किरण मजूमदार-शॉ की जीवनी | Kiran Mazumdar-Shaw Biography in hindi

किरण मजूमदार-शॉ की जीवनी | Kiran Mazumdar-Shaw Biography in hindi

 

किरण मजूमदार-शॉ (Kiran Mazumdar-Shaw)

भारतीय व्यवसायी

Chairperson of Biocon

 

किरण मजूमदार-शॉ (Kiran Mazumdar-Shaw) एक भारतीय महिला व्यवसायी हैं। वे टेक्नोक्रेट, अन्वेषक और बायोकॉन की संस्थापक है। किरण, बायोकॉन लिमिटेड की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक तथा सिनजीन इंटरनेशनल लिमिटेड और क्लिनिजीन इंटरनेशनल लिमिटेड की अध्यक्ष हैं। 

 

किरण ने इस कंपनी को विकासित कर पूरी तरह से एकीकृत जैविक दवा कंपनी बनाया। यह कंपनी, उत्पादों के अच्छी तरह से संतुलित व्यापार पोर्टफोलियो तथा मधुमेह, कैंसर-विज्ञान और आत्म-प्रतिरोध बीमारियों पर केंद्रित शोध के साथ एक औद्योगिक एंजाइमों को विकसित कर उसका निर्माण करती है।

 

वर्ष 1978 में किरण ने बायोकॉन कि स्थापना 10 हजार रुपये से की थी। लेकिन आज ‘बायोकॉन’ भारत कि एक अग्रणी जैव प्रौद्योगिकी संस्थान है, और ‘बायोकॉन लिमिटेड’ का कारोबार आज लगभग 25 अरब रुपए का हो गया है। किरण मजूमदार शॉ ने ‘द स्टोरी ऑफ बीयर’ नाम की एक पुस्तक भी लिखी है।

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इस क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें, वर्ष 1989 मे पद्मश्री और वर्ष 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। 

 

टाइम पत्रिका द्वारा किरण का नाम दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में भी शामिल किया गया था। 

 

वे दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की फोर्ब्स की सूची 72वें स्थान पर और फाइनेंशियल टाइम्स के कारोबार में शीर्ष 50 महिलाओं की सूची में भी शामिल हैं।

 

जबकी Hurun Global Rich List 2021 के मुताबिक, किरण मजूमदार शॉ 4.8 बिलियन डॉलर के साथ इस लिस्ट में भारत की सबसे अमीर महिला उद्दमी हैं।

 

किरण मजूमदार-शॉ की जीवनी | Kiran Mazumdar-Shaw Biography in hindi

किरण मजूमदार-शॉ की जीवनी | Kiran Mazumdar-Shaw Biography in hindi

 

किरण मजूमदार-शॉ जीवन परिचय : एक नजर में ।

 

नाम  :   किरण मजूमदार शॉ (Kiran Mazumdar Shaw)

उपनाम क्वीन ऑफ़ बायोटेक (Queen of Biotech)

जन्म  :   23 मार्च 1953 (आयु 68)

जन्म स्थान  :   बेंगलुरु, भारत

पिता  :   रसेन्द्र मजूमदार

माता  :   यामिनी मजूमदार

आवास  :   बेंगलुरु, भारत

शिक्षा :   मेलबॉर्न यूनिवर्सिटी (ऑस्ट्रेलिया)

शैक्षणिक योग्यता  :   मास्टर ऑफ साइंस 

पेशा  :  आंत्रप्रेन्योर, व्यवसायी, बायोलॉजी एंड साइंटिस्ट, लेखक

व्यवसाय  :    बायोकॉन कि चेयरपर्सन। 

धर्म  :   हिन्दू

पति  :  जॉन शॉ (John Shaw)

राष्ट्रीयता  :   भारतीय  

 

 किरण मजूमदार-शॉ का प्रारंभिक जीवन ।

 

किरण मजूमदार शॉ का जन्म 23 मार्च 1953 को कर्नाटक के बेंगलुरु में एक गुजराती परिवार में हुआ।

उनके पिता का नाम राजेंद्र मजूमदार है जो यूनाइटेड ब्रेवरीज में एक ब्रेवमास्टर थे। जबकि उनकी माता यामिनी मजूमदार पेशे से एक आंत्रप्रेन्योर थी।

