मुहम्मद अली की जीवनी | Muhammad Ali Ki Biography in Hindi
मुहम्मद अली की जीवनी | Muhammad Ali Ki Biography in Hindi
एक महान चैंपियन बनने के लिए आपको इस बात में यकीन करना होगा कि आप सर्वश्रेष्ठ हैं। अगर नहीं है, तो होने का दिखावा करिए कि आप हैं।”
-मुहम्मद अली
मुहम्मद अली पूर्वी अमेरिका के एक पेशेवर मुक्केबाज थे, और इन्हें मुक्केबाजी के इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा मुक्केबाज कहा जाता था। मुक्केबाजी के क्षेत्र में मुहम्मद अली तीन बार हैवीवेट चैंपियन रह चुके हैं। इसके अलावा उन्हें ‘बीबीसी से स्पोर्ट्स पर्सनालिटी ऑफ द सेंचुरी’ एवं ‘स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड इलस्ट्रेटेड’ के द्वारा स्पोर्ट्स मैन ऑफ द सेंचुरी के सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
मुहम्मद अली अखाड़े में अपने दमदार मुक्केबाजी और बेहतरीन फुटवर्क के लिए पूरी दुनिया में मशहूर थे। मुहम्मद अली ने तीन बार तीन बार (पहला 1964, दूसरा 1974, और तीसरा 1978 में।) ‘लेनीयल चैंपियनशिप’ का खिताब अपने नाम किया है। यह कारनामा करने वाले वे विश्व के इकलौते हैवीवेट चैंपियन है, जिन्होंने तीन बार यह खिताब अपने नाम किया है। इसके साथ ही 25 फरवरी 1964 से लेकर 19 सितंबर 1964 तक अली ने हैवीवेट बॉक्सिंग चैंपियन के रूप में राज भी किया है। इसके साथ-साथ अली कई ऐतिहासिक बॉक्सिंग मैचों जैसे ‘फाइट ऑफ द सेंचुरी’ (सदी की लड़ाई), ‘सुपर फाइट-2’ और ‘थ्रिला इन मनीला (मनीला में रोमांच)’ बनाम अपने प्रतिद्वंदी जो फ्रेजियर’, ‘रंबल इन द जंगल’ बनाम ‘जॉर्ज फोरमैन’ आदि में शामिल रहे।

मुहम्मद अली की जीवनी | Muhammad Ali Ki Biography in Hindi
एक बेहतरीन मुक्केबाज होने पर इन्हें ‘महानतम’ का उपनाम भी दिया गया। वर्ष 1981 में अली ने वास्तविक रूप से रिटायरमेंट ले लिया।
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जीवन परिचय : एक नजर में ।
नाम : कैसियस मार्सेलस क्ले, जूनियर
जन्म : 17 जनवरी 1942
जन्म स्थान : लुइसविले, केंटकी (यूएसए)
पिता : कैसियस मार्सेलस क्ले
माता : ओडिसा ग्रैंडी क्ले
शिक्षा : सेंट्रल हाई स्कूल (1958)
राष्ट्रीयता : अमेरिकी
व्यवसाय : मुक्केबाज
हाइट : 6 फिट 3 इंच (191 सेंटीमीटर)
भार : हेवी वेट
धार्मिक मान्यता : सुन्नी, इस्लाम।
धर्म परिवर्तन : इस्लाम धर्म (1964 में)
जीवन साथी : सोन्जी रोई (1964-1966), बेलिंडा बॉयड (1967-1977), वेरोनिका पोर्श अली (1977- 1986), योलांडा विलियम्स (1986-2016)
संताने : (9 बच्चे) लैला अली, हैना अली, असद अली, खलीहा अली, मोहम्मद अली जूनियर, रशीदा अली, जमीला अली, माया अली, मरियम अली।
मृत्यु : 3 जून 2016 (उम्र-74 वर्ष; फिनिक्स एरीजोना, यूएसए में)
प्रारंभिक जीवन ।
मोहम्मद अली का जन्म 17 जनवरी 1942 में लुइसविले, केंटकी (संयुक्त राज्य अमेरिका) में हुआ। अली के बचपन का नाम कैसियस मर्सीलस क्ले, जूनियर था। उनके पिता का नाम कैसियस मर्सीलस क्ले और माता का नाम ओडिसा ग्रैंडी क्ले है।
जब अली 12 वर्ष के थे, तब उनके साथ एक ऐसी घटना हुई जिससे उन्होंने बॉक्सिंग में आने का फैसला किया। हुआ कुछ ऐसा कि, एक बार उनकी साइकिल चोरी हो गई और उन्होंने इसकी जानकारी एक पुलिस अधिकारी ‘जो मार्टिन’ को दिया, और कहा कि ‘वह उस चोर को एक जोर का घुसा मारना चाहता है, जिसने भी उसकी साइकिल चोरी की है।’ इस पर ‘जो मार्टिन’ ने उनसे कहा कि ‘किसी से लड़ने से पहले, तुम्हें अच्छी तरह से लड़ना सीखना होगा।’
क्योंकि एक पुलिस अधिकारी होने के साथ ही ‘जो मार्टिन’ एक स्थानीय जिम में लड़कों को बॉक्सिंग भी सिखाया करते थे; तो मोहम्मद अली भी उनसे ही मुक्केबाजी सीखने लगे।
मोहम्मद अली बचपन में स्कूल बस से स्कूल जाने के बजाय वे बसों से रेस लगाकर स्कूल जाया करते थे।
