पीटी उषा की बायोग्राफी | P. T. Usha Biography in Hindi
पी.टी. उषा की बायोग्राफी | P. T. Usha Biography in Hindi
पीटी उषा का जीवन परिचय (पीटी उषा कि बायोग्राफी, उम्र, शिक्षा, करियर, स्ट्रगल, एथलीट,, शादी, पति, बच्चे, नेटवर्थ) | P. T. Usha Biography in Hindi [ P. T. Usha, Birth, Age, Career, Struggle, Education, Wife, Children, Networth)
पीटी उषा
(P.T. Usha)
भारतीय महिला एथलीट।
पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा (पीटी उषा) एक भारतीय एथलीट हैं। वे भारत के केरल राज्य की रहने वाली हैं। आमतौर पर लोग उन्हें पी॰ टी॰ उषा के नाम से जानते हैं। पीटी उषा एक महान एथलीट हैं, और उन्होंने 1979 से लगभग दो दशकों तक भारत को अपनी प्रतिभा के बदौलत सम्मान दिलाया है।
‘भारतीय ट्रैक और फ़ील्ड की रानी’ कही जाने वाली पी॰ टी॰ उषा भारतीय खेलकूद में वर्ष 1979 से जुड़ी हैं। वे भारत के अब तक के सबसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से हैं। अपने असाधारण प्रदर्शन के चलते लोग पीटी उषा को ‘क्वीन ऑफ़ इंडियन ट्रैक’ एवं ‘पय्योली एक्सप्रेस’ नाम का ख़िताब दिया गया है। पीटी उषा आज केरल में एथलीट स्कूल चलाती है, जहाँ वे बच्चों में भी जोश और प्रतिभा जगाती है।

पी.टी. उषा की बायोग्राफी | P. T. Usha Biography in Hindi
पीटी उषा ने, अब तक कुल 101 अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। वर्तमान में वे दक्षिण रेलवे में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। खेल मे पीटी उषा की उपलब्धि को देखते हुए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1985 में उन्हें ‘पद्म श्री’ एवं ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
आज के इस लेख में हम जानेंगे, पीटी उषा के जीवन परिचय, उनके खेल सफर, सन्यास से लेकर उनके उनकी उपलब्धियों तक के बारे में :
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पीटी उषा का जीवन परिचय : एक नजर में ।
नाम : पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा (Pilavullakandi Thekkeparambil Usha)
उपनाम : पय्योली एक्स्प्रेस, गोल्डन गर्ल, पी टी उषा।
जन्म : 27 जून 1964 (आयु 58 वर्ष)
जन्म स्थान : पय्योली, कोज़िकोड, केरल, भारत
पिता : इ. पी. एम. पैतल
माता : टी. वी. लक्ष्मी
आवास : पय्योली, कोज़िकोड
धर्म : हिन्दु
राष्ट्रीयता : भारतीय
पेशा (Profession) : ट्रैक एवं फील्ड एथलीट (धावक)
कार्यक्षेत्र : भारतीय रेल (दक्षिण भारतीय रेल में अधिकारी के पद पर)
वैवाहिक स्थिति : विवाहित
पति : वी. श्रीनिवासन (विवाह वर्ष- 1990)
प्रसिद्धि : पद्म श्री, अर्जुन अवार्ड
वेबसाइट : ptusha.org
पीटी उषा का प्रारंभिक जीवन (Early Life) ।
पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् (पीटी) उषा का जन्म 27 जून 1964 को केरल के कोझिकोड स्थित पय्योली गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम इ.पी. एम. पैतल एवं माता का नाम टी. वी. लक्ष्मी है। बचपन में पीटी उषा कि सेहत बहुत ख़राब थी, लेकिन प्राइमरी स्कूल के दिनों में उन्होंने अपनी सेहत को सुधार लिया था। पीटी उषा को बचपन से ही खेलों में बहुत रुचि थी। जब उनके माता-पिता को यह बात पता चली तो उनके माता-पिता ने भी उन्हें इसके लिए प्रेरित किया।
