दलाई लामा की बायोग्राफी | Dalai Lama Biography in Hindi
दलाई लामा की बायोग्राफी | Dalai Lama Biography in Hindi
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दलाई लामा (तेनजिन ग्यात्सो)
(Dalai Lama)
तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष एवं चौदहवें आध्यात्मिक गुरू ।
दलाई लामा (Dalai Lama), तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष होने के साथ-साथ तिब्बत के चौदहवें आध्यात्मिक गुरू भी हैं। ‘दलाई लामा’ एक मंगोलियाई पदवी है। मंगोलिया में ‘दलाई’ का अर्थ ‘महासागर’ है, जिसे तिब्बती भाषा में ‘ग्यात्सो’ कहा जाता है। जबकि लामा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है- ‘गुरु या आध्यात्मिक शिक्षक’, जिसका तिब्बती भाषा में अर्थ होता है ‘तेनजिन’। इस प्रकार ‘दलाई लामा’ की उपाधि का शाब्दिक अर्थ है- ‘महासागर शिक्षक’ । जिसका अर्थ है
दलाईलामाओं को एक महत्वपूर्ण बौद्ध देवता और करुणा का अवतार अवलोकितेश्वर का पुनर्जन्म माना जाता है। दलाई लामा भी प्रबुद्ध प्राणी हैं, जिन्होंने अपने स्वयं के जीवनकाल को स्थगित कर दिया है और मानवता को लाभ पहुंचाने के लिए पुनर्जन्म को चुना है। उन्हें सम्मान से ‘परमपावन’ भी कहा जाता है।
दलाई लामा, शान्ति के क्षेत्र में लगातार प्रयासरत रहे हैं, और अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दिया है। शांति के क्षेत्र में दलाई लामा आज पूरे विश्व के लिए एक बड़ा उदाहरण हैं। इस क्षेत्र में दलाई लामा ने कई सराहनीय कार्य किए हैं, जिसके लिए उन्हें अलग-अलग देशों से सम्मान प्राप्त हुआ है।
दलाई लामा को उनके कार्यों के लिए, वर्ष 1989 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
दलाई लामा ने 52 से अधिक देशों का दौरा किया है, और कई प्रमुख देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और शासकों से मिले हैं। उन्होंने कई धर्म के प्रमुखों और कई प्रमुख वैज्ञानिकों से मुलाकात की है। इतना ही नहीं, दलाई लामा को शांति संदेश, अहिंसा, अंतर धार्मिक मेलमिलाप, सार्वभौमिक उत्तरदायित्व और करूणा के विचारों को मान्यता के रूप में 1959 से अब तक 60 मानद डॉक्टरेट, पुरस्कार एवं सम्मान आदि प्राप्त हुए हैं।
इसके अलावा, दलाई लामा ने 50 से भी अधिक पुस्तकें लिखीं हैं। दुनियाभर में अपनी यात्राओं और व्याख्यान के दौरान उनका साधारण व करूणामय स्वभाव उनसे मिलने वाले हर व्यक्ति को गहराई तक प्रभावित करता है। उनका संदेश है प्यार, करूणा और क्षमाशीलता।
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दलाई लामा का जीवन परिचय : एक नजर में ।
नाम : ल्हामो थोंडुप
उपनाम : दलाई लामा, तेनजिन ग्यात्सो
जन्म : 6 जुलाई 1935
जन्म स्थान : ताकस्तेर, उत्तर-पूर्वी तिब्बत
पिता : चोक्योंग त्सेरिंग
माता : डिकी त्सेरिंग
आवास : तिब्बत
शिक्षण संस्थान : मोनलम, जोखांग मंदिर ल्हासा
शैक्षणिक योग्यता : बौध दर्शन में पी. एच. डी. ।
धर्म : बौद्ध धर्म
पेशा : बौद्ध संत, आध्यात्मिक गुरु
राजनीतिक पार्टी : निष्कासित तिब्बतीयों की रिपब्लिकन पार्टी
राशि : कैंसर वृश्चिक
वैवाहिक स्थिति : अविवाहित
