बंधन बैंक सीईओ चंद्र शेखर घोष जीवनी | Chandra Shekhar Ghosh Bandhan Bank CEO Biography in Hindi

बंधन बैंक सीईओ चंद्र शेखर घोष जीवनी | Chandra Shekhar Ghosh Bandhan Bank CEO Biography in Hindi

चंद्र शेखर घोष का जीवन परिचय (चंद्रशेखर घोष, विकी, जन्म, शिक्षा, परिवार, करियर, संघर्ष, विवाह, पत्नी, बच्चे, बंधन बैंक, नेटवर्थ) | Chandra Shekhar Ghosh Biography in Hindi [Wiki, Birth, Education, Family, Career, Struggle, Wife, Children, Bandhan Bank, Net worth]

 

चंद्रशेखर घोष | Chandra Shekhar Ghosh

बंधन बैंक के संस्थापक एवं सीईओ।


Chandra Shekhar Ghosh Biography in Hindi : चंद्र शेखर घोष, एक फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी ‘बंधन बैंक’ के संस्थापक और सीईओ हैं। उनकी यह फाइनेंसर कंपनी महिलाओं को की सशक्तिकरण और उनकी स्थिति में सुधार के लिए काम करती है। एक साधारण से परिवार में जन्मे चंद्र शेखर घोष के लिए यह सब इतना आसान नहीं था। इसके लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है।

वर्ष 2014 में चंद्र शेखर घोष को ‘इकोनामिक टाइम्स’ (Economic Times)  द्वारा ‘एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर’ के अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इसके साथ वर्ष 2014 में ही, फोर्ब्स द्वारा ‘Forbes Entrepreneur With Social Impact’ की सूची में शामिल किया जा चुका है। इतना ही नहीं, वर्ष 2017 में बैंकिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें ‘सी. रंगराजन पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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बंधन बैंक सीईओ चंद्र शेखर घोष जीवनी | Chandra Shekhar Ghosh Bandhan Bank CEO Biography in Hindi

बंधन बैंक सीईओ चंद्र शेखर घोष जीवनी | Chandra Shekhar Ghosh Bandhan Bank CEO Biography in Hindi

कभी दूध बेचने वाले और एक आश्रम में अपना पेट भरने वाले चंद्रशेखर घोष द्वारा स्थापित उनकी कंपनी ‘बंधन बैंक’ आज लगभग 60 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा के मार्केट कैप के साथ आगे बढ़ रही है। उनकी कंपनी द्वारा आज हजारों महिलाएं सशक्त होकर आत्मनिर्भर हो चुकी हैं। लेकिन यहां तक का उनका यह सफर आसान नहीं था। इसके लिए उन्होंने कई संघर्ष का सामना किया है, और उनके संघर्ष की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।

तो आज के इस अंक में हम जानेंगे, बंधन बैंक के संस्थापक और सीईओ चंद्र शेखर घोष के जीवन परिचय, उनके संघर्ष भरे बचपन और उनके करियर से लेकर बंधन बैंक की सफलता तक की पूरी कहानी के बारे में :

 

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चंद्रशेखर घोष का जीवन परिचय : एक नजर में ।

नाम  :  चंद्रशेखर घोष (Chandra Shekhar Ghosh)

जन्म  :   वर्ष 1960  (आयु 62 वर्ष)

जन्म स्थान  :  बिशालगढ़, अगरतला, त्रिपुरा, (भारत)

गृहनगर :   बिशालगढ़, अगरतला, त्रिपुरा, (भारत)

आवास :  कोलकाता, पश्चिम बंगाल (भारत)

विश्वविद्यालय :  ढाका विश्वविद्यालय, ढाका (बांग्लादेश)

शैक्षणिक योग्यता : बी.कॉम में मास्टर डिग्री।

राष्ट्रीयता  :  भारतीय

धर्म :  हिन्दू

पेशा (Profession) :  बिजनेसमैन

व्यवसाय (Business) : बंधन बैंक के बिज़नेस मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ

हेड क्वार्टर (Headquarter) :  कोलकाता, पश्चिम बंगाल (भारत)

वेबसाइट (Website) : bandhanbank.com

वैवाहिक स्थिति  :   विवाहित

पत्नी :   नीलिमा घोष (विवाह वर्ष- मई 198 में)

प्रसिद्धी :  ‘बंधन बैंक’ के संस्थापक और सीईओ के रूप में।

 

चंद्रशेखर घोष का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा  | Chandra Shekhar Ghosh Early Life & Education

