मैरी कॉम की बायोग्राफी | Mary Kom Ki Biography in Hindi

मैरी कॉम की बायोग्राफी | Mary Kom Ki Biography in Hindi

मैरी कॉम भारत के मणिपुर की रहने वाली हैं, और भारत की पहली महिला मुक्केबाज भी हैं जिन्होंने अपनी महान उपलब्धियों से भारत को गौरवान्वित किया है। मैरी कॉम ने 2012 के ओलंपिक में क्वालीफाई करते हुए ‘ब्रोंज मेडल’ भी जीता था, और पहली बार कोई भारतीय महिलमुक्केबाज ने यह गौरव हासिल किया है कोई भारत महिला मुक्केबाज (बॉक्सर) ने यह गौरव हासिल किया था।

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मैरी कॉम का जीवन कई उतार-चढ़ाव से भरा हुआ रहा है, पर उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपना एक मुकाम स्थापित किया। मेरी कॉम के संघर्ष को देखते हुए, आज वे पूरे भारतवर्ष के युवक-युवतियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। मैरी ने 18 वर्ष की उम्र में ही अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुआत कर दी थी। मुक्केबाजी में अपना करियर बनाने के लिए मैरी ने बहुत मेहनत की। यहां तक कि अपने परिवार वालों तक से लड़ बैठी थी। मैरी 8 बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप भी जीत चुकी हैं।

मैरी कॉम

                                                                                 मैरी कॉम (Mary Kom)

जीवन परिचय : एक नजर में।

नाम  :   मांगते चुंगनेजंग मैरी कॉम 

उपनाम  : मैग्नीफिसेंट मैरी

जन्म  :   24 नवंबर 1982 

जन्म स्थान  :   कन्गथेई, मणिपुर 

पिता  :   मांगते अक्हम कॉम 

मां  :   मांगते तोंपा कोम

पति  :   करूंग ओन्खलर कॉम

पेशा  :   मुक्केबाजी (बॉक्सिंग)

कोच  :   गोपाल देवांग, एम. नरजीत सिंह, चार्ल्स अत्किनसन, रोमंगी जोसिया।

हाइट  :   5 फीट 2 इंच 

वजन  :   51 किलोग्राम 

शिक्षा  :   स्नातक, चुरा चांदपुर कॉलेज (इंफाल, मणिपुर)

निवास स्थान  :   इंफाल, मणिपुर (भारत)

राष्ट्रीयता  :   भारतीय 

संतानें  :   तीन बच्चे, तीनों बेटे हैं (प्रिंस चुंगनेजंग कॉम, रेचुंग्वर कॉम, खुपनिवार कॉम। 

आरंभिक जीवन।

मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 में भारत के मणिपुर के कन्गथेई में हुआ था। मैरी कॉम का पूरा नाम मांगते चुंगनेजंग मैरी कॉम है। इनके पिता मांगते अक्हम कॉम पेशे से एक किसान हैं। मैरी चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी है, और कम उम्र से ही बहुत मेहनती रही है।

मैरी का जन्म बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था, और अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण वह अपने माता-पिता की मदद करने के लिए खेतों में उनके साथ काम करती थी। इसके साथ-साथ वह अपने भाई-बहनों की देखभाल भी किया करती थी।

शिक्षा मैरी ने अपनी छठवीं तक की पढ़ाई ‘लोकटक क्रिश्चियन मॉडल हाई स्कूल’ से की, और आगे की पढ़ाई के लिए वे ‘संत जेवियर कैथोलिक स्कूल’ में दाखिला लिया। यहां से उन्होंने आठवीं तक की पढ़ाई की और उसके बाद नौवीं एवं दसवीं की पढ़ाई के लिए ‘आदिम जाति हाई स्कूल’ में दाखिला ले लिया लेकिन दसवीं की परीक्षा में पास नहीं हो पाई और स्कूल की पढ़ाई मैरी कॉम ने बीच में ही छोड़ दिया।इसके बाद उन्होंने एनआईओएस (NIOS) से परीक्षा दी।

मैरी ने अपनी स्नातक  ‘चुराचांदपुर कॉलेज, इंफाल’ (मणिपुर की राजधानी) से पूरा किया। 

