डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी | APJ Abdul Kalam Ki Biography in Hindi

डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी | APJ Abdul Kalam Ki Biography in Hindi

 

डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी | APJ Abdul Kalam  Ki Biography in Hindi

डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी | APJ Abdul Kalam Ki Biography in Hindi

                                        
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“सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? – किसी इंसान के दिल को खुश करना किसी भूखे को खाना देना जरूरतमंद की मदद करना किसी दुखियारी दुखियारी का दुख हल्का करना और किसी घायल की सेवा करना।”
– डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम।

अब्दुल कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति होने के साथ-साथ एक जाने-माने वैज्ञानिक और इंजीनियर भी थे। इन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से भी जाना जाता है। अब्दुल कलाम भारत के 11 वें राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। उनसे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि – ‘जीवन में चाहे जैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो, पर जब आप अपने सपनों को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं।’

उन्होंने चार दशकों तक भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, डीआरडीओ (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो (ISRO) में एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक का पदभार संभाल कर भारत को अपनी सेवाएं दी। इसके अलावा वे भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम एवं सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में शामिल होकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न (भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान) सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

जीवन परिचय : एक नजर में।

नाम: अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन (ए.पी.जे.) अब्दुल कलाम
जन्म : 15 अक्टूबर 1931
जन्म स्थान : धनुषकोडी, रामेश्वरम (तमिलनाडु)
पिता : जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम
माता : आशिमा जैनुलाब्दीन
शिक्षा : सेंट जोसेफ कॉलेज तिरुचिरापल्ली, मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी।
राष्ट्रीयता : भारतीय
उपनाम : भारत का “मिसाइल मैन”
पद : भारत के 11वें राष्ट्रपति (जुलाई 2002 से जुलाई 2007 तक)
पेशा : प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक, एयरोस्पेस इंजीनियर, राजनितिज्ञ।
शौक : किताब पढ़ना, लिखना, वीणा बजाना
वैवाहिक जीवन : अविवाहित
भाई : कासिम मोहम्मद, मुस्तफा कमल, मोहम्मद मुथु, मीरा लेबाई मारीकायर।
बहन : आसिम जोहरा (बड़ी बहन)
सम्मान : भारत रत्न
निधन : 27 जुलाई 2015

प्रारंभिक जीवन।

अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में तमिलनाडु में रामेश्वरम के एक छोटे से गांव धनुषकोडी में हुआ। यह एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम अंसार परिवार से संबंध रखते थे। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम ना तो ज्यादा पैसे वाले थे और ना ही पढ़े लिखे थे। अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम है। उनके पिता मछुआरों को अपनी नाव किराए पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम का परिवार एक संयुक्त परिवार में रहते थे, और पांच भाई एवं पांच बहने थी, एवं तीन परिवार का एक संयुक्त परिवार में रहा करते थे। अब्दुल कलाम के माता माता-पिता भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे परंतु उनके द्वारा दिए गए संस्कार और उनकी लगन अब्दुल कलाम के जीवन में बहुत काम आए। इनके पिता का इनके जीवन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा।

शिक्षा।

इनकी शिक्षा 5 वर्ष की उम्र में रामेश्वरम की पंचायत के प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई। जब अब्दुल पांचवीं कक्षा में पढ़ रहे थे तब उनके अध्यापक कक्षा में पक्षीयों के उड़ने के तरीके की जानकारी दे रहे थे, लेकिन जब कक्षा में बैठे छात्रों को कुछ समझ नहीं आया तब उनके अध्यापक सभी छात्रों को समुद्र तट पर ले गए, जहां उड़ते हुए पक्षियों को दिखा कर अच्छे से समझाया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं।
पक्षियों को उड़ते हुए देखकर अब्दुल ने तय कर लिया कि बड़े होकर उन्हें विमान विज्ञान में ही जाना है। अपनी आरंभिक शिक्षा के दौरान अब्दुल कलाम अखबार वितरण करने का काम भी किया करते थे।

वैज्ञानिक जीवन या कैरियर वर्ष 1950 में कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष में अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद वे हावर क्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान डीआरडीओ में प्रवेश लिया।

वैज्ञानिक जीवन / करियर।

1962 में कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो में आए, और यहां उन्होंने सफलतापूर्वक कई प्रक्षेपण परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा 1972 में इसरो (ISRO) के परियोजना निदेशक रहते हुए कलाम ने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 (SLV-3) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। जिसके द्वारा जुलाई 1982 में ‘रोहिणी उपग्रह’ सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया, जिससे भारत भी अंतरिक्ष अंतरराष्ट्रीय का सदस्य बन गया।

