एन आर नारायण मूर्ति की बायोग्राफी | N.R. Narayana Murthy Ki Biography in Hindi

                                                                                               “हमारी संपत्ति हर शाम दरवाजे से बाहर निकलती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि, वह अगली सुबह वापस आ जाए।”

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                                                                                                                                         – एन आर नारायण मूर्ति ।

एन आर नारायण मूर्ति की बायोग्राफी | N.R. Narayana Murthy Ki Biography in Hindi

एनआर नारायण मूर्ति भारत के बहुत बड़े उद्योगपति हैं। इन्होंने एक सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस टेक्नोलॉजी की स्थापना किया है। इस कंपनी ने सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में सफलता प्राप्त किया है। फार्च्यून पत्रिका की सूची में एन.आर. नारायण मूर्ति नाम विश्व के 12 महानतम उद्यमियों मे शामिल किया गया है। टाइम्स पत्रिका ने भी उन्हें भारतीय आईटी (IT) उद्योग का जनक माना है। पत्रकारिता के क्षेत्र में देश और समाज में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘पद्मश्री’ और ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया है।

एन.आर. नारायण मूर्ति ने सन् 1981 से सन् 2002 तक ‘इंफोसिस’ के मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर कंपनी का नेतृत्व किया। इसके बाद वर्ष 2002 से वर्ष 2006 तक वे बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। यद्यपि उन्होंने अपने कार्य क्षेत्र से अवकाश प्राप्त कर लिया है लेकिन वह इंफोसिस के मानद चेयरमैन के पर बने रहेंगे।

इंफोसिस के अलावा वे और भी कई बड़ी और नामी कंपनियों के स्वतंत्र निदेशक और निदेशक के पद पर भी कार्य कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने ‘एचएसबीसी (HSBC)’ के कॉर्पोरेट बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक और डीबीएस (DBS) बैंक, युनिलीवर (Unilever), आईसीआईसीआई (ICICI),और एनडीटीवी (NDTV), आदि जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निदेशक के पद पर कार्यरत रहे हैं।

एन आर नारायण मूर्ति की बायोग्राफी | N.R. Narayana Murthy Ki Biography in Hindi

एन आर नारायण मूर्ति की बायोग्राफी | N.R. Narayana Murthy Ki Biography in Hindi

एन. आर. नारायण मूर्ति का जीवन परिचय एक नजर में ।

नाम  :   एन. आर. नारायण मूर्ति 

जन्म  :   20 अगस्त 1946 

जन्म स्थान  :   मसूरी, (वर्तमान में मैसूर, कर्नाटका), भारत

पिता  :   एन. रामा राव 

शिक्षा  :   मैसूर विश्वविद्यालय से बीए (B.A.) और आईटी कानपुर से मास्टर्स की डिग्री

राष्ट्रीयता  :   भारतीय 

पत्नी  :   सुधा मूर्ति 

बच्चे  :   बेटा, रोहण मूर्ति और बेटी, अक्षता मूर्ति

व्यवसाय  :   चेयरमैन एमेरिटस इंफोसिस

संस्थापक  :  इंफोसिस टेक्नोलॉजी

पुरस्कार  :   ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’

कुल संपत्ति (नेटवर्थ)  :   $3.5 billion US rollers (USD), 9 फरवरी 2021 तक।

 

एन. आर. नारायण मूर्ति का प्रारंभिक जीवन।

एन. आर. नारायण मूर्ति का जन्म 20 अगस्त 1946 में कर्नाटक स्थित मसूरी शहर के सिद्लाघत्ता मे एक सामान्य परिवार में हुआ। इनके 8 भाई और एक बहन  है। उनके पिता स्कूल शिक्षक और चाचा नागरिक सेवक थे। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण न्यायमूर्ति ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से पूरी कि। उनके पिता चाहते थे कि वे एक ही मार्ग का अनुसरण करे। परंतु इन्होंने अपने लिए एक अलग ही योजना बनाया था। वे एक इंजीनियर बनना चाहते थे। 

नारायणमूर्ति बचपन से ही प्रतिभाशाली थे, और दूसरे छात्रों की तुलना में वे प्रश्न पत्र को चुटकियों में हल कर दिया करते थे।

