे एक राजपूत सिख (राठौड़) परिवार से थे।
प्रश्न : मिल्खा सिंह का जन्म कब हुआ ?
उत्तर : मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को पंजाब के गोविंदपुर, जो कि वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा है, में हुआ था।
प्रश्न : मिल्खा सिंह की मृत्यु कब हुई थी ?
उत्तर : मिल्खा सिंह की मृत्यु 18 जून 2021 को कोविड-19 के कारण हो गई। वह 91 वर्ष के थे।
प्रश्न : मिल्खा सिंह की शादी किससे हुई है ?
उत्तर : मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल कौर थी, जो वर्ष 1955 में भारतीय वॉलीबॉल टीम की कप्तान थी।
प्रश्न : मिल्खा सिंह के कितने बच्चे हैं ?
उत्तर : मिल्खा सिंह के चार बच्चे हैं, जिनमें एक बेटा और 3 बेटियां हैं।
प्रश्न : मिल्खा सिंह किससे संबंधित थे ?
उत्तर : खेल जगत से।
प्रश्न : मिल्खा सिंह का बेटा कौन है ?
उत्तर : मिल्खा सिंह के बेटे का नाम जीव सिंह मिल्खा है, जो एक मशहूर गोल्फर हैं।
प्रश्न : मिल्खा सिंह पर बनी फिल्म का नाम क्या है?
उत्तर : मिल्खा सिंह पर बनी फिल्म का नाम ‘भाग मिल्खा भाग’ है। जिसे फिल्म निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने निर्देशित किया है। यह फिल्म वर्ष 2013 में रिलीज की गई थी।
प्रश्न : फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ मे मिल्खा सिंह का किरदार किसने निभाया है?
उत्तर : फिल्म भाग मिल्खा भाग में मिल्खा सिंह का किरदार मशहूर फिल्म निर्माता और अभिनेता फरहान अख्तर ने निभाया है।
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आभार ।
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