‘इसरो (ISRO) लॉन्च वह्निकल प्रोग्राम’ का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है। इसके साथ-साथ कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रण प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल) को डिजाइन किया, और उन्होंने ‘अग्नि’ एवं ‘पृथ्वी’ जैसे मिसाइल को भी स्वदेशी तकनीक की मदद से भी बनाया।

जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक कलाम भारतीय रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार एवं सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी रहे। 1974 में भारत के द्वारा पहले मूल ‘परमाणु परीक्षण’ ( जो की पूरी तरह से असफल रहा) के बाद 1998 में भारत के पोखरण में दूसरी बार ‘परमाणु परीक्षण’ भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिला कर किया। इस प्रकार भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। वह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।

भारतीय जनता पार्टी समर्थित ‘एनडीए’ (NDA) के घटक दलों ने कलाम को अपना उम्मीदवार बनाया, जिनका वामदलों के अलावा अन्य सभी दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को अब्दुल कलाम के समर्थन में 90% वोट पड़े और पूर्णता बहुमत के साथ कलाम को भारत का 11वां राष्ट्रपति चुना गया।

उन्होंने 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए अब्दुल कलाम का कार्यकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ।

निजी जीवन।

अब्दुल कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में बेहद अनुशासनप्रिय थे। वेशाकाहारी थे। इन्होंने अपनी जीवनी (बायोग्राफी) ‘विंग्स ऑफ फायर’ भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने के अंदाज में लिखा है। इन्होंने अपनी दूसरी पुस्तक ‘गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ द परपस ऑफ लाइफ’ में अपने आत्मिक विचारों को उद्घघोषित किया है।

तमिल भाषा में इन्होंने कई कविताएं भी लिखी है, और दक्षिण कोरिया में इनकी किताबें बहुत चर्चित है, और इनकी पुस्तकों की काफी मांग भी है।
अपनी पुस्तक ‘इंडिया – 2020’ में उन्होंने अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी कलाम देश को अपनी सेवाएं देते रहे, और भारत के प्रबंधन संस्थान, जो भारत के अहमदाबाद, शिलांग, इंदौर, बेंगलुरु, आदि जगहों पर स्थित है, उनके मानद फैलो एवं एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए।

अब्दुल कलाम जीवन भर अविवाहित रहे। साल 2011 में प्रदर्शित हुई एक हिंदी फिल्म ‘आई एम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।

डॉ. कलाम के सिंपलीसिटी की कहानी।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति थे, तो उन्होंने अपने या अपने परिवार के लिए कुछ भी बचा कर नहीं रखा था। अपने राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी और तनख्वाह एक संस्था (ट्रस्ट) के नाम कर दिया था। यह संस्था देश के ग्रामीण इलाकों में बेहतरी के लिए काम करती है।

अमूल के संस्थापक और देश में श्वेत क्रांति लाने वाले डॉ. वर्गीज कुरियन ने डॉ. कलाम से इस बारे में बात करने का सोचा और उनसे पूछा तो, डॉ. कलाम का जवाब था, “क्योंकि; अब मैं देश का राष्ट्रपति बन गया हूं, इसलिए जब तक जिंदा रहूंगा, तब तक सरकार मेरा ख्याल राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद भी रखेगी। इसलिए मुझे अपनी तनख्वाह और जमा पूंजी बचाने की क्या जरूरत है, अच्छा है कि यह भलाई के काम आ जाए।”

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के कुछ सकारात्मक विचार।

“इंतजार करने वालों को उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले पीछे छोड़ देते हैं।”

आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी आदतें बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देगी।

यदि चार बातों का पालन किया जाए, “एक महान लक्ष्य बनाया जाए, ज्ञान अर्जित किया जाए, कड़ी मेहनत की जाए और दृढ़ रहा जाए तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।”

बारिश के दौरान सभी पक्षी आश्रय की तलाश में करते हैं, लेकिन बाज बादलों के ऊपर उठकर बारिश से बचता है।
“समस्याएं कॉमन है, लेकिन एटीट्यूड इनमें डिफरेंट पैदा करता है।”

“सपने वह नहीं है जो आप नींद में देखते हैं, सपने तो वह है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।”

जिस दिन हमारे सिग्नेचर ‘ऑटोग्राफ’ में बदल जाए उस दिन मान लीजिए कि आप कामयाब हो गए हैं।

“आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत”, असफलता नामक बीमारी को मारने के लिए सबसे बढ़िया दवाई है।

आप तब तक लड़ना मत छोड़ो, जब तक आप अपनी तय की हुई जगह पर ना पहुंच जाओ। यही एक बात है जो आपको विशेष बनाती है- जिंदगी में एक लक्ष्य रखो, लगातार ज्ञान प्राप्त करो, कड़ी मेहनत करो और महान जीवन को प्राप्त करने के लिए दृढ़ रहो।

“एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है, जबकि एक अच्छा दोस्त एक पूरी एक लाइब्रेरी के बराबर होता है।”

युवाओं को मेरा संदेश है कि, “कुछ अलग तरीके से सोचें, कुछ नया करने का प्रयत्न करें, हमेशा अपने अपना रास्ता खुद बनाए और असंभव को हासिल करें।”

चलिए मैं आप एक लीडर को परिभाषित करता हूं,- “उसमें एक विजन ओर पैशन होना चाहिए और उसे किसी समस्या से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे पता होना चाहिए कि इसे हराना कैसे हैं। सबसे जरूरी, उसे ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए।”

सफलता के बारे में।

सफलता के बारे में बात करने पर एक बार डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था कि –

हर सुबह जगते ही ये पांच बातें अपने आप से कहें :
मैं सबसे अच्छा हूं।
मैं यह काम कर सकता हूं।


भगवान हमेशा मेरे साथ है।
मैं एक विजेता (winner) हूं।
आज का दिन मेरा दिन है।

निधन।

27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान देने के दौरान, मंच पर ही दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश होकर मंच पर ही गिर पड़े। शाम के लगभग 6:25 बजे अब्दुल कलाम को गंभीर हालत में स्थानीय अस्पताल में लाया गया, और 2 घंटे बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।

अपने निधन से लगभग 9 घंटे पहले ही उन्होंने ट्वीट कर यह जानकारी दी थी कि, वह शिलांग आई आई एम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।

अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने बताया कि, “जब कलाम को अस्पताल लाया गया था, तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर में कोई हलचल नहीं हो रही थी और लगभग 2 घंटे बाद कलाम की मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।”

28 जुलाई 2015 को उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया गया। पालम हवाई अड्डे पर सुरक्षा बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से उतारा। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इनकी अगवानी की और कलाम के पार्थिव शरीर को पुष्पांजलि अर्पित किए।

तिरंगे में लिपटे कलाम के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ उनके आवास 10, राजाजी मार्ग पर ले जाया गया, जहां पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ-साथ कई अन्य राजनीतिक पार्टियों के बड़े-बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की।

30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ उनके गांव रामेश्वरम के ‘पी करूंबु ग्राउंड’ में दफनाया गया, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तमिलनाडु के राज्यपाल एवं केरल व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित राज्य के 3 लाख 50 हजार से अधिक लोगों ने उनके अंतिम संस्कार में भाग लेकर उन्हें अंतिम विदाई दी।

अब्दुल कलाम के निधन पर देश-विदेश से कई बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं ने अपने शोक प्रतिक्रियाएं व्यक्त की, जिनमें दलाई लामा, दक्षिण एशियाई नेताओं, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्री पाल सिरीसेना, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति असीलो मुंबई ना कोई योनो सुसीलो बम्बनग युधोयोनो, मलेशियाई प्रधानमंत्री नजीब रजाक, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायेद अल नहयान, संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री और दुबई के शासक सहित राष्ट्रपति एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने अब्दुल कलाम की उपलब्धियों को याद कर अपना शोक व्यक्त किया।

अब्दुल कलाम के निधन पर ‘गूगल’ ने भी अपने सर्च इंजन के मुख्य पृष्ठ पर काला रिबन दिखाते हुए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

पुस्तकें।

अब्दुल कलाम ने अपने विचारों को साहित्यक रुप से चार पुस्तकों में बताया है, जो इस प्रकार हैं —
इंडिया – 2020 : अ विजन फॉर द न्यू मिलेनियम। (1998)
माय जर्नी।


इंटीग्रेटेड माइंडस – अनलीश द पावर विदिन इंडिया। (2002)
इंडिया – माई ड्रीम्स।


द ल्यूमिनियर्स स्पार्क्स : ए बायोग्राफी इन्वर्स एंड कलर्स। (2004)
मिशन ऑफ इंडिया : अ विजन ऑफ इंडियन यूथ। (2005)


इंस्पायरिंग थॉट्स : कोटेशन सीरीज। (2007)