बॉक्सिंग का सपना।

मैरी को बचपन से ही खेलों से लगाव था, और वह भी चाहती थी कि वह एक दिन एथलीट बने। हालांकि स्कूल के दिनों में मैरी फुटबॉल जैसे खेलों में हिस्सा लिया करती थी। लेकिन कमाल की बात यह है कि उन्होंने मुक्केबाजी (बॉक्सिंग) में कभी भी हिस्सा नहीं लिया था। 

वर्ष 1998 में बॉक्सर ‘डिंगको सिंह’ ने एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था, और वह भी मणिपुर के ही थे। डिंगको सिंह की इस जीत से पूरे मणिपुर में उत्साह का माहौल छाया हुआ था। जब मैरी ने  डिंगको सिंह को बॉक्सिंग करते हुए देखा, तब वे उनसे बहुत प्रभावित हुई और मुक्केबाजी में ही अपना करियर बनाने की ठान ली।

अपने सपने को साकार करने में उनकी पहली चुनौती थी कि अपने परिवारवालों को इसके लिए राजी करना। क्योंकि छोटी सी जगह रहने वाले लोग यह लोग बॉक्सिंग को पुरुषों का खेल समझते थे। उन्हें लगता था कि इस तरह के खेल में बहुत मेहनत और ताकत लगती है, और खेल लड़कियों के लिए नहीं है।

बॉक्सिंग ट्रेनिंग।

इधर मैरी कॉम ने यह ठान लिया था कि वे अपने एथलीट बनने के सपने को जरूर पूरा करेंगी, चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े। मैरी ने अपने माता-पिता को बिना बताए मुक्केबाजी की ट्रेनिंग शुरू कर दी। इसी दौरान एक बार मैरी ने ‘खुमान लंपक स्पोर्ट्स कंपलेक्स’ में लड़कियों को लड़कों से बॉक्सिंग करते हुए देखा, जिसे देखकर वे हैरान रह गई। जब उन्होंने लड़कियों को लड़कों के साथ बॉक्सिंग करते हुए देखा तो यहां से उसके मन में उनके सपने को लेकर उनके विचार और निश्चित हो गए। वह अपने गांव से इंफाल पहुंची और मणिपुर राज्य के बॉक्सिंग कोच एम. नरजीत सिंह से जाकर मिली। 

 

  • मैरी ने कोच नरजीत सिंह को अपने सपनों के बारे में बताया और निवेदन किया कि वे उन्हें बॉक्सिंग की ट्रेनिंग दे।

 

  • मैरी कॉम की खेल के प्रति इतनी गहरी रूचि को देखकर कोच एम. नरजीत सिंह ने उन्हें ट्रेनिंग देने का फैसला किया। 

 

  • मैरी इस खेल के प्रति बहुत ही भावुक थी और इसके साथ ही वे जल्दी सीखने वाली विद्यार्थी भी थी।

 

  • मुक्केबाजी के प्रति मैरी के जुनून का इस बात से पता लगाया जा सकता है कि, ट्रेनिंग खत्म होने के बाद, जब सभी ट्रेनिंग सेंटर से चले जाते थे तब भी मैरीभी देर रात तक वहां रुककर ट्रेनिंग किया करती थीं।

 

मैरी कॉम का करियर।

मैरीकॉम यह जानती थी कि उनका परिवार बॉक्सिंग में उनके करियर बनाने के विचार को कभी नहीं मानेगा। इसलिए उन्होंने इस बात को अपने घरवालों से छुपा कर रखा, और सन् 1998 से 2000 तक वे अपने घर में बिना बताए बॉक्सिंग की ट्रेनिंग करती रही।

  • वर्ष 2000 में जब मैरी ने ‘विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप, मणिपुर’ में जीत हासिल किया और मैरी को बॉक्सर अवार्ड भी मिला, तब वहां के सभी समाचार पत्रों में उनकी जीत की खबर छापी गई। तब मैरी के बॉक्सर होने की खबर उनके परिवार वालों को मालूम हुई। इस जीत के बाद उनके परिवार वालों ने भी उनकी जीत पर जश्न मनाया। इसके बाद मेरी ने पश्चिम बंगाल में होने वाले ‘विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ में स्वर्ण पदक जीता और अपने राज्य का मान बढ़ाया। इसके बाद मेरी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 