उसी दौरान वर्ष 1976 में केरल सरकार ने कन्नूर में एक महिला खेल सेंटर की शुरुआत की। जिसके बाद पीटी उषा ‘महिला खेल सेंटर’ में शामिल हो गई। 12 साल की पीटी उषा उन 40 महिलाओं में से थी, जिनका चयन यहाँ ट्रेनिंग के लिए किया गया था। यहाँ उनके पहले कोच ओ.एम्. नम्बिअर थे।
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शिक्षा (Education)
पीटी उषा कि प्रारंभिक शिक्षा उनके जन्म स्थान केरल राज्य के पय्योली में स्थित एक स्थानीय प्राइमरी विद्यालय से हुई।
शारीरिक संरचना (Body Measurement) ।
लंबाई | से० मी०- 172
मी०- 1.72 फीट इंच- 5’7″ |
वजन | 54 Kg |
आंखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला और हल्का भुरा |
पीटी उषा के करियर कि शुरुआत (P.T. Usha Career)।
वर्ष 1979 में पीटी उषा ने विद्यालयों द्वारा आयोजित ‘नेशनल स्पोर्ट्स गेम्स’ में हिस्सा लिया। जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत चैम्पियनशिप जीता था। इसके बाद से ही पीटी उषा खबरो मे छा गई थी।
पीटी उषा ने एक एथलीट के तौर पर अपने अन्तराष्ट्रीय करियर की शुरुआत वर्ष 1980 के मास्को ओलम्पिक्स में हिस्सा लेते हुए किया। लेकिन पहले अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक मे उषा कि शुरुआत कुछ खास नहीं रही। इसी वर्ष 1980 में करांची में हुए ‘पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट’ मे पीटी उषा ने भाग लिया और इस एथलीट मीट में पीटी उषा ने भारत को 4 गोल्ड मैडल दिलाया था। उस समय पीटी उषा की उम्र मात्र 16 वर्ष थी।
इसके बाद 1982 में पी टी उषा ने ‘वर्ल्ड जूनियर इनविटेशन मीट’ में हिस्सा लिया। जिसमें उन्होंने 200 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक एवं 100 मीटर की रेस में रजत पदक जीता था। इसके एक वर्ष बाद 1983 मे कुवैत में आयोजित ‘एशियाई ट्रैक और फ़ील्ड चैम्पियनशीप’ में पीटी उषा ने 400मी में स्वर्ण पदक जीतकर एक नया एशियाई कीर्तिमान स्थापित कर दिया। वर्ष 1983-89 के बीच, उषा ने एटीएफ़ खेलों में कुल 13 स्वर्ण पदक अपने नाम किए।
वर्ष 1984 मे आयोजित लॉस एंजिल्स ओलम्पिक की 400 मी बाधा दौड़ के सेमी फ़ाइनल में उषा प्रथम स्थान पर रहीं, लेकिन फ़ाइनल में वह हार गईं। इसमे 1/100 सेकेंड के मार्जिन के कारण उषा ने कांस्य पदक गँवा दिया। यह मैच बहुत रोमांचक रहा, जिसने 1960 कि ‘मिल्खा सिंह’ की एक रेस याद दिला दी थी। इस मैच का आखिरी समय इतना रोमांच से भरा था कि, लोग अपने दांतों तले उंगलियाँ चबा जाएँ। हार के बाद भी पीटी उषा की यह उपलब्धि बहुत बड़ी थी। क्योंकि, भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था, जब कोई महिला एथलीट ओलंपिक के किसी फाइनल राउंड में पहुंची थी। उन्होने 55.42 सेकंड में अपनी रेस पूरी की थी, जो आज भी भारत के इवेंट में एक नेशनल रिकॉर्ड है। 400मी बाधा दौड़ का सेमी फ़ाइनल जीत कर किसी भी ओलम्पिक प्रतियोगिता के फ़ाइनल में पहुँचने वाली पीटी उषा पहली भारतीय महिला और पाँचवी भारतीय बनीं।
वर्ष 1985 में पीटी उषा ने इण्डोनेशिया के जकार्ता में आयोजित ‘एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशीप’ में हिस्सा लिया। इसमें उन्होने 5 गोल्ड और 1 ब्रोंज मैडल जीता। इसके अलावा एक ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में छः पदक जीतने का भी कीर्तिमान उनके नाम है।
