मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय | Major Dhyan Chand Biography in Hindi

मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय | Major Dhyan Chand Biography in Hindi

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मेजर ध्यानचंद | Dhyan Chand

भारतीय भुतपूर्व हॉकी खिलाड़ी

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : दोस्तों,  जैसा कि हम सब जानते हैं कि हर वर्ष 29 अगस्त का दिन खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसे हम हॉकी के भगवान कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस के रूप में भी जानते हैं। दुनिया का हर एक खेल प्रेमी मेजर ध्यानचंद को जरूर जानता होगा। हॉकी के दुनिया में इतिहास रचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी ध्यानचंद लाखों लोगों के दिलों पर राज करते हैं। यदि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की बात की जाए तो, सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की सूची में मेजर ध्यानचंद का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है और आज तक उनकी तरह दूसरा कोई खिलाड़ी नहीं हुआ है। इसलिए आज आपके लिए लेकर आए हैं, ” हॉकी के भगवान मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय | Major Dhyan Chand Biography in Hindi “

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| जिसमें हम उनके जन्म से लेकर हॉकी के भगवान बनने तक के पूरे सफर के साथ-साथ उनके जीवन से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में भी जानेंगे।

 

मेजर ध्यानचंद कौन थे ? | Who was Major Dhyan Chand ?

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : दोस्तों, मेजर ध्यानचंद भारत के भूतपूर्व हॉकी खिलाड़ी व कप्तान थे। लोग उन्हे प्यार से ‘दद्दा’ भी कहते थे। मेजर ध्यानचंद को लोग ‘हॉकी का जादूगर’ के नाम से भी जानते हैं। उन्होंने भारत को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक खेलों में लगातार तीन स्वर्ण पदक दिलाया है। जिसमें उन्होंने वर्ष 1928 से 1936 तक लगातार भारत को गोल्ड मेडल दिलाया और हैट्रिक बनाई। इतना ही नहीं, मेजर ध्यानचंद के खेल से प्रभावित होकर जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने उन्हें, जर्मनी की नागरिकता देने के साथ-साथ देश मे एक उच्च पद देने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन मुझे ध्यान चंद अरे चाचा के साथ प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय | Dhyan Chand Biography in Hindi

मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय | Dhyan Chand Biography in Hindi

ध्यानचंद के खेल की उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया और उनके सम्मान में, मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन को हर साल 29 अगस्त को खेल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। वह एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हॉकी खिलाड़ी हैं, जिनके नाम पर भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया था। हाल ही में पिछले वर्ष, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ नाम रख दिया। मेजर ध्यानचंद के बारे में ज्यादा जानने के लिए जुड़े रहे हमारे biographybooks.in के ” मेजर ध्यान चंद का जीवन परिचय | Dhyan Chand Biography in Hindi ” के इस आर्टिकल में…

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Table of Contents

मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय : एक नजर में ।

नाम (Name) : ध्यान सिंह (Dhyan singh)

उपनाम (Nick name) : दद्दा ,हॉकी विजार्ड , चाँद , हॉकी के जादूगर

जन्म (Birth) : 29 अगस्त 1905

उम्र (Age) : 74 वर्ष – (मृत्यु के समय)

जन्म स्थान (Birth place) : इलाहाबाद, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत

पिता (Father) : सुबेदार सोमेश्वर दत्त सिंह (सेना में सुबेदार)

माता (Mother) : श्यामा देवी

गृहनगर (Hometown) : झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत

शिक्षा (Education) : छठी पास

राष्ट्रीयता (Nationality) : भारतीय

राशि (Zodiac) : कन्या

धर्म (Religion) : हिन्दू

जाति (Caste) : राजपूत

पेशा (Profession) : भारतीय हॉकी खिलाड़ी

खेल पोजीशन (Position) : फॉरवर्ड

हॉकी में अंतरराष्ट्रीय डेब्यू (International Debut) : 1926 में न्यूजीलैंड के खिलाफ