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद नारायण मूर्ति आईआईटी (IIT) कानपुर में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा दी, जिसमें छात्रवृत्ति के साथ उनका दाखिला भी हो गया। परंतु छात्रवृत्ति से उनकी पढ़ाई का खर्च पूरा नहीं निकल रहा था, और आर्थिक तंगी के कारण उनके पिता फीस का भुगतान करने में असमर्थ थे। इसके बाद अपने पिता की सलाह पर उन्होंने एक स्थानीय इंजीनियरिंग कॉलेज ‘नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग,मैसूर’ में प्रवेश लिया। 

सन् 1967 में उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई की डिग्री के साथ ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद सन् 1959 में उन्होंने आईआईटी कानपुर से मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। मास्टर्स में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए वे गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे। 

जब वह आईटी कि पढ़ाई कर रहे थे तो उन्हें अमेरिका से एक प्रसिद्ध कंप्यूटर वैज्ञानिक के साथ एक बैठक करने का मौका मिला, और उनकी बातों से वे बहुत प्रभावित हुए। उससे प्रभावित होकर उन्होंने आईटी के क्षेत्र में अपना करियर बनाने का फैसला लिया था।

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एन. आर. नारायण मूर्ति का करियर ।

अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्हें कई कंपनियों मे        

उच्च वेतन पर नौकरी के लिए ऑफर आने लगे। जिसमें एचएमटी (HMT), टेल्को (Telco), एयर इंडिया, जैसी कंपनियां शामिल है। क्योंकि उस समय में भारत में कुछ ही लोग कंप्यूटर विज्ञान से ग्रेजुएट थे। हालांकि बाद मे उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद में नौकरी करने का फैसला किया। यहां उन्होंने चीफ सिस्टम प्रोग्रामर के तौर पर अपनी सेवाएं दी, और भारत के प्रथम टाइम शेयरिंग कंप्यूटर सिस्टम पर कार्य किया। 

आईआईएम अहमदाबाद भारत का पहला और हावर्ड एवं स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बिजनेस स्कूल माना जाता है। यहां काम करते हुए उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के लिए बेसिक (BASIC) इंटरप्रेटर लागू किया।

1970 के दशक मे एन आर नारायण मूर्ति ने विदेशों में भी काम किया, जहां उन्होंने पेरिस में कुछ समय बिताया। यहां बताए समय ने उन पर गहरा प्रभाव डाला। शुरूआत में वे एक कट्टर वामपंथी थे, जो साम्यवाद के समर्थक थे। बाद में उन्होंने दयालु, पूंजीवाद और रोजगार के बड़े पैमाने पर निर्माण करने के लिए अपने विचारों और इससे जुड़ी धारणाओं को को बदल दिया। उन्होंने पश्चिमी देशों से बहुत कुछ सीखा था। परंतु अंत में वे भारत में ही रहना चाहते थे और अपने देश में ही अपनी खुद की कंपनी शुरू करना चाहते थे तो पूरे भारत वापस आ गए।

भारत आकर उन्होंने एक कंपनी सॉफ्टवेयर कंपनी ‘सॉफ्ट्रोनिक्स’ की स्थापना की, जो असफल रहा। अपनी कंपनी के असफल होने के बाद उन्होंने पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स (PCS), पुणे में नौकरी कि। इस तरह से उनके करियर की शुरुआत हुई। 

 

इंफोसिस की स्थापना।

पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स (PCS), पुणे में नौकरी करने के दौरान उनकी मुलाकात नंदन नीलेकणी और अन्य लोगों से हुई। जिनके साथ मिलकर उन्होंने सन् 1981 में ‘इंफोसिस’ की स्थापना की। ‘इंफोसिस’ की स्थापना के लिए उन्होंने उस समय अपनी पत्नी से 10 हजार रुपये उधार लिए थे। 

सन् 1991 में नारायण मूर्ति और उनके छह लोगों कि टीम की मेहनत रंग लाई, और इंफोसिस एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी में तब्दील हो गई। गुणवत्ता के सभी मानको को प्राप्त करते हुए उनकी कंपनी इन्फोसिस ने, गुणवत्ता का प्रतीक SEI-CMM हासिल किया। 

सन् 1999 में आखिरकार वह स्वर्णिम अवसर आ ही गया, जब इंफोसिस ने इतिहास रचा दिया। इस कंपनी के शेयर अमेरिकी शेयर बाजार NASDAQ में रजिस्टर्ड हुए। ऐसा करने वाली इंफोसिस भारत की पहली कंपनी बन गई। 

