Jamshedji Tata Biography in Hindi | जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय

Jamshedji Tata Biography In Hindi | जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय

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जमशेदजी टाटा | Jamshedji Tata

भारतीय उद्योगपति


दोस्तों, जमशेदजी टाटा, भारत के एक बहुत बड़े उद्योगपति थे। वे Tata Group of Companies के संस्थापक भी हैं। जहां, आज टाटा एक भरोसेमंद ब्रांड है और लोग टाटा के सभी प्रोडक्ट पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं, उस भरोसे कि नींव जमशेदजी टाटा ने हीं रखी थी, जिसे आज

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रतन टाटा ने अपनी मेहनत और लगन से बरकरार रखा है। वे भी रतन टाटा कि तरह हीं हमारे प्रेरणा स्रोत रहे हैं।

जमशेदजी टाटा ने ‘टाटा ग्रुप’ के हित के साथ-साथ समाज के हित को भी ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं। जिसके द्वारा आज टाटा एक भरोसेमंद ब्रांड के रुप में जानी जाती है। भारत को औद्योगिक क्षेत्र में आगे बढ़ाने में जमशेदजी टाटा का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जमशेदजी टाटा के नाम पर ही, झारखंड का एक शहर जमशेदपुर का नाम रखा गया है। तो जमशेदजी टाटा के जीवन के बारे में जाने के लिए बने रहें हमारे साथ आज के, जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय | Jamshedji Tata Biography in HIndi के इस अंक में ।

 

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जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय : एक नजर में ।

नाम  :  जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata)

उपनाम : कियारा आडवाणी (Kiara Advani)

जन्म  :   3 मार्च 1839 (1839-1904)

जन्म स्थान  :  नवसारी, गुजरात (भारत)

पिता :  नौशेरवांजी

माता :  जीवनबाई

गृहनगर :  मुंबई, महाराष्ट्र (भारत)

आवास :  मुंबई, महाराष्ट्र (भारत)

विश्वविद्यालय :  एलफिनस्टोन कॉलेज, मुंबई (भारत)

शैक्षणिक योग्यता :  स्नातक

राशि :  सिंह राशि

राष्ट्रीयता  :  भारतीय

धर्म :  पारसी

पेशा (Profession) : भारतीय उद्योगपति

संस्थापक : Tata group, Tata sons, Jamshedpur, Taj hotel, Indian hotels company limited

Website : tata.com

जीवनसाथी :  हीराबाई दबू

मृत्यु :  19 मई 1904, बेड नौहियम, (जर्मनी)

 

जमशेदजी टाटा का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा  | Jamshedji Tata Early Life & Education

Jamshedji Tata Biography In Hindi | जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय

Jamshedji Tata Biography In Hindi | जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय

जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को गुजरात के एक छोटे से गांव नवसारी में हुआ था। उनके पिता का नाम नौशेरवांजी था और उनकी माता का नाम जीवनबाई था। उनका परिवार एक पारसी परिवार था, जो ईरान से भारत आए थे। जमशेदजी टाटा का परिवार एक मध्यमवर्गीय परिवार था और परिवार के लोग अपने जीवन यापन के लिए पुजारी का कार्य किया करते थे। उस समय समाज में, पारसी लोगों के प्रति इज्जत तो थी परंतु उनके पास पैसा नहीं था। कुल मिलाकर उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में ज्यादा ठीक नहीं थी। अपने पारिवारिक हालातों को देखते हुए जमशेदजी के पिता नौशेरवांजी ने परंपरागत पुजारी का काम छोड़ कर अपना खुद का एक व्यवसाय शुरू किया।

महज 14 वर्ष की उम्र में ही जमशेदजी टाटा, अपने पिता के व्यवसाय में उनकी सहायता करने में करने के लिए मुंबई आ गए। इस दौरान उनके पिता को जमशेद जी की अंकगणित की बौद्धिक क्षमता का पता चला तो वे उनसे काफी प्रभावित हुए और उन्हें सबसे अच्छी व आधुनिक शिक्षा दिलाने के लिए 17 वर्ष कि उम्र में मुंबई ‘एलफिनस्टोन कॉलेज’ भेजा। यहां से उन्होंने वर्ष 1858 में ‘एलफिनस्टोन कॉलेज’ से अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। 

 

निजी जीवन (Personal Life)

जमशेदजी टाटा, जब मुंबई के एलफिनस्टोन कॉलेज में अपनी पढ़ाई कर रहे थे, उसी समय उनकी शादी हीराबाई दबू से कर दी गई थी। जमशेदजी टाटा और उनकी पत्नी हीराबाई दबू कि कुल चार संतानें थी, जिनमें उन्हें दो पुत्र तथा दो पुत्रियां थी। उनके पुत्रों के नाम दोराबजी टाटा तथा रतन जी टाटा थे।