दलाई लामा का प्रारंभिक जीवन ।
दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर (Taktser) क्षेत्र में एक ओमान परिवार के घर में हुआ था। उनके बचपन का नाम ल्हामो थोंडुप है। दो वर्ष की उम्र में ही ल्हामो थोंडुप की पहचान 13 वें ‘दलाई लामा’ थुबटेन ग्यात्सो के अवतार के रूप में की गई।
दलाई लामा के जन्म के समय उनके गाँव में केवल 20 परिवार ही रहते थे। दलाई लामा के माता पिता एक किसान थे, और वे भेड़-बकरियां चराकर अपना गुजारा करते थे। उनके माता-पिता; बाजरा, आलू और अनाज की खेती करते थे। ल्हामो के अतिरिक्त उनके परिवार में 6 अन्य बच्चे भी थे जिनमें 4 लड़के और 2 लड़कियां शामिल थी।
दलाई लामा की शिक्षा ।
ल्हामो थोंडुप ने अपनी शिक्षा छह वर्ष की अवस्था में प्रारंभ की। इसके बाद अपने 23 वर्ष की अवस्था में वर्ष 1959 के वार्षिक मोनलम; प्रार्थनाद्ध उत्सव के दौरान उन्होंने जोखांग मंदिर, ल्हासा अपनी ऑनर्स कि डिग्री प्राप्त की। इसके साथ ही उन्हें सर्वोच्च गेशे डिग्री ल्हारम्पा (बौध दर्शन में पी. एच. डी.) प्रदान की गई।
दलाई लामा और तिब्बत की राजनीति ।
नवम्बर 1950 में दलाई लामा को तिब्बत में राजनैतिक अधिकार मिले। उस समय चायनीज कम्युनिस्ट आर्मी तिब्बत में घुसपैठ कर चुकी थी।
चीनी कम्युनिस्टों के अनुसार, सम्पति किसी एक व्यक्ति की नहीं होनी चाहिए, बल्कि ये सबके लिए उपलब्ध होनी चाहिए। कम्युनिस्टों का ये भी कहना था कि- सब कुछ सरकार के अधीन होना चाहिए।
उस समय दलाई लामा मात्र 15 वर्ष के थे और देश पर आई इस विपदा को वे बखूबी संभालने की कोशिश कर रहे थे।
दलाई लामा के द्वारा तिब्बत का नेतृत्व ।
वर्ष 1950 में चाइनीस आर्मी की तिब्बत में घुसपैठ के बाद, दलाई लामा को न चाहते हुए भी राजनीति में आना पड़ा। लेकिन इससे पहले वर्ष 1949 में द्वितीय विश्व युद्ध की हार के बाद से चीन एक कम्युनिस्ट देश बन चुका था, और वर्ष 1950 के प्रारंभ में लगभग 80 हजार चीनी सैनिक तिब्बत में प्रवेश कर गए और चीन ने तिब्बत पर अपने अधिकार का दावा भी किया था।
दलाई लामा ने चीन का दौरा किया और वहां के प्रशासन से तिब्बत छोड़ने का कहा, लेकिन वो नहीं माने इसके अलावा, लामा ने कुछ पड़ोसी देशों से भी घुसपैठ को हटाने के लिए मदद मांगी। लेकिन अन्य देश चीन से डर गए और वे लामा की ज्यादा मदद नहीं कर पाए।
वर्ष 1954 में दलाई लामा बीजिंग गये, और वहां उन्होंने माओ ज़ेडोंग और देंग जिओपिंग (Deng Xiaoping) और चौ एनलाई (Zhou Enlai) जैसे अन्य चीनी नेताओं से इस संबंध में बात की। इसके बाद चीनी सैनिकों द्वारा तिब्बत के लोगों को बहुत कई वर्षों तक बहुत प्रताड़ित किया गया और तिब्बती लोगों के विरोध प्रदर्शन को दबाने की कोशिश की गई।
अप्रैल 1959 में दलाई लामा भारत आए और भारत के धर्मशाला में रहने लगे। इसके बाद, दलाई लामा ने चीनियों द्वारा तिब्बत में हो रही घुसपैठ के विषय में ‘यूनाइटेड नेशन’ में आवाज़ उठायी। जिसके दौरान ‘जनरल असेम्बली’ ने तिब्बत में वर्ष 1959, वर्ष 1961 और वर्ष 1965 में तीन प्रस्ताव दिए।