वर्ष 1986 में पीटी उषा ने सियोल मे आयोजित दसवें ‘एशियन गेम्स’ मे हिस्सा लिया। जिसमें उन्होंने 200 मीटर, 400 मीटर, 400 मीटर बाधा एवं 4*400 मीटर रिले रेस में हिस्सा लिया था। इस एशियन गेम्स के चारों प्रतिस्पर्धाओं में ही पीटी उषा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए, भारत को चार गोल्ड मैडल दिलाए। एक ही इवेंट में एक ही एथलीट द्वारा इतने मैडल जीतना, अपने आप में एक रिकॉर्ड था, जिसे महान पीटी उषा ने अपने नाम कर लिया था।
इसी वर्ष 1988 में, सीओल में ‘ओलंपिक गेम्स’ का आयोजन हुआ, जिसमें पीटी उषा को भी हिस्सा लेना था, लेकिन इसके ठीक पहले प्रेक्टिस के दौरान उनके पैर में चोट लग गई। लेकिन, इसके बावजूद पीटी उषा ने सियोल ओलंपिक गेम्स में हिस्सा लिया। उनके जज्बे को यह चोट भी नहीं रोक पाई, लेकिन दुर्भाग्यवश वे इस गेम्स में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई और उन्हें एक भी जीत नहीं मिली।
इसके बाद, पीटी उषा ने प्रेक्टिस करते हुए अपने परफॉरमेंस को बेहतर और वर्ष 1989 में दिल्ली में आयोजित ‘एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट’ में हिस्सा लेते हुए, इसमें उन्होंने 4 गोल्ड मैडल एवं 2 सिल्वर मैडल अपने नाम किया। यह वो समय था, जब पीटी उषा अपने रिटायरमेंट की घोषणा करना चाहती थी, लेकिन प्रशंसको द्वारा उन्हें अपनी एक आखिरी पारी खेलने के का आग्रह किया गया, जिसके बाद उन्होने वर्ष 1990 में ‘बीजिंग एशियन गेम्स’ में हिस्सा लिया। पीटी उषा इस इवेंट के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इस ‘एशियन गेम्स’ में 3 सिल्वर मेडल अपने नाम किए।
उषा ने अब तक 101 अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। वे दक्षिण रेलवे में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। जबकि, वर्ष 1985 में उन्हें ‘पद्म श्री’ एवं ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
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निजी जीवन (Personal Life)
वर्ष 1990 में बीजिंग में गेम्स खेलने के बाद पीटी ऊषा ने एथलेटिक्स से संन्यास ले लिया। इसके लगभग एक साल बाद, वर्ष 1991 में उन्होने वी. श्रीनिवासन से शादी कर ली। जिसके बाद इनका एक बेटा हुआ, जिसका नाम उन्होंने ‘उज्जवल’ रखा।
वर्तमान मे पीटी उषा, केरल में एक एथलीट स्कूल चलाती है, जहाँ वे बच्चों में भी जोश और प्रतिभा जगा कर उन्हें प्रशिक्षित करती हैं।
पारिवारिक जानकारियां |
माता-पिता | इ. पी. एम. पैतल (पिता)
टी. वी. लक्ष्मी (माता) |
पति | वी. श्रीनिवासन |
बच्चे | एक बेटा- उज्जवल |
पीटी उषा की वापसी (P.T. Usha Comeback)
वर्ष 1990 में बीजिंग ओलंपिक में हिस्सा लेने के बाद, 26 वर्ष कि उम्र मे, पीटी उषा ने संयास ले लिया। अपने सन्यास के 8 वर्ष के एक लम्बे अंतराल के बाद पीटी उषा ने वर्ष 1998 में अचानक सबको चौंकाते हुए, 34 साल की उम्र में एथलेटिक्स में वापसी की।
हालांकि, इस बीच उन्होंने शादी कर ली और माँ भी बनीं। इन सबके बाद किसी भी एथलीट खासकर महिला के लिए खेल में वापसी करना बेहद मुश्किल है। लेकिन इन सब के बावजूद पीटी उषा ने अंतरराष्ट्रीय खेल में एक बार फिर से वापसी की। जिसमें उन्होने जापान के फुकुओका में आयोजित ‘एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट’ में हिस्सा लिया। इस गेम्स में पीटी उषा ने 200 मीटर एवं 400 मीटर की रेस में भारत को ब्रोंज मैडल दिलाया। वर्ष 2000 में आखिरकार पीटी उषा ने पुरी तरह से एथलेटिक्स से संन्यास ले लिया।