यहां आपको यह बता दें कि, वर्तमान समय के महान बिजनेसमैन रतन टाटा तथा उस समय के रतन जी टाटा दोनों अलग-अलग व्यक्ति हैं। रतन जी टाटा, जमशेदजी टाटा के पुत्र हैं, जबकि रतन टाटा को रतन जी टाटा के द्वारा गोद लिया गया था।

 

पारिवारिक जानकारियां ।

माता-पिता

(Parents)

पिता – नौशेरवांजी

माँ – जीवनबाई

पत्नी (Wife) हीराबाई दबू
बच्चे (Childrens)  दो पुत्र – दोराबजी टाटा और रतन जी टाटा

एवं दो पुत्री – नाम ज्ञात नहीं

 

जमशेदजी टाटा का करियर | Jamshedji Tata Career

अपने कॉलेज की डिग्री पूरी करने के बाद जमशेदजी टाटा ने कुछ समय के लिए एक वकील के साथ काम  किया। लेकिन उसमे उनका मन नहीं लगा, और उन्होंने वकील का दफ्तर छोड़कर अपने पिता के व्यवसाय में उनका हाथ बंटाना उचित समझा। इसके बाद जमशेदजी टाटा, अपने पिता के एक्सपोर्ट ट्रेडिंग फर्म में शामिल हो गए।

जमशेदजी टाटा को व्यवसाय में बहुत ही रुचि थी। जिसके कारण उन्होंने एक सफल व्यवसायी के बनने के गुण बहुत ही जल्दी सीख लिये। इस दौरान उन्होंने व्यापार की छोटी-छोटी बारीकियों को भी समझा। व्यापार के प्रति जमशेदजी टाटा की मेहनत और लगन को देखकर उनके पिता बहुत खुश थे। अब वे अपना व्यापार भारत के बाहर विदेशों में भी फैलाना चाहते थे।

यह उस समय का दौर था, जब ब्रिटिश सरकार ने 1857 की क्रांति को दबा दिया था। उस समय बिजनेस करना बहुत मुश्किल था। इसके बावजूद जमशेदजी ने एक्सपोर्ट ट्रेडिंग फर्म की अन्य मजबूत ब्रांच जापान, चीन, यूरोप तथा अमेरिका में स्थापित किया। उनके बारे में आगे जाने के लिए बने रहे हमारे साथ- “Jamshedji Tata Biography in Hindi | जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय” के इस पेज पर।

 

खड़ा किया अपना खुद का कारोबार | Jamshedji Tata Built Own Crores Busines

जमशेदजी टाटा के पिता यह चाहते थे कि जमशेदजी भी उनके व्यवसाय का हिस्सा बने। जब जमशेदजी अपने पिता के व्यवसाय से जुड़े तक उनके पिता ने उन्हें बिजनेस की समझ हासिल करने के लिए चीज भेजा। जब जमशेदजी टाटा चीन गए तो उन्होंने वहां पर देखा कि कॉटन उद्योग बहुत ही तेजी से फैल रहा है और इस क्षेत्र में संभावनाओं को पहचानते हुए उनके दिमाग में यह विचार आया कि, वह भी कॉटन उद्योग में काफी मुनाफा कमा सकते हैं।

29 साल की अवस्था तक जमशेद जी ने अपने पिता की कंपनी में काम किया। उसके बाद वर्ष 1868 में उन्होंने 21000 रुपयों के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया और एक ट्रेडिंग कंपनी की स्थापना की। उन्होंने मुंबई के पास चिंचपोकली में एक दिवालिया हो चुकी एक ऑयल मिल को खरीद लिया और इस मिल को कॉटन मिल में बदल दिया और इसका नाम बदलकर ‘एलेग्जेंडर मिल’ (Alexander Mill) रखा।

महज 2 साल बाद हीं उन्होंने इस मिल को बेच दिया और अच्छा मुनाफा कमाया। उस मिल को बेचने के बाद उससे हुए मुनाफे को उन्होंने एक नयी कॉटन मिल खोलने के लिए मुंबई छोड़कर नागपुर जाने कि योजना बनाई और वर्ष 1874 में, उन्होंने नागपुर में एक रुई का कारखाना स्थापित किया। उस जमाने कि महारानी विक्टोरिया ने उन्हीं दिनों भारत की रानी का खिताब जीता था। जमशेदजी टाटा ने भी इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने कारखाने का नाम ‘एंप्रेस मिल’ (Empress Mill) रखा, जिसमें Empress का मतलब ‘महारानी’ था।