कोच (Coach) : सूबेदार मेजर भोले तिवारी और पंकज गुप्ता

डोमेस्टिक/स्टेट टीम (Team) : झांसी हीरो

हॉकी से सन्यास (Hockey Retirement) : 1949 में।

सर्विस/ब्रांच (Service) : ब्रिटिश भारतीय सेना; भारतीय सेना

सर्विस कार्यकाल (Service time) : 1921–1956

यूनिट (Unit) : पंजाब रेजिमेंट

सेना में भर्ती (Join in Army) : सिपाही के तौर पर (वर्ष 1922 में)

सेना से रिटायर (Retirement) : मेजर के तौर पर (वर्ष 1956 में)

पत्नी (Wife) : जानकी देवी (वि.- 1936)

मृत्यु (Death) : 3 दिसंबर 1979

मृत्यु स्थल (Death place) : एम्स (AIIMS) हॉस्पिटल, दिल्ली, भारत

मृत्यु का कारण (Reason of Death) : लिवर कैंसर

पुरस्कार (Awards) : पद्मभूषण (1956 में)

प्रसिद्धी (Famous for) : विश्व के सबसे बड़े हॉकी खिलाड़ी

 

मेजर ध्यानचंद का प्रारंभिक जीवन | Dhyan Chand Early Life

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : Early Life – दोस्तों, मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत मे इलाहाबाद ( वर्तमान में प्रयागराज ) में एक राजपूत परिवार में हुआ था। ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह है। उनके पिता का नाम सोमेश्वरदत्त सिंह था, जो आर्मी में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे और वह भी हॉकी खेला करते थे। उनकी माता का नाम श्यामा देवी था। और वे एक गृहिणी थीं।

ध्यानचंद के दो भाई, मूल सिंह और रूप सिंह थे। उनके एक भाई, हवलदार मूल सिंह सेना में हवलदार थे। जबकि उनके दूसरे भाई, रूप सिंह भी एक हॉकी खिलाड़ी थे। ध्यानचंद की तीन बहनें भी थी।

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मेजर ध्यानचंद कि शिक्षा | Dhyan Chand Education

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : Education – दोस्तों, ध्यानचंद के पिता सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे। इसके कारण उनका तबादला अलग-अलग जगहों पर होता रहता था। पिता के अलग-अलग शहरों में स्थानांतरित होने की वजह से ध्यानचंद की पढ़ाई में भी बाधाएं उत्पन्न होती थी। जिसकी वजह से ध्यानचंद ने 6वीं तक कि पढ़ाई पुरी करने के बाद आगे कि पढ़ाई छोड़ दी।

 

मेजर ध्यानचंद सेना मे हुए शामिल | Major Dhyan Chand Join Military

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : एक बार की बात है ध्यानचंद अपने पिता के साथ एक आर्मी कैंप में हॉकी का मैच देखने पहुंचे थे। जिसमें एक टीम 3 गोल से हारने वाली थी। यह देखकर ध्यानचंद ने अपने पिता से कहा कि, ” क्या मैं हारने वाली टीम की तरफ से खेल सकता हूं…? “ और उनके पिता ने उन्हें हारने वाली टीम की तरफ से खेलने की इजाजत दे दी। उन्होंने हारने वाली टीम की तरफ से खेलते हुए, ना केवल उस टीम को हारने से बचाया बल्कि उसे जीत भी दिलाई। उस मैच में ध्यान चंद ने 4 गोल किए।

यह देखकर वहां बैठे सभी ऑफिसर बहुत खुश हुए और उनके खेल से बहुत प्रभावित भी हुए। इसके बाद उन्होंने ध्यानचंद को भी आर्मी में शामिल होने को कहा। फिर क्या था, वर्ष 1922 में 16 वर्ष की उम्र में ध्यानचंद, पंजाब रेजीमेंट मे एक सिपाही के रूप में शामिल हो गए। और फिर वहीं से शुरू हुआ उनके हॉकी खेलने का सफर।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, मेजर ध्यानचंद को ” हॉकी का जादूगर “ कहा जाता है और हॉकी में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें सेना में पदोन्नति भी दी गई थी।

सेना में पदोन्नति | Promotion

  • वर्ष 1927 – लांस नायक
  • वर्ष 1932 – नायक
  • वर्ष 1937 – सूबेदार ( हॉकी के कप्तान )
  • वर्ष 1938 – वायसराय
  • वर्ष 1943 – लेफ्टिनेंट ( द्वितीय विश्व युद्ध )
  • वर्ष 1948 – कप्तान और बाद में मेजर ( स्वतंत्रता के समय )