अंतरराष्ट्रीय करियर। 

अपने 18 वर्ष की उम्र में मैरी ने वर्ष 2001 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। सबसे पहले उन्होंने अमेरिका में आयोजित ‘एआईबीए (AIBA) विमेंस बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ 48 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लिया और इसमें उन्होंने सिल्वर मेडल जीता।

 

  • वर्ष 2002 में तुर्की में आयोजित ‘एआईबीए (AIBA) वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ में 45 किलोग्राम वर्ग में मैरी ने जीत हासिल कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इसके बाद इसी साल मैरी ने हंगरी में हुए ‘विच कप’ के 45 किलोग्राम वर्ग में भाग लिया और इसमें भी उन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

 

  • सन् 2003 में भारत में हुए ‘एशियन विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ के 46 किलोग्राम वर्ग में मैरी ने यह चैंपियनशिप जीती और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। नार्वे में होने वाले ‘वीमेन बॉक्सिंग चैंपियन वर्ल्ड कप’ में भी मैरी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता।

 

  • वर्ष 2005 में ताइवान में हुए ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ 46 किलोग्राम वर्ग मे मैर ने फिर से स्वर्ण पदक हासिल किया और इसी वर्ष में रसिया में आयोजित ‘एआईबीए (AIBA) वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ में मैरी ने जीत हासिल की। 

 

  • वर्ष 2006 में डेनमार्क नहीं हुए ‘विनस विमेन बॉक्सिंग कप’ और भारत में होने वाले ‘एआईबीए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ में मैरी ने स्वर्ण पदक जीता।

 

  • वर्ष 2008 में भारत में आयोजित ‘एशियन विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ में मैरी ने सिल्वर मेडल जीता। इसी वर्ष चाइना में आयोजित ‘एआईबीए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ में फिर से स्वर्ण पदक जीता।

 

  • सन् 2009 में वियतनाम में आयोजित ‘एशियन इंडोर गेम्स’ में मैरी ने फिर से स्वर्ण पदक जीता।

 

  • सन् 2010 में कजाखस्तान में आयोजित ‘एशियन विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ में स्वर्ण पदक जीता, इसके साथ ही मैरी ने लगातार पांचवीं बार एआईबीए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद एशियन गेम्स में 51 किलोग्राम वर्ग में भाग लेकर ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

 

  • वर्ष 2010 में भारत में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के ओपनिंग सेरेमनी में विजेंद्र सिंह के साथ मैरी कॉम भी उपस्थित थी। 2010 में आयोजित ‘कॉमनवेल्थ गेम्स’ में विमेन बॉक्सिंग गेम्स का आयोजन नहीं किया गया था।

 

  • सन् 2011 में चाइना में आयोजित ‘एशियन विमेन कप ‘ 48 किलोग्राम वेट क्लास में स्वर्ण पदक जीता।

 

  • वर्ष 2012 में मंगोलिया में हुए ‘एशियन विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप’ के 51 किलोग्राम वेट क्लास में स्वर्ण पदक जीता। 2012 में लंदन में आयोजित ‘ओलंपिक’ में मैरी ने बहुत ही सम्मान प्राप्त किया। वे पहली महिला मुक्केबाज (बॉक्सर) भी थी, जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। इसमें इन्होंने 51 किलोग्राम वेट क्लास में ब्रॉन्ज मेडल जीता। इसके साथ ही मैरी तीसरी भारतीय महिला थे, जिन्होंने ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता था।

 

  • साउथ कोरिया में हुए 2014 के ‘एशियन गेम्स’ में वीमेंस फ्लाईवेट, 48-52 किलोग्राम वर्ग में मैरी ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।

 

  • उसके बाद 2017 में वियतनाम में आयोजित ‘एशियन विमेन चैंपियनशिप’ के 48 किलोग्राम कैटेगरी में भी मैरी ने गोल्ड मेडल जीता।

 

  • 2018 गोल्डकोस्ट, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित ‘कॉमनवेल्थ गेम्स’ के 45 किलोग्राम वर्ग में भी उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया और इसी वर्ष 2018 में नई दिल्ली,भारत में आयोजित 45-48 किलोग्राम वर्ग में ‘एआईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप’ में उन्होंने एक बार फिर से शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता।