जब जमशेदजी ने नागपुर में कॉटन मिल बनाने की घोषणा की, तब उस दौर में मुंबई को टेक्सटाइल नगरी कहा जाता था और अधिकांश कॉटन मिल्स मुंबई में ही थी। इसीलिए जब जमशेदजी ने अपने ‘कॉटन मिल’ के लिए नागपुर को चुना तो उनकी बड़ी आलोचना हुई। एक मारवाड़ी फैन फाइनेंसर ने ‘एंप्रेस मिल’ में निवेश के बारे में कहा कि – ” यह तो जमीन खोदकर उसमें सोना दबाने जैसा है।”

दरअसल, जमशेदजी टाटा ने नागपुर को तीन कारणों से अपने व्यवसाय के लिए चुना था। जिसमें पहला कारण था कि, कपास का उत्पादन आसपास के इलाकों में होता था। और दुसरा – रेलवे जंक्शन वहां से काफी नजदीक था। जबकि तीसरा कारण – पानी तथा ईंधन की प्रचुर अपूर्ति थी। उस दौरान देश में चल रहे स्वदेशी आंदोलन को जमशेदजी टाटा ने भी सपोर्ट किया और इस आंदोलन से प्रभावित होकर उन्होंने अपनी मुंबई की कॉटन मिल को ‘स्वदेशी मिल’ नाम दिया।

अपने कारोबार के शुरुआती दिनों में जमशेदजी को एक गंभीर आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा जिसके कारण, कारोबारी साझेदारी प्रेम चंद्र राय चंद्र का कर्ज उतारने के लिए जमशेदजी टाटा को अपना मकान और जमीन जायदाद बेचनी पड़ी। इसके अलावा उनका सारा पैसा खरीदी ‘स्वदेशी मिल्स’ में लग गया और वे आर्थिक संकटों से घिर गए। इसके बावजूद जमशेदजी टाटा ने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार सभी संकटों से बाहर निकलते हुए अपने व्यवसाय का विस्तार किया।

 

जमशेदजी टाटा के सपने | Dreams of Jamshedji Tata

हर इंसान का कोई ना कोई सपना जरूर होता है। उसी प्रकार, जमशेदजी टाटा के भी कुछ सपने थे और उनका यह सपना कोई छोटा मोटा नहीं बल्कि उद्योग के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी सपने थे, जिसने भारत को दुनिया के औद्योगिक क्षेत्र में एक नई पहचान दी थी।

जमशेदजी टाटा के मुख्य चार सपने थे – 

  1. लोहे तथा स्टील की कंपनी बनाना।
  2. सबसे बेहतरीन शिक्षण संस्थान बनाना।
  3. एक अद्वितीय होटल बनाना।
  4. एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट बनाना।

हालांकि, जमशेदजी टाटा के पूरे जीवन काल में उनका केवल एक ही सपना पूरा हो पाया, जो उनका भारत में एक अद्वितीय होटल बनाने का सपना था। आज उनके द्वारा बनवाया गया होटल ‘ताजमहल होटल’ के नाम से जाना जाता है, जो भारत के मुंबई शहर में स्थित है। सूत्रों के अनुसार ताज होटल का निर्माण 3 दिसंबर 1930 को हुआ था और उस समय यह भारत का पहला विद्युत होटल था।

वर्तमान में झारखंड के जमशेदपुर शहर में स्थित ‘टाटा स्टील प्लांट’ भी जमशेदजी टाटा की ही उपज है, जिसके बाद झारखंड के किस शहर का नाम जमशेदजी टाटा के नाम पर जमशेदपुर रखा गया। बने रहे हमारे साथ- “Jamshedji Tata Biography in Hindi | जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय” के इस पेज पर।

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क्या है होटल ताज के बनने की कहानी | The Story of Hotel Taj

एक बार की बात है, सिनेमा के जनक माने जाने वाले Lumiere Brothers कि पहली फिल्म का शो मुंबई में स्थित ‘वाटसन होटल’ (Watson Hotel) में प्रदर्शित किया था। वाटसन होटल में फिल्म के प्रदर्शित किए जाने के समय, होटल के बाहर एक तख्ती लगी थी जिसपर लिखा हुआ था – ‘ भारतीय कुत्ते अंदर नहीं आ सकते। ‘

जमशेदजी टाटा थी यह शो देखना चाहते थे मगर लेकिन रंगभेद की वजह से उन्हें उस होटल में प्रवेश नहीं मिला और वह यह शो नहीं देख पाए।