22 वर्ष की उम्र में 1964 में उन्होंने सोनी लिस्टन से ‘विश्व हैवीवेट चैंपियनशिप-1964’ में जीत हासिल की। अली अपनी निजी जिंदगी में आध्यात्मिक शांति तलाश कर रहे थे। जिसकी वजह से उनकी रुचि इस्लाम धर्म में होने लगी। कुछ समय बाद 1964 कैसियस मार्सेलस क्ले, जूनियर ने इस्लाम धर्म अपना लिया और वे कैसियस मार्सेलस क्ले जूनियर से ‘मोहम्मद अली’ बन गए।
करियर की शुरुआत।
29 अक्टूबर 1960 में अली ने ‘टनी हनसेकर ‘ पर छठवें राउंड में ही जीत हासिल करने के साथ, अपने सफल कैरियर की शुरूआत की। उन्होंने 1960 के ‘रोम ओलंपिक’ खेलों में ‘लाइट हैवीवेट डिवीजन’ का स्वर्ण पदक भी जीता। अली ने पहली बार 1964 में विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीता। इसके बाद 1974 और फिर 1978 में ‘विश्व चैंपियनशिप’ का खिताब अपने नाम किया।
मोहम्मद अली को उनके कम ‘आइक्यू (IQ) की वजह से आर्मी से दो बार रिजेक्ट कर दिया गया था, लेकिन फिर बाद में अली को फिट घोषित कर उन्हें सेना में शामिल करने के लिए अमेरिकी सेना द्वारा एक ड्राफ्ट तैयार किया गया। पर इस बार अली ने सेना में जाने से इंकार कर दिया। उसी समय अमेरिका ने वियतनाम के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी और अमेरिकी सेना ने अली को युद्ध में शामिल होने को कहा। अली ने इस युद्ध को करने से यह कहकर मना कर दिया कि, ‘मेरी वियतनाम के लोगों से कोई लड़ाई नहीं है; और ना ही किसी वियतनामी ने मेरे खिलाफ खराब शब्दों का इस्तेमाल किया है।’
अली को सेना का ड्राफ्ट ना मानने की वजह से 5 साल की सजा सुनाई गई, और उन पर $10000 का जुर्माना भी लगाया गया। बाद में अपील करने पर सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को गलत बताया, जिससे अली को 10 दिनों तक ही जेल में रहना पड़ा।
8 मार्च 1971 में एक बॉक्सिंग मैच हुआ, जिसमें एक तरफ लगातार 26 मैच जीतने वाले जोसेफ विलियम फ्रेजर थे, तो वहीं दूसरी तरफ दुनिया के सबसे अच्छे और लगातार 31 मैच जीतने वाले बॉक्सर मोहम्मद अली थे। वहां मैच देख रहे इस सभी दर्शकों की जुबान पर दो ही नाम थे ‘अली और फ्रेजर’। सभी को यही लग रहा था कि अली, फ्रेजर को हरा देगा।
मैच शुरू हुआ और पहले राउंड से लेकर 14वें राउंड तक सब ठीक था, लेकिन 15 राउंड में फ्रेजर ने दुनिया को चौंकाते हुए हैवीवेट चैंपियन को मात दे दिया। इस तरह 10 सालों तक अजेय रहने रहने वाले ‘मोहम्मद अली’ को पहली बार बॉक्सिंग में मात मिली।
वर्ष 1979 में पहली बार अली ने सन्यास की घोषणा की। 1980 में उन्होंने दोबारा रिंग में वापसी की, लेकिन वे नए विश्व चैंपियन लैरी होम्स से हार गए। अली ने 1981 में बॉक्सिंग से वास्तविक रूप से सन्यास ले लिया। इनके खाते में 56 जीत जिसमें 37 नॉकआउट और केवल 5 हार शामिल है।
वर्ष 1996 में अटलांटा में हुए ओलंपिक में इन्हें ज्योति प्रज्ज्वलित करने का गौरव भी प्राप्त हुआ। वर्ष 2005 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने इन्हें ‘प्रेसीडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से सम्मानित किया।
अली कहते हैं – “मैं सबसे महान हूं, मैंने यह तब कहा जब मुझे पता भी नहीं था कि मैं हूं।”
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निजी जीवन / वैवाहिक जीवन ।
मोहम्मद अली ने चार शादियां की हैं, और इनके 9 बच्चे भी हैं। उन्होंने पहली शादी सोन्जी रोई से 1964 में की और केवल दो साल बाद ही 1966 में यह दोनों अलग हो गए।
1967 मे उन्होंने दूसरी शादी बेलिंडा बॉयड से कि और इनसे अली को तीन बेटी और एक बेटा हुआ। 1976 में यह दोनों भी अलग हो गए।
1977 में उन्होंने तीसरी शादी वेरोनिका पोर्श से की। वेरोनिका पोर्श से इन्हें चार बेटी हुई। अली की तीसरी शादी भी 1986 में टूट गई