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शारीरिक संरचना | Body Measurement

लंबाई (Height) 

से० मी०- 170

मी०- 1.70

फीट – 5’7″ फिट

वजन (Weight)

72 Kg

आंखों का रंग (eye color)

गहरा भूरा
बालों का रंग (Hair color)

काला

 

मेजर ध्यानचंद का हॉकी करियर | Dhyan Chand Hockey Career

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : Hockey Career – वर्ष 1922 में आर्मी के पंजाब रेजिमेंट में भर्ती होने के बाद, रेजीमेंट के सूबेदार मेजर भोले तिवारी ने ध्यानचंद को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया। मेजर भोले तिवारी भी सेना में ब्राह्मण रेजिमेंट के एक हॉकी खिलाड़ी थे। सेना में रहते हुए ध्यानचंद ने भोले तिवारी से ही हॉकी सीखा और विश्व स्तर के हॉकी के महान जादूगर बन गए।

मेजर ध्यानचंद ने वर्ष 1922 से 1926 तक सेना के द्वारा ही आयोजित किए जाने वाली प्रतियोगिता में हॉकी खेला था। वर्ष 1925 में उन्होंने अपना पहला नेशनल हॉकी टूर्नामेंट खेला। जिसके बाद भारतीय अंतरराष्ट्रीय हॉकी टीम में उनका चयन हो गया।

मेजर ध्यानचंद ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना पहला मैच 13 मई 1926 को न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था। इसमें भारत ने कुल 21 मैच खेले थे। जिसमें भारत को 18 मैचों में जीत मिली और एक मैच में हार का सामना करना पड़ा। जबकि दो मैच और अनिर्णायक रहे।

वर्ष 1928 में एम्सटर्डम में आयोजित ओलंपिक में पहली बार भारतीय हॉकी टीम को हिस्सा लेने का मौका मिला। इसमें भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए, इसके फाइनल में हॉलैंड को 3-0 से हराकर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। इस जीत में मेजर ध्यानचंद ने 2 गोल दाग कर भारत कि जीत में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 5 मैचों में सर्वाधिक 14 गोल किए और टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी बने। तब से उन्हें ” हॉकी विज़ार्ड ” के रूप में जाना जाने लगा।

मेजर ध्यानचंद | Dhyan Chand

मेजर ध्यानचंद | Dhyan Chand

वर्ष 1932 में लॉस एंजिल्स में आयोजित ओलंपिक खेलों में, हॉकी के फाइनल में भारतीय हॉकी टीम ने अमेरिका को 24-1 के भारी अंतर से हराकर एक बार फिर से गोल्ड जीता। इस हार के बाद एक अमेरिकी समाचार पत्र ने अपने खबरों में लिखा कि, ” भारतीय हॉकी टीम तो पूर्व से आया तूफान थी। उसने अपने वेग से अमेरिकी टीम के 11 खिलाड़ियों को कुचल दिया  “  वहां भी मेजर ध्यानचंद ने अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए, भारत को एक बार फिर से पूरे विश्व में गौरवान्वित किया। इसके पहले इसी वर्ष, मई 1932 मे भारत ने श्रीलंका में 2 मैच खेले। जिसमें पहले मैच में भारत ने 21-0 और दूसरे मैच में 10-0 के भारी अंतर से जीत हासिल की।

वर्ष 1935 में, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर, मेजर ध्यानचंद ने 43 मैचों में 201 गोल करने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया। उस दौरान मेजर ध्यानचंद का एक मैच देखने के बाद, क्रिकेट के महान खिलाड़ी और बल्लेबाज, सर डॉन ब्रैडमैन उनके प्रदर्शन से इतने प्रभावित हुए कि, उन्होंने ध्यान चंद की प्रशंसा करते हुए कहा था कि, ” आप क्रिकेट में रन बनाने जैसे लक्ष्यों की भांति गोल करते हैं। “