लेकिन तभी उन्होंने यह निश्चय किया की वे, सभी सुख-सुविधाओं से लैस एक विश्वप्रसिद्ध होटल का निर्माण करेंगे। फिर क्या था, कुछ सालों में ही Jamshedji Tata ने उस Watson Hotel की सारी चमक को बदरंग कर दिया, जब जमशेदजी टाटा द्वारा ‘होटल ताज’ का निर्माण करवाया गया।

वर्ष 1903 में, जमशेदजी टाटा द्वारा बनवाया गया ‘होटल ताज’ (Hotel Taj) पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया। इस होटल के बाहर भी एक तख्ती लगी हुई होती थी, जिस पर लिखा था – “ब्रिटिश बिल्लियां अंदर नहीं आ सकती।”

इस प्रकार, उन्होंने सभी भारतीयों के अपमान का बदला ले लिया, और सभी जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata) के इस साहस को देखते रह गए। उस समय ‘होटल ताज’ (Hotel Taj) बिजली से चमकने वाला उस समय का पहला होटल था। 

 

जमशेदजी टाटा का भारत के औद्योगिक विकास में योगदान | Jamshedji Tata in Indian Businesses

भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में, जमशेदजी का असाधारण योगदान बहुत महत्त्व रखता है। इस वजह से, जमशेदजी टाटा को भारतीय व्यवसाय का जनक कहा जाता है। उन्होंने ऐसे समय में, भारतीय औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया, जब उस दिशा में केवल यूरोपीन देश खासकर अंग्रेज ही कुशल माने जाते थे। जमशेदजी टाटा ने अपने औद्योगिक क्षेत्र की शुरुआत कॉटन मिल की स्थापना से किया था।

औद्योगिक विकास कार्यों में जमशेदजी टाटा यहीं नहीं रूके। इसके बाद उन्होंने,  देश के सफल औद्योगीकरण के लिए उन्होंने इस्पात कारखानों की स्थापना की एक महत्त्वपूर्ण योजना बनायी। इस दौरान उन्होंने ऐसे स्थानों की खोज की जहाँ लोहे की खदानों के साथ कोयला और पानी सुविधा प्राप्त हो सके। आखिरकार उन्होंने उस समय के बिहार के जंगलों में सिंहभूमि जिले में वह स्थान (इस्पात की दृष्टि से बहुत ही उपयुक्त) खोज निकाला।

इतना ही नहीं, इसके बाद जमशेदजी टाटा ने अन्य बड़ी उल्लेखनीय योजनाओं में पश्चिमी घाटों के तीव्र जलप्रपातों से बिजली उत्पन्न करनेवाला विशाल उद्योग का निर्माण किया। जिसकी नींव 8 फ़रवरी 1911 को लानौली में गवर्नर द्वारा रखी गयी थी। उनके द्वारा शुरू की गई इस परियोजना से बम्बई की पुरी विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति होने लगी।

इन विशाल योजनाओं को कार्यान्वित करने के साथ ही टाटा ने पर्यटकों की सुविधा के लिए बम्बई में ताजमहल होटल खड़ा किया जो पूरे एशिया में अपने ढंग का अकेला शानदार होटल है।

इसके अलावा, जमशेदजी टाटा एक सफल औद्योगिक और व्यापारी होने के साथ-साथ बहुत ही उदारवादी विचारधारा के थे। वे औद्योगिक क्रान्ति के अभिशाप से परिचित थे और उसके दुष्प्रभावों से अपने देशवासियों, विशेषतः मिल मजदूरों को बचाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने, मिलों की चारदीवारी के बाहर उनके लिए पुस्तकालयों, उद्यानों (पार्कों), आदि की व्यवस्था के साथ-साथ दवा आदि की सुविधा भी प्रदान की थी।

एक बार जमशेदजी टाटा ने कहा था कि,- “अगर किसी देश को आगे बढ़ाना है तो, उसके असहाय और कमज़ोर लोगों को सहारा देना ही सब कुछ नहीं है। समाज के सर्वोत्तम और प्रतिभाशाली लोगों को ऊँचा उठाना और उन्हें ऐसी स्थिति में पहुँचाना भी जरूरी है, जिससे कि वे देश की महान सेवा करने लायक़ बन सकें।”

 