 

किरण मजूमदार के दो छोटे भाई भी हैं, जिनका नाम रवि मजूमदार और देव मजूमदार है। वर्तमान मे रवि मजूमदार, कनाडा में मैथमेटिक्स के प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं, जबकि देव मजूमदार एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।

 

किरण ने अपनी स्नातक तक की पढ़ाई बेंगलुरु से ही पूरी। वह मेडिकल स्कूल में भरती होना चाहती थीं, लेकिन उन्हें स्कॉलरशिप नहीं मिलने के कारण उन्होंने विज्ञान मे बीएससी जूलॉजी ऑनर्स लेकर बंगलौर विश्वविद्यालय से बीएससी का पाठ्यक्रम पूरा किया। उसके बाद मेलबोर्न यूनिवर्सिटी से स्नातक स्तर की पढ़ाई की।

 

 शिक्षा ।

 

किरण ने अपनी स्कूली शिक्षा ‘बिशप कॉटन गर्ल्स हाई स्कूल, बैंगलोर’ से वर्ष 1968 मे पूरी करने के बाद वर्ष 1973 में बैंगलोर विश्वविद्यालय से बीएससी (जूलॉजी ऑनर्स) की डिग्री पूरी की।

 

इसके बाद उन्होंने अपनी आगे कि पढ़ाई के लिए विदेश का रुख किया और वर्ष 1975 में आस्ट्रेलिया के ‘मेलबर्न यूनिवर्सिटी’ के ‘बैलरेट कॉलेज’ से ‘माल्टिंग एंड ब्रूइंग’ विषय मे डिग्री प्राप्त की। इस समय के दौरान उन्होंने मेलबर्न के कार्लटन और यूनाइटेड ब्रुअरीज, ब्रेवर, बैरेट ब्रदर्स और बर्स्टन में प्रशिक्षु माल्स्टर के रूप में काम भी किया था।

 

 शारीरिक संरचना

 

लंबाई सेमी मे- 161 Cm

मीटर मे- 1.61 M

फीट में-  5 फीट 3 इंच (5’3″)

वजन 70 किलोग्राम
आंखों का रंग काला
बालों का रंग काला
राशि मेष राशि

 

 निजी जीवन ।

 

किरण मजूमदार शॉ ने 45 वर्ष की उम्र में स्कॉटलैंड के मूल निवासी और भारत के एक बड़े प्रशंसक रहे, जॉन शॉ से वर्ष 1998 में शादी कर ली। उस समय जॉन शॉ ‘मदुरा कोट्स’ के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे। ‘मदुरा कोट्स’ के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में उनका कार्यकाल 1991 से 1998 तक का था। लेकिन वर्तमान में जॉन शॉ ‘बायोकॉन लिमिटेड’ के उपाध्यक्ष हैं।

 

किरण मजूमदार-शॉ एक कॉफी टेबल पुस्तक, एले एंड आर्टि, द स्टोरी ऑफ बीयर की लेखिका हैं। इसके अलावा वे एक ‘कला पारखी’ भी हैं, और उनके पास चित्रों और कलाओं से संबंधित चीजों का एक बहुत विशाल संग्रह है। 

 

किरण एक नागरिक कार्यकर्ता के तौर पर, बंगलौर शहर के विकास के लिए बंगलौर एजेंडा टास्क फोर्स (BATF) जैसे विभिन्न कार्यक्रमों से भी जुड़ी हुई हैं।

 

 पारिवारिक जानकारियां ।

 

माता/ पिता रसेंद्र मजूमदार (पिता)

 यामिनी मजूमदार (माता)

पति जॉन शॉ (John Shaw)
भाई  रवि मजूमदार और देव मजूमदार (छोटे भाई)

 

 किरण मजूमदार-शॉ के करियर की शुरुआत ।

 

मेलबर्न में अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने मेलबोर्न के कार्लटोन और यूनाइटेड ब्रुअरीज में बतौर प्रशिक्षु ब्रुअर के रूप में और ऑस्ट्रेलिया के बैरेट ब्रदर्स तथा बर्स्टोन में बतौर प्रशिक्षु माल्स्टर के रूप में काम किया। 