Chandra Shekhar Ghosh Biography in Hindi : चंद्र शेखर घोष का जन्म वर्ष 1960 में त्रिपुरा की राजधानी अगरतल्ला के बिशालगढ़ में एक साधारण से परिवार में हुआ। एक सामान्य से परिवार में जन्मे चंद्र शेखर घोष का बचपन बहुत ही संघर्ष के बीच गुजरा। उनका लालन-पालन भी वहीं हुआ। उनके पिता परिवार की देखभाल के लिए घर के पास ही मिठाई की एक छोटी सी दुकान चलाते थे। आर्थिक तंगी के कारण, चंद्रशेखर भी अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए बचपन से ही तरह-तरह के काम करने लगे थे।

हर मां-बाप की तरह उनके पिता की भी इच्छा थी कि, उनका बेटा खूब पढ़े। लेकिन एक छोटी सी मिठाई की दुकान से इतनी आमदनी नहीं हो पाती थी कि उनके पिता चंद्रशेखर को अच्छी शिक्षा दे पाते। उनके दुकान से हुई आमदनी घर के जरूरी सामान जुटाने में ही खर्च हो जाती थी। घर में आर्थिक तंगी होने के बावजूद चंद्रशेखर ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और अपनी पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए उन्होंने बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया। यहां तक कि उन्होंने दूध बेचने का भी काम किया और घर का खाना बचाने के लिए वे आश्रम में ही खाना खा लिया करते थे।

इतनी कठिनाइयों के बावजूद, चंद्रशेखर ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई ग्रेटर त्रिपुरा के एक सरकारी स्कूल से पूरी की। 12वी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें उच्च शिक्षा के लिए बांग्लादेश जाना पड़ा। लेकिन उनके सामने फिर से एक मुश्किल आ खड़ी हुई और वह थी आर्थिक तंगी। तब उनका सहारा बने, ब्रोजोनंद सरस्वती। क्योंकि उनके पिता ‘ब्रोजोनंद सरस्वती’ के बड़े भक्त थे, और ‘ब्रोजोनंद सरस्वती आश्रम’ उस यूनिवर्सिटी में ही था, इसलिए चंद्रशेखर के वहां रहने और खाने-पीने का प्रबंध आसानी से हो गया। जबकि, अपनी फीस और कॉपी-किताबों का खर्च वे बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर निकाल लिया करते थे।

इस प्रकार, चंद्र शेखर घोष ने वर्ष 1978 में बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय से संख्याकी में मास्टर्स की डिग्री हासिल की।

 

अपने पिता से मिली जीवन की सीख। Learn His Life Lesson by His Father

Chandra Shekhar Ghosh Biography in Hindi : एक बार की बात है, चंद्रशेखर घोष अपने गांव जा रहे थे। तब उन्होंने अपनी ₹50 की पहली कमाई से अपने पिता के लिए एक शर्ट खरीदी थी। लेकिन जब उन्होंने यह शर्ट अपने पिता को दी, तो उनके पिता ने इस शर्ट को यह कहते हुए लेने से मना कर दिया कि, ‘इस शर्ट की जरूरत मुझसे ज्यादा तुन्माहेर चाचा को है। तुम यह शर्ट उन्हें दे दो।’

इस घटना से चंद्रशेखर को एक बात समझ में आ गई थी की, “असली जिंदगी तो दूसरों के लिए ही जीना है।” और यह बात उन्होंने अपने पिता से सीखा था।

 

चंद्रशेखर घोष के करियर की शुरुआत | Chandra Shekhar Ghosh Career

Chandra Shekhar Ghosh Biography in Hindi : अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद, चंद्रशेखर घोष ने अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए 5000 रुपये प्रतिमाह पर काम करने लगे। वर्ष 1985 में उनकी किस्मत तब बदल गई, जब उन्हें ढाका के ही एक अंतरराष्ट्रीय विकास गैर-लाभकारी संस्था (International Development Non Profit organisation- BRAC) में नौकरी मिल गई। यह कंपनी बांग्लादेश के छोटे-छोटे गांव में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने मे मदद करता था।

इस कंपनी में काम करने के दौरान, घोष को गांव की महिलाओं के साथ जुड़ने का मौका मिला। जहां उन्होंने गांव के महिलाओं की हालत को बहुत ही करीब से देखा। जब चंद्र शेखर घोष महिलाओं की हालत को देखते थे की, गांव की महिलाएं चाहे कितनी भी बीमार क्यों ना हो उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए मेहनत मजदूरी करनी ही पड़ती थी, तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते थे और वह भावुक हो जाते थे।

उनसे यह सब देखा ना गया, इसलिए घोष ने BRAC को छोड़ने का फैसला किया और वर्ष 1990 में ‘Village Welfare Society’ में एक प्रोग्राम हेड के रूप में शामिल हो गए। यह एक एनजीओ संस्था थी, जो बांग्लादेश में महिला सशक्तिकरण के लिए काम करती थी। इस ऑर्गेनाइजेशन के साथ काम करते हुए भी घोष को वही सब देखना पड़ा जो उन्होंने BRAC में देखा था।