जमशेदजी टाटा की मृत्यु | Jamshedji Tata Death Reason 

वर्ष 1900 में जर्मनी की व्यापारिक यात्रा के दौरान, जमशेदजी टाटा गंभीर रूप से बीमार हो गए। 19 मई 1904 को जर्मनी के बैड नौहेम में 65 वर्ष कि उनकी मृत्यु हो गई। जमशेदजी टाटा की मृत्यु के बाद उन्हें इंग्लैंड में स्थित वोकिंग के ब्रुकवुड कब्रिस्तान में एक पारसी कब्रिस्तान में दफनाया गया।

 

जमशेदजी टाटा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य | Some Interesting Facts About Jamshedji Tata

  • जमशेदजी टाटा का जन्म गुजरात के नौशेरा गांव में, एक मध्यम वर्गीय पारसी परिवार में हुआ था।
  • उन्होंने अपने पिता के व्यवसाय से जुड़कर अपने व्यवसायिक करियर की शुरुआत की थी।
  • वर्ष 1868 में उन्होने एक दिवालिया तेल मिल ख़रीदकर उसे एक कॉटन मिल में तब्दील कर दिया था। और लगभग दो साल बाद जमशेदजी टाटा ने इस मिल को मुनाफे में बेच दिया।
  • इन्ही रुपयों से उन्होंने सन् 1874 में नागपुर में एक Cotton मिल कि स्थापना की।
  • जमशेदजी टाटा एक महान बिजनेसमैन होने के साथ-साथ एक उदारवादी विचारधारा के व्यक्ति थे।
  • मुंबई स्थित होटल ताज का निर्माण उनके द्वारा ही करवाया गया था।
  • जमशेदपुर के ‘टाटा स्टील प्लांट’ जमशेदजी टाटा के सोच की ही उपज है।
  • जमशेदजी टाटा की मृत्यु वर्ष 1904 में एक गंभीर बीमारी के कारण हो गई थी।
  • जमशेदजी टाटा के निधन के बाद उनके शव को इंग्लैंड के ब्रुकवुड कब्रिस्तान में एक पारसी कब्रिस्तान में दफनाया गया था।
  • झारखंड के एक शहर जमशेदपुर का नाम जमशेदजी टाटा के नाम पर ही रखा गया है।

 

जमशेदजी टाटा के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर (FAQ)।

प्रश्न : जमशेदजी टाटा कौन है ?

उत्तर : जमशेदजी टाटा एक भारतीय उद्योगपति थे जिन्होंने ‘टाटा ग्रुप’ की स्थापना की थी। जमशेदजी टाटा के नाम पर ही, झारखंड का एक शहर जमशेदपुर का नाम रखा गया है। भारत को औद्योगिक क्षेत्र में आगे बढ़ाने में जमशेदजी टाटा का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

 

प्रश्न : जमशेदजी टाटा का जन्म कब हुआ ?

उत्तर : जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को नवसारी, गुजरात में हुआ था।

 

प्रश्न : जमशेदजी टाटा की मृत्यु कब हुई थी ?

उत्तर : जमशेदजी टाटा की मृत्यु 19 मई 1904, बेड नौहियम, जर्मनी में हुई थी।

 

प्रश्न : जमशेदजी टाटा किस राज्य से हैं ?

उत्तर : जमशेदजी टाटा, भारत के गुजरात से हैं। उनका जन्म, गुजरात के नवसारी में हुआ था।

 

प्रश्न : जमशेदजी टाटा कि पत्नी कौन थीं ?

उत्तर : जमशेदजी टाटा की पत्नी का नाम हीराबाई दबू था।

 

प्रश्न : जमशेदजी टाटा के कितने बच्चे है?

उत्तर : जमशेदजी टाटा की कुल 4 संतानें हैं, जिनमें दो बेटे और दो बेटियां हैं।

 

प्रश्न : भारतीय व्यवसाय का जनक किसे कहा जाता है ?

उत्तर : जमशेदजी टाटा को भारतीय व्यवसाय का जनक कहा जाता है।

 

प्रश्न : टाटा समूह की स्थापना कब हुई थी ?

उत्तर : टाटा समूह की स्थापना सन् 1868 में मुंबई शहर में हुई थी। इसके संस्थापक जमशेदजी टाटा हैं।

 

प्रश्न : टाटा समूह के संस्थापक कौन हैं ?

उत्तर : टाटा समूह (Tata Group) के संस्थापक जमशेदजी टाटा हैं।

 

प्रश्न : जमशेद जी टाटा के सपने क्या थे?

उत्तर : जमशेदजी टाटा के मुख्य चार सपने थे – 

  1. लोहे तथा स्टील की कंपनी बनाना।
  2. सबसे बेहतरीन शिक्षण संस्थान बनाना।
  3. एक अद्वितीय होटल बनाना।
  4. एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट बनाना।

 

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आभार ।

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