 

इसके बाद उन्होंने कुछ समय के लिए कलकत्ता की जूपिटर ब्रुअरीज लिमिटेड में तकनीकी सलाहकार के रूप में और फिर वर्ष 1975 से 1977 तक बड़ौदा के स्टैंडर्ड मॉल्टिंग कॉरपोरेशन में तकनीकी प्रबंधक के रूप में भी काम किया।

 

बायोकॉन की स्थापना

 

वर्ष 1978 में, किरण मजूमदार ने 10 हजार रुपये कि पूंजी के साथ बंगलौर के किराये के मकान के गैरेज में ‘बायोकॉन’ कि शुरुआत की। इसके पहले वे आयरलैंड के कॉर्क के बायकॉनकैमिकल्स लिमिटेड से एक प्रशिक्षु प्रबंधक के रूप में काम करती थी। शुरुआत में अपने कम उम्र, कम अनुभव, लिंग और बगैर परखे गए व्यापार मॉडल के कारण विश्वसनीयता संबंधी चुनौतियों का कई बार सामना करना पड़ा। 

 

किरण को अपने नए काम पर लोगों को नियुक्त करना भी मुश्किल हो रहा था, और तो और कोई भी बैंक उन्हें ऋण नहीं देने को तैयार नहीं था, इसलिए धन की समस्या के साथ-साथ कई तरह कि मुश्किलें भी थीं। 

 

उस समय किरण ने देखा कि, भारत में निर्बाध विद्युत, आयातित अनुसंधान, बेहतर गुणवत्तावाले पानी, रोगाणुरहित प्रयोगशालाओं, उपकरण और उन्नत वैज्ञानिक कौशल आसानी से उपलब्ध नहीं था। इसे ध्यान मे रखते हुए किरण किसी भी चीज़ को आसानी से जाने देनेवाली नहीं थी, इसीलिए उन्होंने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए सीमित परिस्थितियों में ‘बायोकॉन’ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। 

 

किरण ऐसा कहते हुए बताती हैं कि,-  “उद्देश्यपरक और चुनौती झेलने की भावना के साथ सपने का पीछा करना ही सफलता है। सफलता को प्राप्त करने का कोई आसान रास्ता नहीं है, और न ही मेहनत का कोई विकल्प है। मेरा यह भी मानना है कि अलग तरीके से काम करना भी सफलता का मंत्र है – मजबूती से खड़े होने के लिए कुछ अलग करने की हिम्मत होनी चाहिए। बायोकॉन के नाम के साथ लिखा होता है ‘अंतर हमारे डीएनए (DNA) में रहता है’ और हम सब इसमें विश्वास रखते हैं। हम अन्य कंपनियों की नकल नहीं करते, बल्कि हमने अपने व्यापार के भाग्य की रूपरेखा स्वयं तैयार की है।”

 

बायोकॉन को इस ऊंचाई तक पहुंचाने का श्रेय किरण मजूमदार को ही जाता है। बायोकॉन की स्थापना के एक वर्ष के भीतर ही, यह एंजाइमों का विनिर्माण करने वाली और संयुक्त राज्य अमेरिका तथा यूरोप को उनका निर्यात करने वाली भारत की पहली कंपनी बन गई।

 

वर्ष 1989 में, बायोकॉन भारत की पहली जैव प्रौद्योगिकी कंपनी बनी, जिसे ट्रेडमार्क युक्त प्रौद्योगिकियों के लिए अमेरिका से फंडिंग मिली। वर्ष 1996 तक इसका विस्तार तीन गुना बढ़ गया और बायोकॉन ने जैवफार्मास्युटिकल्स और स्टैटिन के क्षेत्र में कदम रखा। 1997 में, समर्पित निर्माण की सुविधा के जरिए उन्होंने मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहल की।

 

इसके बाद वर्ष 1998 में, जब यूनीलीवर अपनी हिस्सेदारी बायोकॉन में भारतीय प्रमोटरों को बेचने पर सहमत हुई, तब बायोकॉन एक स्वतंत्र संस्था बन गई। इसके दो सालों बाद, बायोकॉन का ट्रेडमार्क युक्त सान्द्र मैट्रिक्स खमीरण पर आधारित बायोरिएक्टर, जिसका नामकरण प्लैफरेक्टरटीएम (Plafractor TM) किया गया था, ने यू.एस पेटेंट प्राप्त किया। जिसके बाद किरण मजूमदार-शॉ ने बायोकॉन को विशेष दवाइयों के उत्पादन के लिए पहला पूरी तरह से स्वचालित जलमग्न खमीरण संयंत्र बनाया। 