जब उन्होंने इसके कारण को खोजना शुरू किया तो, उन्हें पता चला कि इन सब की एक ही वजह है, और वह है- अशिक्षा। गांव की महिलाओं को बिजनेस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, जिसके कारण गांव की महिलाओं का भरपूर फायदा उठाया जाता था। लेकिन उन्होंने यह भी देखा कि महिलाएं इस बारे में जागरूक हो रही हैं और धीरे-धीरे अपनी स्थिति में सुधार करने के लिए प्रयास कर रही हैं।

ऐसे आया बंधन बैंक का आईडिया | Idea About Bandhan Bank

Chandra Shekhar Ghosh Biography in Hindi : एक बार कि बात है, चंद्रशेखर घोष ने यह देखा कि, एक सब्जी वाला एक साहूकार से रोज 500 रुपये उधार लेता, और उन पैसों से वह सब्जी लेकर बाजार में बेचने के बाद शाम को वह साहूकार के पास आता और ₹500 उसके मूल ब्याज के साथ साहूकार को वापस लौटा देता। जब घोष ने इसकी गणना (Calculation) की तो उन्होंने यह देखा कि, वह सब्जी वाला उस साहूकार को सालाना 700 फ़ीसदी की दर से ब्याज दे रहा था। जिसके बाद चंद्र शेखर घोष के दिमाग में ‘बंधन बैंक’ के विचार ने जन्म लिया।

 

बंधन बैंक की स्थापना | Foundation of Bandhan Bank

Chandra Shekhar Ghosh Biography in Hindi : अपने इस विचार और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चंद्र शेखर घोष ने अपनी खुद की एक स्वयंसेवी संस्था शुरू करने के बारे में सोचा। अपने इस आईडिया पर काम करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और नई कंपनी शुरू करने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों रिश्तेदारों से ₹2 लाख का कर्ज लिया। उनके इस फैसले का असर उनके परिवार पर भी पड़ा। 

लेकिन उन्हें खुद पर और अपने आइडिया पर पूरा विश्वास था जिसके बाद वे इस क्षेत्र में आगे बढ़ते गए और वर्ष 2001 में ‘बंधन’ (BANDHAN) नाम से एक कंपनी कि शुरुआत की, जो एक गैर-लाभकारी माइक्रो फाइनेंस कंपनी (Non Profit Microfinance Company) थी।

Bandhan Bank Logo

Bandhan Bank Logo

घोष, गांव-गांव में जाकर महिलाओं को बिजनेस के बारे में समझाते, और लोन के बारे में बताया करते थे। लेकिन गांव के लोग उन्हें शक कि निगाहों से देखते थे। आखिरकार, वे इसमें सफल हो गए और वर्ष 2002 में घोष को सीडबी (SIDBI) की तरफ से 20 लाख रुपए का लोन मिला। जिसमें से 15 लाख रुपए का लोन 1100 महिलाओं को 30% कि ब्याज पर दिया गया। इसमें घोष को लोन वापसी के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी।

एक छोटे स्तर से अपना बिजनेस शुरू करने के बाद, धीरे-धीरे उनका यह कारोबार बढ़ने लगा। जब चंद्रशेखर घोष को यह महसूस हुआ कि उनका यह बिज़नस, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, और लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रहा है, तो उन्होंने वर्ष 2009 में रिजर्व बैंक द्वारा ‘नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी’ (NBFC) के तौर पर अपनी कंपनी को रजिस्टर करवा लिया।

चंद्र शेखर घोष | Chandra Shekhar Ghosh

चंद्र शेखर घोष | Chandra Shekhar Ghosh

वर्ष 2013 में जब सरकार ने बैंक स्थापित करने का आवेदन की घोषणा की, तब चंद्र शेखर घोष ने अपनी कंपनी के लाइसेंस के लिए आवेदन दाखिल करा दिया। जिसके बाद चंद्रशेखर घोष को बैंक का लाइसेंस मिला और वर्ष 2015 में ‘बंधन बैंक’ ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया। उस समय कोलकाता की एक माइक्रो फाइनेंस कंपनी को यह लाइसेंस मिलना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात थी।

23 अगस्त 2015 को इस कंपनी द्वारा ‘बंधन बैंक फाइनेंशियल सर्विसेज’ की शुरुआत की गई। इसके बाद कंपनी को भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से पूर्ण वाणिज्य के बैंक के रूप में काम करने की अनुमति भी प्राप्त हो गई। चंद्रशेखर घोष कि यह फाइनेंस कंपनी आज कई महिलाओं को लोन देकर उन्हें सशक्त बनाने में मदद कर रही है।

 

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60 हजार करोड़ से भी ज्यादा का मार्केट कैप है बंधन बैंक का | Bandhan Bank Market Cap Is More than ₹60 Thousand Crore