पीटी उषा को मिले पुरस्कार और सम्मान (Awards and Rewards) |
1985 : भारत सरकार द्वारा ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित विजेता।
1985 : भारत सरकार द्वारा ‘पद्म श्री’ सम्मान से सम्मानित।
1985 : जकार्ता एशियाई दौड़ प्रतियोगिता की
1985 : वर्ल्ड ट्रॉफी से सम्मानित।
1985 : स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ़ दी सेंचुरी’ एवं ‘स्पोर्ट्स वीमेन ऑफ़ दी मिलेनियम’ पुरस्कार से सम्मानित।
1986 : एडिडास गोल्डन शू अवार्ड फॉर दी बेस्ट एथलीट।
1999 : केरल के खेल पत्र से सम्मानित।
महानतम महिला धाविका का पुरस्कार।
- पीटी उषा को वर्ष 1984, 1985, 1986,1987 एवं 1989 में ‘एशिया के सर्वश्रेष्ठ धाविका’ के रूप में नामित किया गया था।
- पीटी उषा को सर्वश्रेष्ठ रेलवे खिलाड़ी के लिए वर्ष 1984, 1985, 1989 एवं 1990 में मार्शल टीटो पुरस्कार, से भी सम्मानित किया जा चुका है।
- दौड़ में श्रेष्ठता के लिए पीटी उषा को कुल किस अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।
- पीटी उषा को वर्ष 1985 एवं 1986 में सर्वश्रेष्ठ धाविका के लिए विश्व ट्रॉफ़ी के सम्मानित किया गया है।
पीटी उषा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Some Interesting Facts) ।
- पीटी उषा का जन्म केरल के कोजिकोड स्थित पय्योली मे हुआ था।
- पीटी उषा का पूरा नाम पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा है।
- पीटी उषा ने 16 वर्ष की उम्र में ही अपने अंतरराष्ट्रीय की शुरुआत कर ली थी।
- पीटी उषा ने अब तक कुल 101 पदक अपने नाम कर लिए हैं।
- वर्तमान मे वे दक्षिण भारतीय रेलवे में एक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
- उन्होंने, वर्ष 1990 में सन्यास ले लिया था। लेकिन अपने सन्यास के 8 वर्ष बाद, उन्होंने वर्ष 1998 में एक बार फिर से वापसी की। इसके बाद वर्ष 2000 मे उन्होंने पूर्ण रूप से सन्यास ले लिया।
- खेल में उनके अतुलनीय योगदान के लिए वर्ष 1985 में उन्हें भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था।
पी टी उषा के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर (FSQ)।
प्रश्न : पीटी उषा कौन है ?
उत्तर : पीटी उषा भारत के महिला एथलीट्स है। संपूर्ण विश्व में सबसे तेज दौड़ने वाली महिला पीटी उषा को भारतीय महिला ‘उसैन बोल्ट’ कहा जाता है।
प्रश्न : पीटी उषा का जन्म कब हुआ ?
उत्तर : 27 जून 1964 को (आयु 58 वर्ष) ।
प्रश्न : पीटी उषा की उम्र कितनी है ?
उत्तर : 58 वर्ष (2022 मे) ।
प्रश्न : पीटी उषा वर्तमान में कहां रहते हैं ?
उत्तर : कोझीकोड, केरल (भारत)
प्रश्न : क्या पीटी उषा शराब (अल्कोहल) का सेवन करती हैं ?
उत्तर : नहीं।
प्रश्न : क्या पीटी उषा धूम्रपान करती हैं ?
उत्तर : नहीं।
प्रश्न : पीटी उषा की शादी किससे हुई है ?
उत्तर : वी. श्रीनिवासन से।
प्रश्न : पीटी उषा के कितने बच्चे हैं ?
उत्तर : एक बेटा- उज्जवल।
प्रश्न : पीटी उषा किस राज्य की है ?
उत्तर : केरल, भारत
प्रश्न : पीटी उषा किससे संबंधित है ?
उत्तर : खेल जगत से।
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आभार ।
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