सन् 1981 से लेकर सन् 2002 तक एन आर नारायण मूर्ति इंफोसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहे। अपने नेतृत्व में उन्होंने एक छोटी सी सॉफ्टवेयर कंपनी को दुनिया कि बड़ी कंपनियों के सामने लाकर खड़ा कर दिया।

नारायण मूर्ति सन् 1992 से 1994 तक ‘नासकॉम’ के भी अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे।

नारायण मूर्ति के बाद इंफोसिस के सह संस्थापक नंदन नीलेकणी ने सीईओ का पदभार संभाला। सन् 2002 से सन् 2006 तक नारायण मूर्ति बोर्ड के अध्यक्ष बने रहे और उसके बाद वह कंपनी के मुख्य मेंटोर बन गए। सन् 2011 के अगस्त माह में उन्होंने कंपनी से अवकाश प्राप्त किया। हालांकि इंफोसिस से अवकाश प्राप्त करने के बाद भी वे इसके मानद चेयरमैन बने हुए हैं।

आईआईएम (IIM) में काम करने के दौरान, वे दिन में 20-20 घंटे काम किया करते थे, और उन्होंने वहां से बहुत कुछ सिखा है। उनका यह अनुभव उनके बिजनेस में बहुत काम आया।

नारायणमूर्ति आज भी यह मानते हैं कि, उनका आईआईएम में शामिल होने का निर्णय सबसे अच्छा निर्णय था। जिसकी वजह से वे अपने व्यवसायिक जीवन में कुछ अच्छा कर सकें।

 

एन आर नारायण मूर्ति का निजी जीवन ।

एन आर नारायण मूर्ति का विवाह सुधा मूर्ति उर्फ कुलकर्णी के साथ हुई। सुधा मूर्ति बचपन से ही मेधावी थी। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में हब्बाल्ली के बी.वी. भूमाराड्डी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से बीए की डिग्री प्राप्त की। 

अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर रहते हुए उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री से स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने भारत के विज्ञान संस्थान से कंप्यूटर विज्ञान में एमई (M.E.) मे प्रथम स्थान पर रहते हुए अपनी की पढ़ाई पूरी की और यहां भी वे गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। 

अब वे एक सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक है। इसके अलावा वे ‘इन्फोसिस फाउंडेशन’ के माध्यम से परोपकारिता के क्षेत्र में भारत को अपनी सेवाएं दे रही हैं। 

मूर्ति दंपत्ति के दो बच्चे हैं, जिनमें एक बेटा और एक बेटी है। बेटे का नाम रोहन मूर्ति और बेटी का नाम अक्षता मूर्ति है।

 

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एन आर नारायण मूर्ति की लोकप्रियता।

नारायण मूर्ति आज अनेक लोगों के आदर्श और प्रेरणा स्रोत हैं। इसका पता इस बात से भी लगाया जा सकता है कि, चेन्नई के एक कारोबारी पट्टाभिरमण कहते हैं कि, उन्होंने जो भी कुछ कमाया है, वह नारायण मूर्ति की कंपनी इंफोसिस के शेयरों की बदौलत कमाया है। और उन्होंने अपनी सारी कमाई इंफोसिस को ही दान भी कर दिया है। पट्टाभिरमण और उनकी पत्नी, नारायण मूर्ति को भगवान की तरह पूजते हैं, और उन्होंने अपने घर में नारायण मूर्ति की तस्वीर भी लगा रखी है। 

एन आर नारायण मूर्ति को ‘पद्म श्री’, ‘पद्म विभूषण’ और ‘ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’, फ्रांस सरकार के सम्मानों से भी सम्मानित किया जा चुका है। इस सूची में बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स तथा वारेन बफेट जैसे दिग्गज उद्योगपति भी शामिल है।

इसके अलावा वे कई शैक्षिक और परोपकारी संस्थानों के सलाहकार बोर्ड और समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं। जिसमें कॉर्नल यूनिवर्सिटी, फोर्ड फाउंडेशन, द यूएन (UN) फाउंडेशन, इंडो-ब्रिटिश पार्टनरशिप, एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, ESSEM, और INSEAD जैसी मुख्य संस्था शामिल हैं।

वे पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के शासकीय बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।सन् 2005 में उन्होंने दावोस में विश्व आर्थिक मंच की अध्यक्षता भी कि थी।

इसके साथ-साथ वे ब्रिटिश टेलीकम्युनिकेशन के एशिया पेसिफिक सलाहकार बोर्ड पर भी आसीन रहे थे।  

 