Chandra Shekhar Ghosh Biography in Hindi : यदि आज अगर हम बंधन बैंक के मार्केट कैप (Market Capital) की बात करें तो, बंधन बैंक की मार्केट कैप 60 हजार करोड़ से भी ज्यादा का है। वर्तमान में पूरे देशभर में बंधन बैंक की लगभग 5,371 शाखाएं हैं, जिसमें 55,341 लोग काम करते हैं।

वर्ष 2011 में विश्वबैंक (WORLD BANK) की एक सहायक इकाई इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन ने बंधन बैंक में 135 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

 

निजी जीवन (Personal Life)

चंद्र शेखर घोष की पत्नी नीलिमा घोष हैं। इस दंपत्ति का एक बेटा है, जिनका नाम अंशुमन घोष है।

 

चंद्रशेखर घोष को मिले पुरस्कार और सम्मान | Awards and Rewards

2007 :  ‘सीनियर अशोक फेलोशिप अवार्ड’ से सम्मानित।

2014 :  फोर्ब्स द्वारा ‘Forbes Entrepreneur With Social Impact’ के लिए नामित।

2014 :  इकोनामिक टाइम्स द्वारा ‘ET Entrepreneur Of The Year 2014’ का अवार्ड।

2017 :  बैंकिंग सेक्टर में योगदान के लिए ‘सी, रंगराजन पुरस्कार’ से सम्मानित।

2019 :  व्यवसाय के क्षेत्र में ‘Business World Magna Awards – Banker Of The Year 2019’ से सम्मानित।

 

चंद्रशेखर घोष से जुड़े कुछ रोचक तथ्य | Some Interesting Facts About Chandra Shekhar Ghosh

  • चंद्र शेखर घोष का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता एक मिठाई की दुकान चलाते थे।
  • बचपन के दिनों में वे अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए ट्यूशन पढ़ाया करते थे।
  • अपने घर का खाना बचाने के लिए वे अक्सर घर के बाहर एक आश्रम में खा लिया करते थे।
  • अपने घर का घर की आर्थिक मदद के लिए उन्होंने कई अलग-अलग काम किए हैं।
  • उन्होंने बांग्लादेश के ढाका यूनिवर्सिटी से अपनी सांख्याकी में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है।
  • चंद्र शेखर घोष ने वर्ष 2001 में बंधन बैंक की स्थापना की थी। इसके बाद वर्ष 2015 में उन्होंने ‘बंधन बैंक फाइनेंशियल सर्विसेज’ की शुरुआत की।
  • आज उनकी कंपनी की मार्केट कैप 60 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा है।

 

चंद्रशेखर घोष के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर (FAQ)।

 

प्रश्न : चंद्रशेखर घोष कौन है ?

उत्तर : चंद्र शेखर घोष भारतीय गैर-सरकारी बैंक ‘बंधन बैंक फाइनेंस सर्विसेज’ के संस्थापक और सीईओ हैं।

प्रश्न : चंद्रशेखर घोष का जन्म कब हुआ ?

उत्तर : चंद्रशेखर घोष का जन्म वर्ष 1960 में त्रिपुरा की राजधानी अगरतल्ला के बिशालगढ़ में हुआ था।

प्रश्न : चंद्रशेखर घोष की उम्र कितनी है ?

उत्तर : वर्तमान में चंद्र शेखर घोष 62 वर्ष (2022 मे) कि हैं।

प्रश्न : चंद्रशेखर घोष कि पत्नी कौन हैं ?

उत्तर : चंद्र शेखर घोष की पत्नी का नाम नीलिमा घोष है।

प्रश्न : चंद्रशेखर घोष के कितने बच्चे हैं ?

उत्तर : चंद्र शेखर घोष का एक बेटा है जिनका नाम अंशुमन घोष है।

प्रश्न : चंद्रशेखर घोष किस राज्य से हैं ?

उत्तर : चंद्र शेखर घोष, त्रिपुरा राज्य के हैं। लेकिन वर्तमान में वे अपने परिवार के साथ कोलकाता में रहते हैं।

प्रश्न : चंद्रशेखर घोष की कंपनी का क्या नाम है?

उत्तर : चंद्र शेखर घोष की कंपनी का नाम बंधन बैंक है।

प्रश्न : बंधन बैंक के संस्थापक कौन हैं?

उत्तर : बंधन बैंक के संस्थापक चंद्र शेखर घोष हैं जो वर्तमान में कंपनी के एमडी एवं सीईओ हैं।

प्रश्न : बंधन बैंक की स्थापना कब हुई थी?

उत्तर : बंधन बैंक की स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इसे एक निजी क्षेत्र के बैंक के रूप में वर्ष 2015 में मान्यता दी गई।

 

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आभार ।

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