इसके बाद वर्ष 1936 के बर्लिन ओलंपिक गेम्स में भी भारतीय टीम का दायित्व मेजर ध्यानचंद को सौंपा गया था। जिसमें वे पुरी तरह से खरे उतरे और भारत को तीसरी बार गोल्ड मेडल दिलाया। इस जीत के बाद भारतीय हॉकी टीम ने अपनी जीत कि हैट्रिक पूरी की। इसके फाइनल मुकाबले में, भारत ने जर्मनी को 8-1 के अंतर से हराया था।

आपको बताते चलें कि, मेजर ध्यानचंद ने अपने करियर में लगभग 1000 से भी ज्यादा गोल किये हैं। जिनमें से अंतरराष्ट्रीय मैचों में उन्होंने 400 गोल दागे हैं। वर्ष 1949 में उन्होंने सन्यास लेते हुए हॉकी को अलविदा कह दिया।

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ध्यान सिंह का नाम ध्यानचंद कैसे पड़ा | Major Dhyan Chand name story

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : दोस्तों, बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह है। और ध्यान सिंह से ध्यानचंद नाम होने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। 1905 में जन्मे ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह था। लेकिन हॉकी के लिए उनका जुनून इतना जबरदस्त था कि वह रात में चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे। इस कारण उनके नाम के पीछे उनके दोस्तों ने चंद जोड़ दिया। क्योंकि, “चंद” का शाब्दिक अर्थ “चंद्रमा” होता है। जिसके बाद उनका नाम ध्यान सिंह के बदले ध्यानचंद हो गया।

 

मेजर ध्यानचंद के हॉकी स्टिक से चिपक जाती थी गेंद |

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : दोस्तों, मेजर ध्यानचंद हॉकी के इतने बड़े महारथी थे की, जब वे हॉकी खेलने के लिए मैदान में उतरते थे तो गेंद उनकी हॉकी स्टिक से चिपक कर चलती थी। उनके साथ खेल रहे अन्य खिलाड़ियों को ऐसा लगता था कि मानो वह कोई जादुई स्टिक से खेल रहे हो।  और तभी उनका नाम ” हॉकी का जादूगर ” रख दिया गया। 

इतना ही नहीं, कहा तो यह भी जाता है कि इस खेल के पर्याय बन चुके मेजर ध्यानचंद के स्टिक कि जांच करने के लिए, एक बार एक मैच के बाद उनकी हॉकी को तोड़ कर यह देखा गया कि कहीं उसमें चुंबक तो नहीं है। इसके अलावा एक दूसरे मैच में, जापान में भी स्टिक में गोद लगे होने की आशंका हुई। लेकिन ऐसा नहीं था यह उनकी बेहतरीन प्रतिभा ही थी जो उन्हें मैचों में सफलता दिलाती थी।

 

जब नपवा दि थी गोल पोस्ट की माप |

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : भारत को ओलंपिक खेलों में लगातार तीन स्वर्ण पदक दिलाने वाले ध्यानचंद के रग-रग में हॉकी के खेल के प्रति उनकी सटीकता इस कदर थी कि, एक बार एक मैच के दौरान गोल करने में माहिर ध्यानचंद, बार-बार कोशिश करने के बावजूद एक भी गोल नहीं कर पाए। तब उन्होंने मैच रेफरी से गोल पोस्ट के माप की शिकायत की। इसके बाद जब गोल पोस्ट को नापा गया तो, माप करने पर पाया गया कि गोल पोस्ट कि माप अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सही नहीं था। 

 

जब जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने मेजर ध्यानचंद को दिया प्रस्ताव |

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : दोस्तों, मेजर ध्यानचंद के खेल से भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्वभर के लोग प्रभावित थे। और दुनिया भर में उनके खेल की प्रशंसा की जाती थी। उनके प्रशंसकों में जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर भी शामिल थे। हिटलर, मेजर ध्यानचंद के खेल से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने ध्यानचंद को जर्मनी की नागरिकता ग्रहण करने का प्रस्ताव तक दे दिया था। कहा तो यह भी जाता है कि, उन्होंने जर्मनी की नागरिकता ग्रहण करने के साथ-साथ सेना में एक उच्च पद की भी पेशकश किया था। लेकिन मेजर ध्यानचंद ने इस प्रस्ताव को बड़ी ही सहजता के साथ ठुकरा दिया। उन्होंने एडोल्फ हिटलर को यह कहते हुए मना कर दिया कि, ” वे भारत के लिए खेलने में बहुत ही गौरव महसूस करते हैं। “