 

किरण ने दो सहायक कंपनियों की भी स्थापना की, जो खोज अनुसंधान हेतु विकास सहायक सेवाएं प्रदान करती है। इनमें से एक है- सिनजीन (1994), और दुसरी है-  क्लिनिजीन (2000), जो नैदानिक विकास सेवाओं को पूरा करने के लिए काम करती है। 

 

वर्ष 2003 तक बायोकॉन पिचिया प्रकटन प्रणाली पर मानव इंसुनिल विकसित करनेवाली दुनिया की पहली कंपनी बन गई। इसी साल, उन्होंने बायोकॉन बायोफ़ार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को क्यूबन सेंटर ऑफ मॉलीक्युलर इम्यूनोलॉजी के साथ संयुक्त उद्यम में बायोथेप्युटिक के चुनिंदा रेंज के विनिर्माण और विपणन में शामिल किया।

 

इसके बाद वर्ष 2004 में, उन्होंने पूंजी बाजार तक पहुंचने के लिए बायोकॉन के शोध कार्यक्रमों की पाइप लाइन को विकसित करने का फैसला किया। इस तरह  से बायोकॉन ने शेयर मार्केट कि दुनिया में कदम रखा। बायोकॉन का आईपीओ 32 बार अत्यधिदत्त (ओवरसब्सक्राइब) हुआ, और पहले हि दिन $1.11 बिलियन के बाजार मूल्य के साथ बंद हुआ। शेयर मार्केट में सूचीबद्ध होने के पहले ही दिन बायोकॉन $1 बिलियन के निशान को पार करनेवाली भारत की दूसरी कंपनी बन गयी।

 

किरण का ऐसा विश्वास है कि, स्वास्थ्य के देखभाल की जरूरत केवल सस्ते आविष्कार के साथ पूरी हो सकती है। यही वह दर्शन है जिसने बायोकॉन को प्रभावी ढंग से विनिर्माण करने और बाजार में अनुकूल लागत के साथ दवाओं के विपणन में मदद की।

 

वर्ष 2007-08 में अमेरिका के एक प्रमुख व्यापार प्रकाशन, मेड एंड न्यूज ने बायोकॉन को दुनिया भर की जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों में 20वां और दुनिया के सबसे बड़े नियोक्ताओं में 7वां स्थान दिया। बायोकॉन को सर्वश्रेष्ठ सूचीबद्ध कंपनी का 2009 का बायोसिंगापुर एशिया पेसिफिक बायोटेक्नोलॉजी पुरस्कार भी दिया गया।

 

उनके अथक प्रयासों के की वजह से ही उनकी यह कंपनी एशिया की सबसे बड़ी इंसुलिन और स्टैटिन सुविधाएं हैं, तथा इसके पास शरीर के अंगों और उत्तकों में एंटीबॉडी का छिड़काव-आधारित उत्पादन की सुविधाएं भी है।

 

किरण मजूमदार-शॉ द्वारा सामाजिक क्षेत्र में किए गए  कार्य ।

 

वर्ष 2004 में, किरण मजूमदार ने समाज के कमजोर वर्ग की मदद करने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता और पर्यावरण कार्यक्रम संचालित करने के लिए बायोकॉन फाउंडेशन कि स्थापना की। इस फाउंडेशन के सूक्ष्म-स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम द्वारा 70,000 ग्रामीण सदस्यों का नामांकन किया गया है।

 

प्रत्येक क्लीनिक 10 किलोमीटर के भीतर रहनेवाली 50,000 आबादी के लिए कार्य करता हैं। सभी क्लीनिक नियमित रूप से नेटवर्क अस्पतालों से चिकित्सकों और डॉक्टरों को दूरदराज के गांवों में ले जाकर सामान्य स्वास्थ्य की जांच कराते हैं। प्रत्येक वर्ष, स्वास्थ्य के देखभाल के लिए फाउंडेशन अपने समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से 300,000 लोगों को सेवा प्रदान करता है।