इसके बाद 1986 में योलांडा विलियम से उनकी चौथी शादी हुई, और उन्होंने एक बेटा भी गोद लिया था। मोहम्मद अली की एक बेटी लैला अली भी एक पेशेवर महिला मुक्केबाज है।
इस्लाम धर्म अपनाने की वजह ।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद अली ने अपनी पत्नी बेलिंडा बॉयड को इस्लाम धर्म कबूल करने की वजह बताते हुए एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि- ‘एक बार वह जब अपने शहर लुइसविले में स्केटिंग रिंग के बाहर खड़े थे। इसी दौरान उनकी नजर ‘नेशन ऑफ इस्लाम’ अखबार पर पड़ी। इस अखबार को पढ़ते हुए उनकी नजर इसमें छपे एक कार्टून पर गई जिसमें एक गोरा आदमी, एक काले गुलाम को पीटते हुए ‘जीसस’ से प्रार्थना करने को कह रहा था। ऐसा कहा जाता है की इसी कार्टून की वजह से अली ने इस्लाम धर्म को अपनाया था।
निधन / मृत्यु ।
मोहम्मद अली 1984 में से ही पार्किंसन रोग से पीड़ित थे, जिसकी वजह से 2014 में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 2 जून 2016 को एक बार फिर सांस की समस्या के कारण अली को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। हालांकि इनकी स्थिति को अच्छा बताया गया था; पर इनकी हालत धीरे-धीरे खराब होती चली गई और 3 जून 2016 को उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनकी मौत का कारण ‘सेप्टिक शॉक’ को बताया गया।
पुरस्कार एवं सम्मान ।
- 1960 – ‘रोम ओलंपिक’ में अली ने स्वर्ण पदक भी जीता था।
- 1964/74/78 – लेनियल चैंपियनशिप का खिताब जीता।
- 1996 – अटलांटा में हुए ‘ओलंपिक’ में इन्हें ज्योति प्रज्वलित करने का गौरव प्राप्त हुआ।
- 2005 – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा इन्हें ‘प्रेसीडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से सम्मानित किया गया।
कुछ रोचक तथ्य ।
तीन बार हैवीवेट चैंपियनशिप खिताब जीतने वाले और कई दिग्गजों को रिंग में धूल चटाने वाले चैंपियन मोहम्मद अली को फ्लाइट में बैठने से डर लगता था।
एक बेहतरीन बॉक्सर होने के साथ-साथ मोहम्मद अली एक गायक, एक्टर और एक अच्छे कवि भी थे
उन्होंने सोनी लिस्टन को हराकर वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप जीतने से केवल 6 महीने पहले ही अपनी एल्बम ‘आई एम द ग्रेटेस्ट’ रिलीज किया था।
मोहम्मद अली ने अपने जीवन में कुल 61 मुकाबले लड़े, जिनमें से उन्हें 56 मुकाबलों में जीत मिली और केवल 5 मुकाबलों में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
मोहम्मद अली के प्रैक्टिस करने का सबसे अलग अंदाज था वह अपनी प्रैक्टिस के दौरान अपने भाई को खुद पर पत्थर फेंकने को कहा करते थे, और वह अपनी तरफ आने वाले पत्थरों से खुद को बचाने की प्रैक्टिस किया करते थे।
एक बार उनके छोटे भाई रूडी ने कहा था कि ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैंने अली पर कितने पत्थर फेंके हैं। लेकिन मेरे द्वारा फेंके गए एक भी पत्थर उन्हें कभी झूठ भी नहीं पाए।’
ऐसा कहा जाता है कि मोहम्मद अली ने अपने किसी प्रशंसक को ऑटोग्राफ के लिए कभी मना नहीं किया। क्योंकि जब मोहम्मद अली छोटे थे तो,उस समय के एक मशहूर बॉक्सर शुगर रे रॉबिंसन से, मोहम्मद अली ने एक बार ऑटोग्राफ मांगा था। लेकिन रे रॉबिंसन ने उन्हें झिड़कते हुए यह कहकर मना कर दिया था कि ‘उनके पास समय नहीं है।’ इस बात से अली को बहुत चोट पहुंची थी। इसलिए वह अपने किसी भी प्रशंसकों को ऑटोग्राफ के लिए कभी मना नहीं करते थे।
उनकी सबसे छोटी बेटी लैला अली भी एक पेशेवर मुक्केबाज है; और उन्होंने कुल 24 मुकाबले लड़े, और सभी मुकाबलों में उन्होंने जीत हासिल की। लैला अली कभी ना हारने वाली बॉक्सर के रूप में रिटायर हुई।
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