अब्राहम लिंकन की जीवनी | Abraham Lincoln Ki Biography in Hindi
” मैं यह नहीं सोचता कि ईश्वर हमारी तरफ है या नहीं, हमारा ईश्वर की तरफ होना मेरे लिए सबसे बड़ी बात है, ईश्वर हमेशा सही होता है।”
अब्राहम लिंकन की जीवनी | Abraham Lincoln Ki Biography in Hindi
अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16 वें राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति के पद पर इनका कार्यकाल 1861 से 1865 तक का था। लिंकन ने अमेरिका को उसके सबसे बड़े संकट गृहयुद्ध (अमेरिकी गृहयुद्ध) से पार लगाया था। ये रिपब्लिकन पार्टी से थे। अब्राहम लिंकन का जन्म अमेरिका के गरीब और अश्वेत परिवार में हुआ था, और वह प्रथम रिपब्लिकन थे जो अमेरिका के राष्ट्रपति बने। अमेरिका में दास प्रथा का अंत भी लिंकन द्वारा ही किया गया था। राष्ट्रपति बनने से पहले अब्राहम लिंकन एक वकील, इलिअंस स्टेट के विधायक (लेजिस्लेटर) होने के साथ-साथ अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिवस के सदस्य भी थे। राष्ट्रपति के पद पर आसीन होने से पहले वे दो बार सीनेट के चुनाव में भी और सफल हुए।
लिंकन ने अपने जीवन में कई बार हार का सामना किया। जब वे 31 वर्ष के थे तो उन्हें उनके बिजनेस में हार मिली। 32 साल की उम्र में वह स्टेट लेजिसलेटिव का चुनाव हार गए थे। 33 वर्ष की उम्र में उन्होंने एक नया बिजनेस शुरू किया पर यह भी असफल रहा। 35 साल की उम्र में उनकी मंगेतर का निधन हो गया। जब वे 36 साल के हुए तो उनका ‘नर्वस ब्रेकडाउन’ हो गया। 43 वर्ष की उम्र में उन्होंने कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा पर इसमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जब वह 55 वर्ष के हुए तो उन्होंने सीनेट के लिए चुनाव लड़ा और फिर से हार गए। उसके अगले ही साल उन्होंने वाइस प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ा और इसमें भी उन्हें हार मिली। 59 साल की उम्र में वे एक बार फिर से सीनेट का चुनाव लड़े इसमें भी उन्हें फिर से एक बार हार का सामना करना पड़ा। आखिरकार 1860 में अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16 वें राष्ट्रपति बने और 1861 से1865 तक राष्ट्रपति के पद पर बने रहे।
वे कहते हैं कि –
“यदि आप एक बार अपने नागरिकों (जनता) का भरोसा तोड़ देते हैं तो, आप फिर कभी उनका आदर और सम्मान नहीं पा सकेंगे!”
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एक नजर
नाम : अब्राहम थॉमस लिंकन
जन्म : 12 फरवरी 1809
जन्म स्थान : कैंटकी, अमेरिका
पिता : थॉमस लिंकन
माता : नैंसी लिंकन
जीवनसाथी : मैरी टॉड से विवाह 1842 में।
पद : राष्ट्रपति, अमेरिका
पार्टी : रिपब्लिकन पार्टी
मृत्यु : 15 अप्रैल 1865
पारिवारिक जीवन
अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 को अमेरिका के कैंटकी शहर के हार्डिन काउंटी में एक गरीब परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम थॉमस लिंकन और माता का नाम नैंसी लिंकन था। उनके वंशज इंग्लैंड से अमेरिका आए थे, जो बाद में न्यू जर्सी, पेंसिलवेनिया और वर्जीनिया में आकर बसे थे। 1780 में अब्राहम लिंकन के दादा ‘बहे कैप्टन अब्राहम लिंकन’ वर्जिनियां से कैंटकी आकर बस गए थे। लिंकन के दादा कैप्टन अब्राहम लिंकन की हत्या 1786 में एक भारतीय शिकारी गिरोह द्वारा कर दिया गया था। थॉमस लिंकन ने भी अपने पिता कैप्टन लिंकन पर हुए हमले को अपनी आंखों से देखा था। पिता की मृत्यु के बाद थॉमस लिंकन अलग-अलग जगह काम करते हुए अपना जीवन यापन करने लगे।
प्रारंभिक जीवन
अब्राहम लिंकन बेहद ही गरीब परिवार से थे, लेकिन बचपन से ही उन्हें परिश्रम करना पसंद नहीं था, जिसकी वजह से उनके परिवार के लोग और उनके पड़ोसी उसे आलसी के कहा करते थे। वह अपना ज्यादातर समय किताबें पढ़ने और कविताएं लिखने में बिताया करते थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा किसी स्कूल में होने के बजाय घुमंतू शिक्षकों के द्वारा हुई। जब लिंकन थोड़ा बड़े हुए तो उन्होंने रूढ़ीवादी प्रथाओं के खिलाफ लड़ने के बारे में सोचा था। उसके बाद परिवार की मदद करने के लिए उन्होंने काम करना शुरू किया और वे कुल्हाड़ी चलाने में भी माहिर हो गए।