 

इसके सात एआरवाई (ARY) क्लीनिक ऐसी जगहों पर स्थित हैं जहां स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत खराब हैं, तथा जो लोग इन्हें खरीदने में समर्थ नहीं हैं उन्हें चिकित्सीय देखभाल, जेनेरिक दवाएं और बुनियादी परीक्षण प्रदान किया जाता है। 

 

उनकी ‘बायोकॉन फाउंडेशन’ नामक संस्था, चलती-फिरती चिकित्सा सेवाएं भी प्रदान करता है इसके साथ ही यह रोगनिरोधक स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम तथा मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल शिविर का भी आयोजन करता है।‍

 

किरण ने 2007 में डॉ॰ देवी शेट्टी और के. नारायण दयाल के साथ मिलकर बेंगलौर के बूम्मसंद्रा के नारायण हेल्थ सिटी परिसर में 1,400 बेड वाले कैंसर देखभाल केंद्र की स्थापना की है, जो मजूमदार-शॉ कैंसर सेंटर (MSCC) कहलाता है। यह सेंटर अपनी तरह के सबसे बड़े कैंसर अस्पतालों में से एक है, जो पांच लाख वर्गफीट से भी अधिक के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह विशेष रूप से सिर और गर्दन के कैंसर, स्तन कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लिए है।

 

किरण मजूमदार शॉ को वर्ष 2019 मे ₹72 करोड़ (US$10 मिलियन) के दान के लिए हुरुन इंडिया परोपकार सूची में #14वां स्थान दिया गया था, और हुरुन रिपोर्ट इंडिया परोपकार सूची 2019 द्वारा वर्ष की महिला परोपकारी की सूची में #2 स्थान दिया गया था।

 

किरण मजूमदार-शॉ का घर, संपत्ति, वेतन, प्राईवेट जेट और यॉर्ट (वर्ष 2021मे)

यह जानकारी सितंबर 2021 में आई एक रिपोर्ट के द्वारा दी गई है।

 

आवास बेंगलुरु, कर्नाटक (भारत)
संपत्ति

(2021में)

$4.8 Billion

₹ 35.66 Thousand Crore INR

 

किरण मजूमदार-शॉ को मिले पुरस्कार और सम्मान ।

 

1989 :  भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित।

 

2002 :  एशिया के आर्थिक विकास के लिए ‘क्लिक्क्वाट वयूवे इनिसिएटिव’ पुरस्कार।

 

2002 :  जीव विज्ञान और स्वास्थ्य देखभाल के लिए अर्न्स्ट एंड यंग का साल का उद्यमी पुरस्कार।

 

2002 :  लाइफ साइंसेज एंड हेल्थकेयर के लिए अर्न्स्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड।

 

2002 : वर्ल्ड इकोनॉमिक द्वारा ‘टेक्नोलॉजी पायनियर’ मान्यता फ़ोरम से सम्मानित।

 

2004 :  बैलेरैट यूनिवर्सिटी द्वारा विज्ञान का मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित।

 

2005 :  भारत सरकार द्वारा पद्म- विभूषण से सम्मानित।

 

2005 :  अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन द्वारा ‘कॉर्पोरेट लीडरशिप अवार्ड’ प्राप्त।

 

2006 :  भारतीय व्यापारी परिसंघ डायमंड जुबली प्रतिभा ट्रस्ट का ‘साल की प्रमुख व्यवसायी’ पुरस्कार। 

 

2007 :  यूके के डंडी यूनिवर्सिटी द्वारा मानद डॉक्टरेट से सम्मानित।

 

2007 :  ‘वीव सिलेकॉट इनिशिएटिव फॉर इकोनॉमिक डेवलपमेंट फॉर एशिया’ अवार्ड।

 

2008 :  यूके की ग्लासगो युनिवर्सिटी द्वारा मानद डॉक्टरेट से सम्मानित।

 

2008 :  यूके के एडिनबर्ग की हेरिएट-वाट यूनिवर्सिटी द्वारा मानद डॉक्टरेट से सम्मानित।

 