 

मेजर ध्यानचंद का निजी जीवन | Personal Life

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : Personal life – दोस्तों, मेजर ध्यानचंद की पत्नी का नाम, जानकी देवी था। उनका विवाह वर्ष 1936 में हुआ था। उनके सात बेटे थे। जिनका नाम, बृजमोहन सिंह, सोहन सिंह, राजकुमार सिंह, अशोक कुमार सिंह, उमेश कुमार सिंह, देवेंद्र सिंह और वीरेंद्र सिंह था।

दोस्तों, जिस प्रकार फुटबॉल में खिलाड़ी पेले और क्रिकेट में खिलाड़ी ब्रैडमैन को दुनिया के श्रेष्ठ खिलाड़ियों के बराबर माना जाता है, ठीक उसी प्रकार मेजर ध्यानचंद को भी हॉकी में दुनिया का महानतम खिलाड़ी माना जाता है।

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पारिवारिक जानकारीयाँ |

माता पिता (Parents)

पिता – सुबेदार सोमेश्वर दत्त सिंह

माता – श्यामा देवी

भाई बहन (Siblings)

भाई – मूल सिंह (हवलदार) और

रूप सिंह (हॉकी खिलाड़ी) एवं तीन बहनें।

पत्नी (Wife)

जानकी देवी
बच्चे (Childrens)

बेटे – बृज मोहन, सोहन सिंह, राज कुमार, अशोक कुमार (हॉकी खिलाड़ी) 

उमेश कुमार, देविंदर सिंह, वीरेंदर सिंह

 

मेजर ध्यानचंद कि पसंदीदा चीजें | Dhyan Chand

पसंदीदा मिठाई (favorite sweets)

हलवा
पसंदीदा पेय पदार्थ (favorite sweets)

दूध

खाद्य आदत (Eating Habit)

मांसाहारी
पसंदीदा भोजन (favorite food)

मटन और मछली

शौक/अभिरुचि (Hobbies)

खाना पकाना, शिकार करना, मत्स्य पालन करना, फोटोग्राफी करना, क्रिकेट और कैरम खेलना

 

मेजर ध्यानचंद से जुड़े विवाद | Dhyan Chand controversies

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : Controversies – दोस्तों, मेजर ध्यानचंद हॉकी खेलने में इतने माहिर थे कि, गेंद उनकी हॉकी स्टिक से चिपक कर चलती थी। जिसके कारण नीदरलैंड में, एक मैच के दौरान एक अधिकारी ने ध्यान चंद की हॉकी स्टिक की जांच करके यह पता लगाने कि कोशिश कि थी कि, कहीं उनकी हॉकी स्टिक में कोई चुंबक तो नहीं लगी है। जिसके बाद उन्होंने ध्यान चंद की हॉकी स्टिक तोड़ को दिया। लेकिन उस अधिकारी को उनकी हॉकी स्टिक में कोई त्रुटि नहीं मिली। जबकि, ऐसा उनके इस खेल पर शानदार पकड़ की वजह से था।

 

मेजर ध्यानचंद की मृत्यु | Major Dhyan Chand Death

दोस्तों, हॉकी के महानतम खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की मृत्यु 3 दिसंबर 1979 को, 74 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एम्स (AIIMS) हॉस्पिटल में हो गई। वह लिवर कैंसर से ग्रसित थे और दिल्ली स्थित एम्स हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। उनकी मृत्यु के बाद भारत ने एक बेहद अनमोल खिलाड़ी को खो दिया। हॉकी के इतिहास में आज तक उनके जैसा कोई खिलाड़ी नहीं हुआ।

 

राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड किया गया |

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : दरअसल, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खेल के क्षेत्र में दिए जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार रख दिया। यह निर्णय पीएम मोदी ने हाल ही में, पिछले वर्ष 2021 में भारत की टोक्यो ओलंपिक खेल में 41 साल बाद मैडम जीतने के अवसर पर लिया। इसके पहले, वर्ष 1980 में मास्को ओलंपिक में हॉकी मेडल भारत ने जर्मनी को हराकर जीता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि, ” मेजर ध्यान चंद जी भारत के एक सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे, जिन्होंने भारत को सम्मान और गर्व प्राप्त कराया। “ भारतीय जनता की अपील के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कदम उठाया और ट्वीट करते हुए जनता को इसकी जानकारी दी।