इंफोसिस फाउंडेशन की स्थापना ।

‘इंफोसिस फाउंडेशन’ की स्थापना एन आर नारायण मूर्ति ने  वर्ष 1996 में, समाज के वंचित वर्गों के समर्थन के लिए किया था।

हाल ही में आए कोरोनावायरस की महामारी में भारत में कोविड-19 से लड़ने के प्रयासों में समर्थन के लिए ‘इंफोसिस फाउंडेशन’ ने 100 करोड़ का अतिरिक्त अनुदान किया दिया था। इसके साथ ही इस संस्था ने कोविड-19 से लड़ने के लिए कुल 200 करोड़ रुपए का दान दिया। इस संपूर्ण प्रतिबद्धता का उपयोग फाउंडेशन द्वारा जमीनी स्तर पर विभिन्न पहलुओं के लिए किया जाएगा।

इंफोसिस फाउंडेशन भारत में स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन है। इसका मुख्यालय बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थित है। 

‘इंफोसिस फाउंडेशन’ की प्रमुख सुधा मूर्ति हैं, जो एन आर नारायणमूर्ति की धर्मपत्नी है। 

यह फाउंडेशन समाज के वंचित वर्गों के लिए शिक्षा, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य सेवा, कला और संस्कृति, आदि क्षेत्रों के लिए काम करती है।

 

पुरस्कार एवं सम्मान।

1996-97   –  जेआरडी टाटा कॉर्पोरेशन लीडरशिप अवार्ड।

1998,1999, 2000  –  द स्टार्ट ऑफ़ एशिया की सूची में शामिल ।

2000  –  भारत सरकार द्वारा ‘पद्मा श्री’ से सम्मानित। 

2008  –  भारत सरकार द्वारा  ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित।

2008  –  ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर, फ्रांस सरकार द्वारा।

 

एन आर नारायण मूर्ति के कुछ अनमोल विचार । 

  • हमारी संपत्ति हर शाम दरवाजे से बाहर निकलती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि, वह अगली सुबह वापस आ जाए।

  • जब संदेह में हों, तो जाहिर कर दें।

  • एक महान उद्योगपति बनने के लिए आपको किसी अमीर इंसान का बेटा बनने की जरूरत नहीं है। आजकल के बच्चों में ज्यादा से ज्यादा खतरा मोल लेने की इच्छा है। क्योंकि ऐसे बच्चे बड़े पुरस्कार को देखते हैं।

  • अनुभव से सीखना जटिल हो सकता है। यह और अधिक कठिन हो सकता है, यदि हम असफलता की तुलना में सफलता से सीखे।

  • पैसे की असली शक्ति इसे दान देने की शक्ति का होना है।

  • प्रशिक्षण में निवेश ज्ञान-आधारित निगमों के लिए बड़ी आवश्यकता है।

  • प्रगति अक्सर मन और मानसिकता के अंतर के समान होता है।

  • आदर, पहचान और पुरस्कार पर ही हमारा प्रदर्शन निर्भर होता है।

  • अपने काम से प्रेम करो कंपनी से नहीं। क्या पता कब कंपनी आप से प्रेम करना बंद कर दें।

  • आप कहां से शुरू करते हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं है। बल्कि यह अधिक महत्वपूर्ण है कि, आप कैसे और क्या सीख रहे हैं।

  • हम ईश्वर में यकीन रखते हैं, बाकी सभी तथ्य जमा करते हैं।

  • एक साफ, अंतःकरण दुनिया का सबसे नरम तकिया है।

  • प्रदर्शन पहचान दिलाता है, पहचान से सम्मान आता है, सम्मान से शक्ति बढ़ती है, शक्ति मिलने पर विनम्रता और अनुग्रह का भाव रखना किसी संगठन की गरिमा को बढ़ाता है।

  • मैं चाहता हूं कि इंफोसिस एक ऐसी जगह बने, जहां विभिन्न लिंग, राष्ट्रीयता, जाति और धर्म के लोग, तीव्र प्रतिस्पर्धा लेकिन अत्यंत सद्भाव, शिष्टाचार और गरिमा के वातावरण में एक साथ काम करें, और दिन प्रतिदिन हमारे ग्राहकों के काम में अधिक से अधिक मूल्य जोड़ें।

  • चरित्र और अवसर मिलकर ही सफलता का निर्माण करते हैं।

  • हमारे विकास में सबसे बड़ी रुकावट बाहरी दुनिया नहीं बल्कि हमारी अपनी सोच है।

     

 

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