2009 :  क्षेत्रीय विकास के लिए ‘निक्की एशिया पुरस्कार’।

 

2009 :  समेत, क्षेत्रीय विकास के लिए एक्सप्रेस फार्मसूटिकल लीडरशिप समिट अवार्ड।

 

2009 :  सक्रिय उद्यमी के लिए, इकोनॉमिक टाइम्स का ‍’साल की महिला व्यवसायी’ पुरस्कार।

 

2014 :  विज्ञान और रसायन विज्ञान की प्रगति में उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘ओथमर गोल्ड मेडल’ सहित कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित।

 

2015 :  फेडरेशन यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया (पूर्व में बल्लारत विश्वविद्यालय) ने अपने माउंट हेलेन परिसर में मजूमदार ड्राइव के रूप में एक सड़क का नाम दिया। इसके उद्घाटन समारोह में किरण और उनके पति शॉ ने भाग लिया।

 

2019 :   भारत में किफायती बायोफर्मासिटिकल और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग के विकास के लिए यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (NAE) के सदस्य के रूप में चुना गया था। वे यह सम्मान पाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। 

 

2019 :  ₹72 करोड़ (US$10 मिलियन) के दान के लिए हुरुन इंडिया परोपकार सूची 2019 में उन्हें #14वां स्थान दिया गया था, जबकि हुरुन रिपोर्ट इंडिया परोपकार सूची 2019 द्वारा वर्ष 2019 की महिला परोपकारी की सूची में #2 स्थान दिया गया था।

 

2020 :  ऑस्ट्रेलिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित होने वाली चौथी भारतीय नागरिक बनीं।

 

किरण मजूमदार-शॉ (Kiran Mazumdar Shaw) के अनमोल विचार ।

“मेरा मानना है कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। मेरा मंत्र है, असफलता अस्थायी है !!”

“जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते जाते हैं अवरोध गायब होते जाते है !!”

“मेरा एक उद्देश्य जब मैंने बायोकॉन शुरू किया, तो यह सुनिश्चित करना था कि मैं महिला वैज्ञानिकों के लिए एक व्यवसाय का निर्माण करू !!”

“यह कैसे शुरू किया जाए, इस पर प्रतिबिंबित करना हमेशा अच्छा होता है !!”

“भारत शायद ही कभी नवीनता के मामले में सबसे आगे रहा है। भारतीय कंपनियों ने ज्यादातर दूसरों की नकल की है !!”

“मेरा परोपकार काफी हद तक स्वास्थ्य सेवा पर केंद्रित है, और मैं वास्तव में लोगों के जीवन में बदलाव लाना चाहती हूँ !!”

“एक बार जब आप सफल होते हैं, तो आप पहले से बड़े सपने देखने लगते है !!”

“अग्रणी कंपनियां हमेशा नई चीजों की कोशिश करती हैं और नई अवधारणाओं और नई चीजों के साथ प्रयोग करती हैं !!”

 

किरण मजूमदार-शॉ (Kiran Mazumdar Shaw) के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर ।

 

प्रश्न : किरण मजूमदार-शॉ कौन है ?

उत्तर : ‘बायोकॉन टेक्नोलॉजी’ की संस्थापक और चेयरपर्सन।

 

प्रश्न : किरण मजूमदार-शॉ वर्तमान में कहां रहती हैं ?

उत्तर : बेंगलुरु, भारत में।

 

प्रश्न : किरण मजूमदार-शॉ की शादी किससे हुई है ?

उत्तर : किरण मजूमदार की शादी स्कॉटलैंड के मूल निवासी जॉन शॉ से हुई है।

 

प्रश्न : किरण मजूमदार-शॉ के कितने बच्चे हैं ?

उत्तर : ज्ञात नहीं।

 

प्रश्न : वर्ष 2021 में किरण मजूमदार-शॉ की नेटवर्थ कितनी है ?

उत्तर : $4.8 Billion (35.66 Thousand Crore +  (INR))

 

प्रश्न : किरण मजूमदार-शॉ की जाति क्या है ?

उत्तर :   गुजराती ब्राह्मण

 

प्रश्न : किरण मजूमदार शॉ की उम्र कितनी है ?

उत्तर : 68 वर्ष

 

 आभार ।

 

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