इसके अलावा, खेल में उनकी महानता को देखते हुए भारतीय जनता द्वारा मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न पुरस्कार देने की मांग उठ रही है। हालांकि, भारत रत्न को लेकर ध्यानचंद के नाम पर अभी भी संशय बना हुआ है। लेकिन हमें उम्मीद है कि इस महानतम खिलाड़ी को भारत सरकार द्वारा ‘भारत रत्न’ से जरूर सम्मानित किया जाएगा।

 

ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार में दी जाने वाली राशि

Major Dhyan Chand Biography in Hindi : दोस्तों, मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार पहली बार 1991- 92 में दिया गया था। उस समय इस पुरस्कार के तहत, खिलाड़ी को ₹5 लाख की राशि पुरस्कार में दी जाती थी। जिसे बाद में खेल मंत्री रिजीजू ने बढ़ाकर 10 लाख कर दिया गया था। प्रत्येक 10 साल में इस पुरस्कार की राशि में बदलाव खेल मंत्री द्वारा किया जाता है। वर्तमान में इस पुरस्कार के तहत खिलाड़ियों को 25 लाख रुपए की राशि दी जाती है।

 

मेजर ध्यानचंद को मिले पुरस्कार एवं सम्मान | Dhyan Chand Awards & Rewards

  1. वर्ष 1956 को मेजर ध्यानचंद को भारत के ‘पद्म भूषण’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
  2. हॉकी में मेजर ध्यानचंद के प्रदर्शन को देखते हुए भारत सरकार ने उनके जन्मदिन 29 अगस्त को भारत में खेल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इसी दिन खिलाड़ियों को खेल में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरस्कार और कोच को द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
  3. मेजर ध्यानचंद के सम्मान में भारत सरकार ने उनकी याद में डाक टिकट जारी किया। वह एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हॉकी खिलाड़ी हैं, जिनके नाम पर भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया था।
मेजर ध्यानचंद के सम्मान में जारी डाक टिकट।

मेजर ध्यानचंद के सम्मान में जारी डाक टिकट।

     4. मेजर ध्यानचंद के सम्मान में दिल्ली में ‘ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम’ का निर्माण कराया गया।

नई दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में लगी मेजर ध्यानचंद की प्रतिमा।

नई दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में लगी मेजर ध्यानचंद की प्रतिमा।

     5. भारतीय ओलंपिक संघ ने ध्यानचंद को शताब्दी का खिलाड़ी घोषित किया था।

6. राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड किया गया।

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मेजर ध्यानचंद से जुड़े कुछ रोचक तथ्य | Some Interesting Facts About Dhyan Chand