 

निजी जीवन / व्यक्तिगत जीवन।

सन् 2001 में दिल्ली में मैरी की मुलाकात ओन्खलर से  तब हुई जब वे पंजाब में होने वाले नेशनल गेम्स के लिए जा रहे थे। उस समय ओन्खोलर दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई कर रहे थे। जब दोनों एक दूसरे से मिले तो, वे एक दूसरे से बहुत प्रभावित हुए और दोनों के बीच 4 सालों तक दोस्ती बनी रही। और 4 साल बाद दोनों ने वर्ष 2005 में शादी कर अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत की। मैरी के तीन बच्चे हैं तीन बच्चे भी हैं जिनमें 2007 में उन्होंने जुड़वा बेटों को जन्म दिया और और 2013 में उन्होंने एक और बेटे को जन्म दिया।

फिलहाल मैरी कॉम मणिपुर में अपना एक स्पोर्ट्स क्लब चलाती है। जहां युवा प्रतिभाओं को मुफ्त में बॉक्सिंग की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा मैरी कॉम भारत के संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) की सदस्या भी हैं। संसद की सदस्या होने के नाते मैरी अपने क्षेत्रीय नागरिकों के लिए कई मुद्दों पर कार्यभार संभाल रही हैं।

 

सम्मान अवार्ड एवं उपलब्धियां।

  • 2003  –   अर्जुन अवार्ड से सम्मानित 
  • 2006  –   पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित 
  • 2007  –   राजीव गांधी खेल रत्न के लिए नामांकित
  • 2007  –   लिम्का बुक रिकॉर्ड द्वारा ‘पीपल ऑफ द ईयर’ का सम्मान मिला।
  • 2008  –   ‘CNN – IBN‘ एवं ‘रिलायंस इंडस्ट्रीज‘ द्वारा सम्मानित किया गया।
  • 2008  –   पेप्सी एमटीवी यूथ आईकॉन।
  • 2008  –   एआईबीए द्वारा ‘मैग्नीफिसेंट मैरी’ (उपनाम) अवार्ड।
  • 2009  –   राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित (खेल के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान)।
  • 2010  –   सहारा स्पोर्ट्स अवॉर्ड द्वारा स्पोर्ट्स वीमेंस ऑफ द ईयर का अवार्ड 
  • 2013  –   देश के तीसरे सबसे बड़े सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित।

 

मैरी कॉम की फिल्म ‘मैरी कॉम’।

मैरी कॉम के जीवन से प्रेरित होकर ओमंग कुमार ने उन पर एक बायोपिक फिल्म भी बनाया था। जिसको ‘मैरी कॉम’ नाम दिया गया है। इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा ने मेरी कॉम की भूमिका बखूबी निभाई है और प्रियंका चोपड़ा ने फिल्म में अपनी अदाकारी से सभी को चकित कर दिया। इस फिल्म को 5 सितंबर 2014 को रिलीज कर दिया गया था।

 

टोक्यो ओलंपिक 2021 

साल 2021 के जुलाई अगस्त महीने में टोक्यो, जापान में आयोजित ‘ओलंपिक गेम्स’ में मैरी ने महिला बॉक्सिंग में भारत का प्रतिनिधित्व किया। शुरुआत के दो राउंड तक मैरी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की थी। इसके बाद वे अगले राउंड की प्री क्वार्टर फाइनल में मैरी का मुकाबला कोलंबिया की इंग्रिटा वेलिसिया के साथ था, जिसमे मैरी कॉम 2-3 से हार गई।इस हार के चलते वे इस खेल से बाहर हो गई। इस मैच मे तीसरा और अंतिम दौर मैरी कॉम ने 3-2 से जीता था। लेकिन पहले दौर में हार का अंतर कम करने के लिए मेरी काम के रिकवर करने के लिए बहुत अधिक था, और इस तरह से मैरी कॉम के टोक्यो का ओलंपिक का सफर यहीं तक रहा। वह इससे बाहर हो गई। जब वे ‘टोक्यो ओलंपिक’ से भारत वापस लौटी तो तो उनका स्वागत  भव्य तरीके से किया गया।

 

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