वर्ष 1963 में दलाई लामा ने तिब्बत के लिए डेमोक्रटिक संविधान दिया। जिसके कारण तिब्बत में प्रशासन के साथ ही बड़ा जनतांत्रिक सुधार हुआ। इस नए लोकतान्त्रिक संविधान को निष्कासन के दौरान तिब्बतियों का घोषणा पत्र कहा गया। इस घोषणापत्र में अभिव्यक्ति, विश्वास और असेम्बली की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता हैं. यह तिब्बत से निर्वासित लोगों के लिए गाइडलाइन भी थीं।
दलाई लामा द्वारा दिए गए पांच सूत्रीय शांति प्रस्ताव ।
21 सितम्बर 1987 को यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस में अपने भाषण में दलाई लामा ने तिब्बत के लिए 5 सूत्रीय शांति प्रस्ताव रखा और तिब्बत की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए पहला कदम बढाया। ये 5 सूत्रीय प्रस्ताव निम्न हैं:-
- सम्पूर्ण तिब्बत को शान्त-क्षेत्र में परिवर्तित किया जाए !
- चायना की जनसंख्या को ट्रांसफर की नीति को समाप्त किया जाये, जिसके कारण तिब्बत की जनसंख्या पर गलत प्रभाव पड़ रहा हैं !
- तिब्बत के लोगों और उनके मौलिक एवं लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान किया जाए !
- तिब्बत के प्राकृतिक वातावरण को संरक्षित किया जाए और चायना द्वारा तिब्बत में परमाणु हथियारों के प्रयोग और इसके कचरे को फैकने से रोका जाए !
- तिब्बत के भविष्य को देखते हुए तिब्बत और चायना के लोगों के मध्य में शान्ति एवं संवाद स्थापित करने की कोशिश की जाए !
मई 1990 में दलाई लामा के सुधार कार्यों के लिए तिब्बत का निष्कासन पूरी तरह से लोकतान्त्रिक हो गया।
तिब्बत का मंत्रिमंडल (कशाग) जो कि तब तक दलाई लामा द्वारा नियुक्त था। उन्हें भी तिब्बत से निष्कासन में पार्लियामेंट में शामिल कर लिया गया। उसी वर्ष भारत और 33 से भी अधिक देशों में रह रहे निष्कासित तिब्बतियों ने ग्यारहवीं तिब्बत असेम्बली के लिए एक व्यक्ति-एक वोट के आधार पर चुना, और इस असेम्बली ने नए कैबिनेट के लिए सदस्य चुने।
वर्ष 1992 में सेंट्रल तिब्बत एडमिनीस्ट्रेशन ने भविष्य के स्वतंत्र तिब्बत के लिए गाइडलाइन पब्लिश की, जिसमें साफ़ कहा गया था कि- ‘तिब्बत के स्वतंत्र होते ही, पहला टास्क अंतरिम सरकार बनाना होगा। जिसकी जिम्मेदारी होगी, कि वो संविधान सभा बनाये और देश में लोकतंत्र एवं संविधान बनाये।’
दलाई लामा ने ये आशा जताई थी कि, भविष्य के तिब्बत में तीन पारम्परिक प्रोविंस होंगे- पहले ‘यु-संग’ (U-Tsang), जबकि दुसरे ‘आमदो (Amdo)’ और तिसरे ‘खाम (Kham)’, जिनमे संघीय और लोकतांत्रिक प्रशासनिक व्यवस्था होगी।
सितम्बर 2001 में जनतंत्रात्मक तिब्बत इलेक्टोरेट की तरफ कदम बढ़ाया और सीधे मंत्रिमंडल के अध्यक्ष के रूप में कालोन त्रिपा (Kalon Tripa ) को चुन लिया गया। कालोन ने अपना मंत्रिमंडल खुद चुना, जिसे तिब्बतन असेम्बली को सहमत होना पड़ा। तिब्बत के इतिहास में ये पहली बार था, जब लोगों ने अपने राजनेता को खुद को चुना था। कालोन ट्रिपा के चुनाव के बाद दलाई लामा द्वारा तिब्बत में चलायी जाने वाली आध्यात्मिक और अस्थायी शक्ति समाप्त हो गयी।
इन्हें भी पढ़ें :
दलाई लामा के आध्यात्मिक विचार ।
“सभी मुख्य धर्मो का उद्देश्य सिर्फ बड़े से बड़े बाहरी मंदिर बनाना नही है, बल्कि दिल में दयालुता और सहानुभूति का आंतरिक मंदिर बनाने से है !!”