  • मेजर ध्यानचंद का जन्म, ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत मे इलाहाबाद ( वर्तमान में प्रयागराज) में हुआ था।
  • उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे।
  • मेजर ध्यानचंद छठी तक की पढ़ाई करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी।
  • वर्ष 1922 में मेजर ध्यानचंद सेना में भर्ती हुए थे।
  • मेजर ध्यान चंद को हॉकी के इतिहास में सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता है। लोग उन्हें “हॉकी का जादूगर” के नाम से भी जानते हैं।
  • मेजर ध्यानचंद ने वर्ष 1926 से 1948 तक भारत के लिए हॉकी का मैच खेला है।
  • मेजर ध्यानचंद ने अपने अंतरराष्ट्रीय डेब्यू मैच में गोलों की हैट्रिक लगाई थी।
  • उन्होंने अपने हॉकी करियर में लगभग 1000 गोल किए, जिनमें से 400 अंतरराष्ट्रीय मैचों में किए थे।
  • मेजर ध्यानचंद के बेहतरीन खेल से प्रभावित होकर जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने उन्हें जर्मनी की नागरिकता का प्रस्ताव दिया था।
  • क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन भी मेजर ध्यानचंद के खेल के दीवाने थे।
  • वर्ष 1936 में मेजर ध्यानचंद की शादी जानकी देवी से हुई थी औऋ उनके 7 पुत्र हैं।
  • वर्ष 1949 में उन्होंने सन्यास लेते हुए हॉकी को अलविदा कह दिया।
  • वर्ष 1956 को मेजर ध्यानचंद को भारत के ‘पद्म भूषण’ सम्मान से सम्मानित किया गया था।
  • मेजर ध्यानचंद की मृत्यु 3 दिसंबर 1979 को, 74 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में लिवर कैंसर के कारण हो गई थी।
  • मेजर ध्यानचंद के सम्मान में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर दिन मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया।
  • ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह था लेकिन वे रात में चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे। इस कारण उनके नाम के पीछे उनके दोस्तों ने चंद जोड़ दिया।
  • एक बार एक मैच के दौरान ध्यानचंद ने मैच रेफरी से गोल पोस्ट के माप की शिकायत की। इसके बाद माप करने पर पाया गया कि गोल पोस्ट कि माप अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सही नहीं था।
  • मेजर ध्यानचंद के स्टिक से गेंद चिपक कर चलती थी। जिसके कारण एक बार एक मैच के बाद उनकी हॉकी को तोड़ कर यह देखा गया कि कहीं उसमें चुंबक तो नहीं है।
  • ध्यानचंद के सम्मान में हर वर्ष 29 अगस्त को उनके जन्मदिन को हर साल खेल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
  • वह एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हॉकी खिलाड़ी हैं, जिनके नाम पर भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया था।
  • 29 अगस्त 2022 को मेजर ध्यानचंद की 117वीं जयंती मनाई गई।

 

मेजर ध्यानचंद के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नोत्तर (FAQ)।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद कौन थे?

उत्तर : मेजर ध्यानचंद भारत के विश्व प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी थे। उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ के नाम से भी जाना जाता है। हॉकी में उन्होंने कई विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद का जन्म कब हुआ ?

उत्तर : मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत मे इलाहाबाद ( वर्तमान में प्रयागराज) में हुआ था।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद की उम्र कितनी थी ?

उत्तर : 74 वर्ष – मृत्यु के समय

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद किस राज्य से थे ?

उत्तर : इलाहाबाद, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत से थे।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद कि जाति क्या है ?

उत्तर : राजपूत, हिंदू

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद किस खेल से संबंधित हैं ?

उत्तर : मेजर ध्यानचंद, हॉकी से संबंधित हैं।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद की पत्नी कौन थी ?

उत्तर : मेजर ध्यानचंद की पत्नी का नाम जानकी देवी था।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद कितने बच्चे थे ?

उत्तर : 7 बच्चे – बृजमोहन सिंह ,सोहन सिंह, राजकुमार सिंह ,अशोक कुमार सिंह ,उमेश कुमार सिंह, देवेंद्र सिंह और वीरेंद्र सिंह है।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद सेना में कब शामिल हुए थे ?

उत्तर : वर्ष 1922 में- 16 वर्ष की उम्र में।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद के कोच कौन थे ?

उत्तर : सूबेदार मेजर भोले तिवारी और पंकज गुप्ता

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद की मृत्यु कब हुई थी ?

उत्तर : मेजर ध्यानचंद की मृत्यु 3 दिसंबर 1979 को हुई थी।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद की मृत्यु का क्या कारण था ?

उत्तर : मेजर ध्यानचंद की मृत्यु, दिल्ली के एम्स (AIIMS) हॉस्पिटल में लिवर कैंसर के कारण हुई थी।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद को किस नाम से जाना जाता है ?

उत्तर : मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर, दद्दा, हॉकी विजार्ड, चाँद आदि नामों से जाना जाता है।

प्रश्न : मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर क्यों कहा जाता है ?

उत्तर : मेजर ध्यानचंद जब मैदान में उतरते थे तो, गेंद उनकी हॉकी स्टिक के साथ ही चलती थी। और अन्य खिलाड़ियों को लगता था कि मानो वह जादुई स्टिक से खेल रहे हो और तभी से उन्हें उनके साथी खिलाड़ी ” हॉकी का जादूगर ” के नाम से बुलाने लगे।

 

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