आत्म-कथाएं।

विंग्स ऑफ फायर : एन ऑटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम (सह लेखक – अरुण तिवारी)

साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट
माय जर्नी (मेरी जीवन यात्रा)

अब्दुल कलाम की जीवनी एवं जीवन के विविध पहलुओं पर अन्य लेखकों द्वारा भी कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं।

सम्मान एवं पुरस्कार।

1981 : पद्म भूषण, भारत सरकार द्वारा
1990 : पद्म विभूषण, भारत सरकार द्वारा
1994 : विशिष्ट शोधार्थी, इंस्टिट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा


1997 : भारत रत्न, भारत सरकार द्वारा
1998 : वीर सावरकर पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा
2007 : डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि वूल्लरहैंपटन विश्वविद्यालय, यूके द्वारा


2007 : किंग्स चार्ल्स मेडल, रॉयल सोसायटी यूके द्वारा
2009 : मानद डॉक्टरेट, ऑकलैंड विश्वविद्यालय द्वारा
2014 : डॉक्टर ऑफ साइंस, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय द्वारा

इसके अलावा और भी बहुत से सम्मान से सम्मानित किए जा चुके हैं भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के कुछ अनमोल विचार

  • अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूरज की तरह जलो।
  • इससे पहले कि सपने सच हों, आपको सपने देखने होंगे।
  • इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए यह जरूरी है।
  • “महान सपने देखने वालों के, महान सपने हमेशा पूरे होते हैं।”
  • एक छात्र का सबसे महत्वपूर्ण गूण यह है कि, वह हमेशा अपने अध्यापक से सवाल पूछे।
  • अपने मिशन में कामयाब होने के लिए आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित एवं निष्ठावान होना पड़ेगा।
  • छोटा लक्ष्य अपराध है, “महान लक्ष्य होना चाहिए।”
  • शिखर तक पहुंचने के लिए ताकत की जरूरत होती है, चाहे वह माउंट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
  • क्या हम यह नहीं जानते कि, “आत्मसम्मान आत्मनिर्भरता के साथ आता है?”
  • किसी भी मिशन की सफलता के लिए रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक है।
  • जो अपने दिल से काम नहीं कर सकते, वे हासिल तो करते हैं- लेकिन बस खोखली चीजें। अधूरे मन से मिली सफलता अपने आसपास कड़वाहट पैदा करती है।
  • यदि हम स्वतंत्र नहीं हैं, तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा।
  • खुश रहने का एक ही मंत्र है, “उम्मीद बस खुद से रखो किसी और से नहीं।”
  • मेरे लिए नकारात्मक अनुभव जैसी कोई चीज नहीं है।
  • राष्ट्र लोगों से मिलकर बनता है, और उनके प्रयास से। कोई राष्ट्र जो कुछ भी चाहता है उसे प्राप्त कर सकता है।
  • आकाश की तरफ देखे, हम अकेले नहीं हैं सारा ब्रह्मांड हमारे लिए अनुकूल है और हम जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं, उन्हें यह प्रतिफल देने की साजिश करता है।
  • मुझे पूरा विश्वास है कि, जब तक किसी ने नाकामयाबी की कड़वी गोली ना चखी हो, वह कामयाबी के लिए पर्याप्त महत्वाकांक्षा नहीं रख सकता।
  • आपका दिमाग ही आप की सबसे बड़ी समस्या है। यह उन वजहों को पकड़-पकड़ कर लाता है, जो बेवजह है।
  • मनुष्य के लिए कठिनाईयाँ बहुत जरूरी हैं, क्योंकि उनके बिना असफलता का आनंद नहीं लिया जा सकता।
  • हम केवल तभी याद किए जाते जाएंगे, जब हमारी युवा पीढ़ी को एक समृद्ध और सुरक्षित भारत दें, जो आर्थिक समृद्धि और सभ्यता की विरासत का परिणाम होगा।
  • राष्ट्र लोगों से मिलकर बनता है और उनके प्रयासो से, कोई राष्ट्र जो कुछ भी चाहता है, उसे प्राप्त कर सकता है।
  • जीवन एक कठिन खेल है, आप एक व्यक्ति होने के अपने जन्मसिद्ध अधिकार को बनाए रखकर इसे जीत सकते हैं।
  • पक्षी अपने ही जीवन और प्रेरणा द्वारा संचालित होते हैं।
  • किसी भी मिशन की सफलता के लिए – रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक है।
  • एक महान शिक्षक बनने के लिए तीन बातें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है- ज्ञान, जुनून और करुणा।

 

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