लिंकन को शुरुआत से ही गुलामों पर हो रहे अत्याचार से नफरत थी, और वे दास प्रथा को खत्म करना चाहते थे। अपनी वकालत के दौरान वे अपने मुवक्किलों से ज्यादा फीस नहीं लेते थे, जो उनकी तरह ही गरीब थे। वह अपने मुवक्किलों को अदालत के बाहर हीं राजीनामा करके मामला निपटा लेने की सलाह दिया करते थे, ताकि दोनों पक्षों का धन मुकदमे लड़ने में बर्बाद ना हो। एक शहीद सैनिक की विधवा को उसकी पेंशन के $400 दिलाने के लिए लिंकन ने ना सिर्फ उसके लिए मुफ्त में वकालत की बल्कि उनके होटल में रहने और घर वापसी की टिकट का खर्चा भी उठाया।

अब्राहम लिंकन
उस समय में अमेरिका में गुलामी प्रथा की समस्या चल रही थी। गोरे लोग दक्षिणी राज्यो के बड़े खेतों के मालिक थे और वे अफ्रीका से काले लोगों को अपने खेत में काम करने के लिए बुलाते थे और उन्हें दास के रूप में रखा जाता था। लिंकन इस बात से भलीभांति परिचित थे और वे गुलामी की इस प्रथा को खत्म करना चाहते थे।
अब्राहम लिंकन का प्रेम
उस समय एक तरफ जहां अमेरिका में दास प्रथा का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा था, वहीं दूसरी तरफ लिंकन को रतलेज नाम की एक लड़की से प्रेम हो गया। वे उस लड़की से शादी करना चाहते थे पर उससे उनकी शादी ना हो सकी। और शादी से पहले ही रतलेज की मृत्यु हो गई। इस घटना से लिंकन को बहुत बड़ा सदमा पहुंचा पर खुद को संभालते हुए उन्होंने वकालत शुरु कर दी लेकिन वह ज्यादा दिन ना चल सकी।
वैवाहिक जीवन
1842 में लिंकन का विवाह एक बड़े घर की लड़की मेरी टॉड से हुई परंतु दोनों के विचारों में काफी अंतर देखा गया। इसी बीच उन्होंने राजनीति में कदम रखा। लिंकन के दास प्रथा विरोधी होने के कारण उन्हें कई प्रांतों से विरोध का सामना भी करना पड़ा।
अमेरिका के राष्ट्रपति सफर की शुरुआत
32 साल की उम्र में उन्होंने स्टेट लेजिसलेटिव का चुनाव लड़ा और उस चुनाव में उन्हें बहुत बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद 43 वर्ष की उम्र में उन्होंने कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा पर इसमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जब वह 55 वर्ष के हुए तो उन्होंने सीनेट के लिए चुनाव लड़ा और फिर से हार गए। उसके अगले ही साल उन्होंने वाइस प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ा और इसमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 59 साल की उम्र में एक बार फिर से सीनेट का चुनाव लड़े, इसमें भी उन्हें हार ही मिली। आखिरकार वह समय भी आ गया जब लिंकन ने 4 मार्च 1961 में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। उनका यह कार्यकाल 1864 तक था। 1864 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में उन्होंने एक बार फिर से राष्ट्रपति पद की शपथ ली और दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बने। अपने राष्ट्रपति कार्यकाल में ही अब्राहम लिंकन की मृत्यु हो गई।
मृत्यु
4 मार्च 1864 को लिंकन दुबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बने और राष्ट्रपति पद पर आसीन होने के एक साल बाद 15 अप्रैल 1865 को उनकी मृत्यु हो गई। उस समय 14 अप्रैल को अमेरिका में हो रहे गृहयुद्ध पर विजय पाने के उपलक्ष में एक आयोजन रखा गया था जिसमें कुछ षड्यंत्रकारियों ने धोखे से उन पर गोली चला दी और अगले दिन 15 अप्रैल 1865 को अब्राहम लिंकन की मृत्यु हो गई।
लिंकन की महानता का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि पढ़े-लिखे ना होने के बावजूद वे अपनी प्रतिभा के बल पर अमेरिका के सबसे सफल राष्ट्रपति बने।
वे कहते हैं – “हमेशा ध्यान में रखिए कि आपके द्वारा सफल होने का लिया गया संकल्प किसी भी अन्य संकल्प से ज्यादा महत्वपूर्ण है।”
-अब्राहम लिंकन
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