“एक सच्चा सहानुभूति वाला रवैया तब भी नही बदलता जब दुसरे लोग आपको गुस्सा दिलाये ये दुखी करे !!”
“ध्यान रहे की कभी आप जो चाहते हो वो नही मिले, तो भी आप लकी हो सकते हो !!”
“सहिष्णुता के अभ्यास में एक दुश्मन ही सबसे बड़ा शिक्षक है !!”
“हम सभी ने इस धरती का विभाजन किया है, इसीलिये हमें एकता और प्रेम और शांति से रहना चाहिये। ये मेरा स्वप्न नही बल्कि दुनिया की जरुरत है !!”
“यदि आप ये सोचते हो की कुछ नया और अलग करने के लिये आप बहोत छोटे हो तो मच्छर के साथ सोने की कोशिश करे !!”
“गुस्सा आपके दिमाग की आंतरिक शांति को नष्ट करने के सबसे सरल उपाय है !!”
“यदि आप दूसरो को ख़ुशी देना चाहते हो, तो सहन करना सीखे। यदि आप खुश रहना चाहते हो तो सहानुभूति का अभ्यास करो !!”
“खुशियाँ कभी रेडीमेड नही मिलती. बल्कि खुशियाँ हमारे ही कामो का परिणाम होती है !!”
“ऐसा आपके साथ ही ‘क्यों’ हुआ, इसपर आश्चर्य करने की बजाये, ऐसा ‘आप’ ही के साथ क्यों हुआ, इसपर आश्चर्य करे !!”
“एक अनुशासित दिमाग आपको खुशिया दे सकता है, और एक अनुशासनहीन दिमाग आपको दुःख दे सकता है !!”
“जब कभी भी संभव हो तो दयालु बने रहे। क्योकि ऐसा करना हमेशा संभव ही होता है !!”
“किसी एक को परास्त करना युद्ध में हजारो को परास्त करने से बेहतर है !!”
“यदि किसी के पास बन्दुक है, और यदि वो आपको मारने की कोशिश कर रहा हो तो ये सही होगा की आप अपनी खुद की बन्दुक से गोली चलाओ !!”
“खुशिया कभी तलाश करने से नहीं मिलती। कभी-कभी वे आशा न होने पर भी आकस्मिक आ ही जाती है !!”
“अहिंसा से आप किसी भी समस्या को हल कर सकते हो। लेकिन आपको दूसरो के लिये बीज बोने की जरुरत है !!”
“कोई भी लक्ष्य दुसरे इंसानों के लक्ष्य से बेहतर नही, बल्कि आप ही के पिछले लक्ष्य से बेहतर होना चाहिये !!”
“आँख के बदले आँख…….ऐसा करने से हम सभी अंधे हो जायेंगे !!”
“जहा अज्ञानता हमारा शिक्षक हो वहा शांति आने की कोई संभावना ही नही होती !!”
“कभी-कभी कठिन परिस्थितियों को टालने की नही बल्कि उनका सामना करने की जरुरत होती है, तभी आपको परम आनंद की प्राप्ति होगी !!”
“हम धर्म और चिंतन के बिना भी रह सकते है लेकिन मानवीयता के बिना हम नही रह सकते !!”
“गुस्सा और घृणा मछुआरे के हुक की तरह है। इसीलिए ये जानना बहुत जरुरी है की कहीं हम उस जाल में फँस न जाये !!”
“मेरा धर्म बहुत साधारण है। मेरा धर्म दयालुता है!!”
“हमेशा ध्यान रहे की एक बेहतर रिश्ता वही है आप दोनों का प्यार आप दोनों की जरूरतों से बढ़कर हो !!”
“दयालुता की जड़ वृद्धि (आभार) की मिटटी में छुपी होती है !!”
“जब हम दुसरे के प्रति प्यार और दयालुता का अनुभव करते है और हम दूसरो को नही बल्कि खुद को खुश करते चले जाते है ये आपकी आंतरिक शांति को बनाये रखने में सहायक होगा !!”
“प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई वस्तु नही है, ये आप ही के कर्मो से आती है !!”
“हमारे जीवन का उद्देश्य ही खुश रहना है !!”
“आप आकर्षण से ही दुसरे के दिमाग को बदल सकते हो गुस्से से नही !!”
“प्यार मतलब निर्णय का अभाव होना है !!”
“एक अच्छा दोस्त वही होता है जो आपकी झूठी तारीफ करने की बजाये आपकी गलतियों और आपकी कमियों को बताये !!”
“कभी–कभी कुछ इंसान थोड़ा कुछ कहकर बहुत बड़ा प्रभाव डालते है, और कभी-कभी लोग शांत रहकर भी बड़ा प्रभाव डाल जाते है !!”
“एक चम्मच में जो खाना होता है वह उसका स्वाद नही ले पाता। उसी तरह एकमुर्ख इंसान विद्वान इंसान को नही समझ पाता !!”
“खामोश रहना ही कभी-कभी बेहतरीन जवाब होता है!!”
“एक सच्चा हीरो वही होता है, जो खुद के गुस्से और दुष्कर्म को परास्त करता है !!”
“यह एक साधारण धर्म है। यहाँ मंदिर की कोई जरुरत नही है। यहाँ जटिल दर्शनशास्त्रो की भी जरुरत नही। आपका अपना दिमाग और ह्रदय ही मंदिर है। और आपका दर्शनशास्त्र आपकी दयालुता में ही है !!”
“धर्म का अर्थ प्यार, करुणा, मानवता, दयालुता और इंसानियत को फैलाना है !!”
दलाई लामा के अनमोल विचार ।
“जब हम जिंदगी में किसी सही परिस्थिती का सामना करते है तो हम दो तरह से प्रतिक्रिया करते है – या तो हम हार मानकर जीतने की आशा को खो देते है या आंतरिक शक्तियों को ढूंडकर चुनौतियों का सामना करते हैं !!”
“कोई भी कार्यक्रम सभी नजरिये से नकारात्मक नही हो सकता, ये असंभव है !!”
“हमारी सहानुभूति को विकसित करना और उसे समझना ही हमारे जिंदगी में खुशिया ला सकती है !!”
“उसी अकाउंट का चुनाव करें, जिसमे ज्यादा प्यार और ज्यादा उपलब्धियों के साथ ज्यादा जोखिम हो !!”
“जब आपको इस बात का अंदाज़ा हो कि आपने गलती की है, तो उसे सुधारने के लिये तुरंत निर्णय लीजिये !!”
“एक खुला दिल ही खुले दिमाग की तरह होता है !!”
“जबतक हम अपनेआप को शांत नही रखते तबतक हमें बाहरी दुनिया में कभी शांति नही मिलेगी !!”
“वैश्विक शांति आंतरिक शांति से ही विकसित होती है. शांति का मतलब सिर्फ शोर-शराबा ना होने से नही है. मेरे ख्याल से शांति मानवी सहानुभूति का प्रत्यक्षीकरण है !!”
“अपने ज्ञान को बाटते रहिये, तभी आप अनैतिक सफलता को प्राप्त कर सकोंगे !!”
“ध्यान न देने की वजह से ही सभी को भुगतना पड़ता है। आधुनिक लोग खुद की ख़ुशी और सफलता के लिये लोगो को दुखी करने पर तुले हुए है !!”
“वही करने की कोशिश करे, जहाँ आपको उड़ना पसंद हो, और वापिस आकार किसी वजह से रुकना भी पसंद हो !!”
“आपका जितना पाया और जितना दिया उसके आधार पर अपनी सफलता को परखिये !!”
दलाई लामा के द्वारा दिए गए संदेश ।
- बौद्ध धर्म का प्रचार – मेरा धर्म साधारण है, मेरा धर्म दयालुता है।
- हम चीनी लोगों या चीनी नेताओं के विरुद्ध नहीं हैं। आखिर वे भी एक मनुष्य के रूप में हमारे भाई-बहन हैं। यदि उन्हें खुद निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती, तो वे खुद को इस प्रकार की विनाशक गतिविधि में नहीं लगाते, या ऐसा कोई काम नहीं करते जिससे उनकी बदनामी होती हो। मैं उनके लिए करूणा की भावना रखता हूँ।
- आज के समय की चुनौती का सामना करने के लिए, मनुष्य को सार्वभौमिक उत्तरदायित्व की व्यापक भावना का विकास करना चाहिए। हम सबको यह सीखने की जरूरत है, कि हम न केवल अपने लिए कार्य करें, बल्कि पूरे मानवता के लाभ के लिए कार्य करें। मानव अस्तित्व की वास्तविक कुंजी सार्वभौमिक उत्तरदायित्व ही है। यह विश्व शांति, प्राकृतिक संसाधनों के समवितरण और भविष्य की पीढ़ी के हितों के लिए पर्यावरण की उचित देखभाल का सबसे अच्छा आधार है।
- अपने पर्यावरण की रक्षा हमें उसी तरह से करना चाहिए, जैसा कि हम अपने घोड़ों की करते हैं। हम मनुष्य प्रकृति से ही जन्मे हैं, इसलिए हमारा प्रकृति के खिलाफ जाने का कोई कारण नहीं बनता। इस कारण ही मैं कहता हूं, कि पर्यावरण धर्म नीतिशास्त्रा या नैतिकता का मामला नहीं है। यह सब ऐसी विलासिताएं हैं, जिनके बिना भी हम गुजर-बसर कर सकते हैं। लेकिन यदि हम प्रकृति के विरफ जाते हैं, तो हम जिंदा नहीं रह सकते।
- एक शरणार्थी के रूप में हम तिब्बती लोग भारत के लोगों के प्रति हमेशा कृतज्ञता महसूस करते हैं, न केवल इसलिए कि भारत ने तिब्बतियों की इस पीढ़ी को सहायता और शरण दिया है, बल्कि इसलिए भी कई पीढ़ियों से तिब्बती लोगों ने इस देश से पथप्रकाश और बुधमित्ता प्राप्त की है। इसलिए हम हमेशा भारत के प्रति आभारी रहते हैं। यदि सांस्कृतिक नजरिए से देखा जाए तो हम भारतीय संस्कृति के अनुयायी हैं।
दलाई लामा के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर ।
प्रश्न : दलाई लामा कौन है ?
उत्तर : तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष एवं चौदहवें आध्यात्मिक गुरू ।
प्रश्न : दलाई लामा किस देश से हैं ?
उत्तर : तिब्बत
प्रश्न : दलाई लामा की शादी हुई है ?
उत्तर : नहीं। वे अविवाहित हैं।
प्रश्न : दलाई लामा किस धर्म के हैं ?
उत्तर : बौद्ध धर्म के।
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आभार ।
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